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corona virus से सुरक्षा के लिए देश भर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट होंगे अपग्रेडaligarh news

देश भर में हर दिन 65 हजार लीटर मिलियन लीटर सीवर बनता है। इसमें 30 फीसद सीवर ही ट्रीट होता है। बाकी नदी नालों के जरिए समुद्र में चला जाता है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 11:39 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 12:50 PM (IST)
corona virus से सुरक्षा के लिए देश भर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट होंगे अपग्रेडaligarh news
corona virus से सुरक्षा के लिए देश भर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट होंगे अपग्रेडaligarh news

संतोष शर्मा, अलीगढ़।   दुनिया भर में फैल चुके कोरोना वायरस से भारत सरकार ने लंबी लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए देश भर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है। प्लांट में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा जो वायरस की पहचान कर मार सके। इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए देश भर के 16 विज्ञानियोंं की कोर कमेटी गठित की गई है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. नदीम खलील को एक्सपर्ट के रूप में शामिल किया गया है।

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इसलिए हुआ जरूरी 

देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। मरीजों की संख्या दस  लाख को पार कर गई है। अस्पतालों में भी मरीजों की भरमार है। सरकार के सामने चिंता का विषय अस्पताल से निकलने वाला सीवर है, जो नदियों में पहुंच रहा है। सीवर में कहीं कोरोना वायरस तो नहीं पहुंच रहा? इसकी जानकारी के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन्नत भारत अभियान के तहत प्राजेक्ट रिपोर्ट तैयार करा रहा है। जो स्वच्छ भारत अभियान का भी हिस्सा है।

कमेटी तैयार करेगी रिपोर्ट 

एएमयू के प्रो. नदीम खलील ने बताया कि हॉलैैंड, डेनमार्क व आस्ट्रेलिया में यह साबित हो चुका है कि सीवर में कोरोना वायरस पहुंच रहा है। इसी लिए भारत सरकार सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड कराना चाहती है। कोर कमेटी रिपोर्ट इस पर तैयार करेगी कि सीवर प्लांट में कैसे जांच हो? सैंपल कैसे लिए जाएं? प्लांट को अपग्रेड कैसे करें? कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करें जिससे वायरस की पहचान कर खत्म किया जा सके।

दिल्ली के प्रो. विवेक की अगुवाई में बनी कोर कमेटी

भारत सरकार ने आइआइटी दिल्ली के प्रो. विवेक कुमार को 16 सदस्यीय कोर कमेटी का कोआर्डिनेटर बनाया है। कमेटी में एएमयू के प्रो. नदीम खलील के अलावा आइटी मुंबई के प्रो. अनुराग गर्ग, आइटी चेनन्ई की डॉ. इंदुमति, एनआइटी पटना के प्रो. रमाकर झा, एनआइटी जयपुर के प्रो. एबी गुप्ता, मुकुल राव, एनके श्रीवास्तव, कल्याणी यूनिवर्सिटी के प्रो. देवाशीष चटर्जी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के रामचंद्र टीवी, पिलानी के अनुराग सिंघल, आइटी मुंबई के बकुल राव, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी दिल्ली के अंशू गुप्ता, एनआइटी श्रीनगर के डॉ. एमए राथर, एसआरएम यूनिवर्सिटी के डॉ. लखवीर सिंह व आइआइटी हैदराबाद के देवराज भट्टाचार्य को शामिल किया गया है।

65 हजार मिलियन लीटर सीवर

देश भर में हर दिन 65 हजार लीटर मिलियन लीटर सीवर बनता है। इसमें 30 फीसद सीवर ही ट्रीट होता है। बाकी नदी, नालों के जरिए समुद्र में चला जाता है। प्रो. नदीम के अनुसार 30 फीसद ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जिनमें से 98 फीसद बिजली से चलने वाले हैं। प्रो. नदीम के अनुसार ऐसी तकनीक पर काम चल रहा है जिसमें बिजली खपत कम से कम हो, लागत भी कम आए। नेचुरल प्रोसेस को अधिक तरजीह दी जाएगी। तकनीक इजाद होने पर सरकार गाइड लाइन बनाएगी कि कौन सी तकनीक का कहां इस्तेमाल किया जाए?

एएमयू के प्लांट पर भी होगा काम

एएमयू के बरौला बाइपास स्थित सेफगार्डिंग वाटर रिसोर्सेस इन इंडिया विद ग्रीन एंड सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी (स्विंग्स) संयंत्र में भी इसके तहत काम होगा। यूरोपीय संघ की मदद से बने इस प्लांट में खास किस्म के पौधे सीवरेज से नाइट्रोजन और फास्फोरस को अलग कर शुद्ध करते हैं।


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