डा. राही मासूम रजा के बिना अधूरा रहता सीरियल महाभारतः नीतीश भारद्वाज Aligarh news
कालजयी धारावाहिक ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका उनके संवाद और शैली के लिए अभिनेता नीतीश भारद्वाज को लोग आज भी भुला नहीं पाए हैं मगर वे इसका पूरा श्रेय दिवंगत लेखक व एएमयू के प्रोफेसर डा. राही मासूम रजा को देते हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। कालजयी धारावाहिक ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका, उनके संवाद और शैली के लिए अभिनेता नीतीश भारद्वाज को लोग आज भी भुला नहीं पाए हैं, मगर वे इसका पूरा श्रेय दिवंगत लेखक व एएमयू के प्रोफेसर डा. राही मासूम रजा को देते हैं। नीतीश भारद्वाज ने कहा, लोग कहते हैं कि गीता व महाभारत का संदेश मेरे कारण जन-जन तक पहुंचा, यह गलत है। डा. रजा ऐसे संवाद नहीं लिखते तो मैं क्या बोलता? धृतराष्ट्र, दुर्योधन और शकुनी को क्या और कैसे बोलना है? सारे संवाद और शब्दावली डा. रजा की थी। मैं अपने संवाद-शब्दावली को उन्हें समर्पित करता हूं। ये बातें शनिवार को अलीगढ़ आए पूर्व सांसद नीतीश भारद्वाज ने लेखिका मीनाक्षी जैन की पुस्तक ‘गीता कृष्ण की सिद्धांत कर्म का’ का लोकार्पण करते हुए कहीं।
होटल आभा ग्रांड में लोकार्पण समारोह
देरशाम जीटी रोड स्थित होटल आभा ग्रांड में आयोजित लोकार्पण समारोह में नीतीश ने कहा कि महाभारत के श्रीकृष्ण की तरह ही लोगों को गीता का भावार्थ समझाया। भागवत गीता को हिंदी गीत काव्य के रूप अनुवादित करने पर मीनाक्षी जैन की सराहना की। कहा, जब व्यक्ति के दिमाग में कोई दुविधा होती है, वह अर्जुन बनकर एक कुरुक्षेत्र में होता हैं। सही और गलत का भेद समझने पर वह कुरुक्षेत्र से बाहर निकलता है। जो चीज हमारे अंदर होती है, उसे हम बाहर खोजते हैं। जो व्यक्ति अंदर झांकना बंद कर देता है वह धृतराष्ट्र बन जाता है। महाभारत के सबसे बड़े विलेन धृतराष्ट्र थे। गीता की गहनता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज इसे पढ़ेंगे तो और अर्थ निकलेगा और 10 साल बाद पढ़ेंगे तो दूसरा। नीतीश ने देश में संस्कृत की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, दुर्भाग्य की बात है कि कोई अपने बच्चों को संस्कृत नहीं पढ़ाता। मेरे बच्चे न केवल संस्कृत पढ़ते हैं, बल्कि उसमें संभाषण भी करते हैं। गीता हो या अन्य किसी भी धर्म का दर्शन, बच्चों को कक्षा चार-पांच से ही पढ़ाना शुरू कर दें। गीता से शुरुआत में कुछ समझ नहीं आएगा, मगर ठोकर खाने के बाद पढ़े हुए शब्द याद आएंगे और गीता को खोजेंगे। नेम-फेम और पैसे के लिए अपने विवेक को न छोड़ें। नीतीश भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इससे पहले लोकार्पण का शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद सतीश गौतम व एएमयू वीसी डा. तारिक मंसूर, डायमंड पाकेट बुक्स के चेयरमैन नरेंद्र वर्मा आदि ने दीप प्रज्जवल कर किया। नीलम शर्मा, सारिका सक्सेना, गीता सिंह, शिवानी जैन, पीएनपी के सेवानिवृत्त डीजीएम अजीत गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। मदर्स टच की प्राधानाध्यक्षक आरती मित्तल ने गीत प्रस्तुत किया। नृत्यांगना डा. अंशु सक्सेना व उनकी पुत्री समृद्धि वरुण सक्सेना ने मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। सांसद सतीश गौतम ने कहा कि मीनाक्षी जैन ने गीता का हिंदी अनुवाद करके सराहनीय कार्य किया है। अन्य महिलाओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
एएमयू में भी गीता की पांडुलिपि
एएमयू कुलपति डा. तारिक मंसूर ने कहा, गीता हो या अन्य कोई किताब, सभी एक ही संदेश देती हैं कि दुनिया एक है। सभी को एक साथ रहना चाहिए। गीता का अनेक भाषाअों में अनुवाद हुआ है। एएमयू में परशियन में गीता की पांडुलिपि उपलब्ध है। दाराशिकोह ने भी गीता व उपनिषद को सामान्य भाषा में अनुवाद किया। गीता को पढ़कर उसे फालो करें तो सोसायटी को काफी लाभ होगा।
गीता से खोलिए दिमाग का ताले
नीतीश भारद्वाज से मीडिया ने अलीगढ़ के लिए कुछ संदेश देने की बात कही तो, चुटकी लेते हुए कहा कि गीता से दिमाग के ताले खोलिए। गुरुकुल पद्धति से पढ़ाई की पैरवी भी की। कहा, लोग अंग्रेजी शिक्षा के पीछे भाग रहे हैं, जिसमें केवल सर्टिफिकेट मिलते हैं। जिंदगी में परफोर्म करना है तो गुरुकुल पद्धति को अपनाएं। पं. रविशंकर, भीमसैन जोशी, कुमार गंधर्व, जितनी भी संगीत जगत की हस्तियां वे अपने गुरु के यहां दीक्षा लेने पहुंचे। अमिताभ बच्चन, लता मंगेश्वर या मेरे पास कौन सी डिग्री है।
ये रहे मौजूद
पैक्ट लाक्स के डायरेक्ट विकास जैन, अरुण जैन, डा. दिव्या लहरी, डा. अलका मित्तल ने विचार रखे। मीनाक्षी जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया। गगन माहेश्वरी, किरन केला, प्रमिला चोला, रविंद्र कौर, मनीषा यादव, राजेंद्र गुप्ता, नीमिषा गुप्ता,योगेश बंसल, सीमा जैन, विभोर जैन, अनिल वर्मा आदि मौजूद रहे।