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Colodian Baby : अलीगढ़ में जन्मा दूसरा कोलोडियन बेबी, तीन करोड़ में एक बच्‍चेे में मिलती यह बीमारी, जानिए विस्‍तार से

शहर के वरुण हॉस्पिटल में शनिवार को कासगंज की महिला ने दुर्लभ कोलोडिएन बेबी को जन्म दिया दिया है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 11:17 PM (IST)
Colodian Baby : अलीगढ़ में जन्मा दूसरा कोलोडियन बेबी, तीन करोड़ में एक बच्‍चेे में मिलती यह बीमारी, जानिए विस्‍तार से
Colodian Baby : अलीगढ़ में जन्मा दूसरा कोलोडियन बेबी, तीन करोड़ में एक बच्‍चेे में मिलती यह बीमारी, जानिए विस्‍तार से

अलीगढ़ [जेएनएन]: शहर के वरुण हॉस्पिटल में शनिवार को कासगंज की महिला ने दुर्लभ कोलोडिएन बेबी को जन्म दिया दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार जेनेटिक डिसआर्डर के साथ पैदा हुआ यह बच्चा हार्लेक्विन इचिथोसिस नामक बीमारी से ग्र्रस्त हैं, जिससे अधिकांश बच्चे जन्म के बाद सर्वाइव नहीं कर पाते। बहरहाल, डॉक्टर बच्चों की ङ्क्षजदगी बचाने में जुटे हुए हैं।
आंखें तो हैं, मगर खाल में दब गईं 
वरुण हॉस्पिटल के संचालक डॉ. संजय भार्गव के अनुसार उनके यहां शनिवार करीब साढ़े चार बजे कासगंज के गंज डुडवारा निवासी महिला को डिलीवरी के लिए भर्ती कराया गया। बच्चे का जन्म कराने के लिए सिजेरियन करना पड़ा, लेकिन नवजात को देखते ही डॉक्टर व स्टाफ हैरान रह गए। डॉ. भार्गव ने बताया कि बच्चा कंजेटाइटल डिसऑर्डर से ग्र्रस्त है। उसकी खाल बहुत ड्राई है और मिïट्टी की तरह चटक रही है। आंखें तो हैं, मगर खाल में दब गईं हैं। यह हार्लेक्विन इचिथोसिस का मामला लग रहा है। इसमें ग्र्रस्त बच्चे जीवित नहीं रह पाते। दुनियाभर में मात्र तीन बच्चे ही जीवित है, जिसमें भारत से कोई नहीं हैं। तीन करोड़ में एक बच्चा इस बीमारी के साथ पैदा होता है। फिलहाल तो नवजात स्वस्थ है और उसने देरशाम मां का दूध भी पिया। माता-पिता व दूसरे स्वजनों को समझा दिया गया है। दंपती के पहले से पांच बच्चे हैं। बच्चे के जननांग विकसित नहीं हो पाए, इसलिए कहना मुश्किल है कि वह लड़का है या लड़की।

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तीन लाख पर एक बच्चा

मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. मनाजिर अली ने बताया कि यह अनुïवांशिक बीमारी है, जो माता या पिता किसी से भी हो सकती है। तीन लाख बच्चों पर एक केस सामने आता है। दुनियाभर में 270 केस सामने आ चुके हैं। पहला मामला 1892 में सामने आया था। इसमें बच्चे की स्किन टूटती है। दर्द व ब्लीङ्क्षडग होती है। संक्रमण होता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। जब तक बच्चा सांस लेता है, तब तक उसकी त्वचा को नरम करने के लिए लोशन, दर्द के लिए पेन किलर देते हैं। दिखाई दे, आर्टिफिशियल आंसू भी लाते हैं। सालभर पूर्व मेडिकल कॉलेज में ही ऐसा मामला सामने आया। मृत्यु मुख्य रूप से श्वसन विफलता, संक्रमण व द्रव के नुकसान से होती है। ऐसे बच्चों को कोलोडियन बेबी कहा जाता है।
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