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कोरोना से लड़ाई में रेमडेसिविर के इंतजार में उखड़ रही सांसे, हिम्मत भी हारी Aligarh news

खिरनी गेट के 44 वर्षीय कारोबारी को पिछले दिनों बुखार और सांस में तकलीफ हुई। जांच में कोरोना पाजिटिव निकले। रविवार को आगरा रोड स्थित रूसा हास्पिटल में भर्ती किए गए। डाक्टर ने रेमेडिसिवर इंजेक्शन की जरूरत बताई है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:03 AM (IST)
कोरोना से लड़ाई में रेमडेसिविर के इंतजार में उखड़ रही सांसे, हिम्मत भी हारी Aligarh news
कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन को बेहद कारगर माना जा रहा है।

विनोद भारती, अलीगढ़ । खिरनी गेट के 44 वर्षीय कारोबारी को पिछले दिनों बुखार और सांस में तकलीफ हुई। जांच में कोरोना पाजिटिव निकले। रविवार को आगरा रोड स्थित रूसा हास्पिटल में भर्ती किए गए। डाक्टर ने रेमेडिसिवर इंजेक्शन की जरूरत बताई है। स्वजन दो दिनों से भटक रहे हैं, मगर इंजेक्शन नहीं मिला है। हालत बिगड़ रही है। इसी तरह गीतांजली अपार्टमेंट, सेंटर प्वाइंट के आरओ व्यापारी की 48 वर्षीय पत्नी व 21 वर्षीय बेटा भी आगरा रोड के हास्पिटल में भर्ती है। फैंफड़ों में संक्रमण के चलते दोनों को आइसीयू में रखा गया है। दोनों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की तुरंत जरूरत है, लेकिन काफी कोशिश के बाद उन्हें मायूसी हाथ लगी है। ऐसे तमाम मरीज कोविड केयर सेंटरों में भर्ती है, जिनकी उखड़ती सांसें लौटाने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है। अफसोस, यह इंजेक्शन बाजार से गायब है। सोमवार को कई मरीजों की मृत्यु भी हो गई। 

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रोजाना 50 इंजेक्शन की जरूरत, उपलब्धता 20-25

इस समय 500 से अधिक मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, संक्रमित मरीजों पर डालें तो 40-50 मरीजों को इस इंजेक्शन की जरूरत है। जबकि, हालात तो देखते हुए यह मांग 300 इंजेक्शन प्रतिदिन तक बढ़ने की आशंका है। जबकि, उपलब्धता 20-25 इंजेक्शन की है है। वह भी सरकारी कोविड केयर सेंटर व मेडिकल कालेज में। निजी अस्पतालों को विगत दो दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा। मरीजों के तीमारदार दवा का पर्चा लेकर अलीगढ़ से लेकर आसपास के जिलों तक घूम रहे हैं, मगर निराश होकर लौट रहे हैं। यदि प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती रेमडेसिविर व अन्य दवा के अभाव में मर गए तो जिम्मेदार कौन होगा? यह सोचने की जरूरत है। 

हांफ रहा सिस्टम 

कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन को बेहद कारगर माना जा रहा है। ऐसे में सरकारी ही नहीं, निजी कोविड केयर सेंटरों में भी इस इंजेक्शन की मांग बढ़ती जा रही है। चिंता की बात ये है कि दो दिन से बाजार में यह इंजेक्शन नहीं। सरकारी केंद्रों में भर्ती मरीजों को फिलहाल इंजेक्शन मिल गए हैं, मगर निजी अस्पतालों में तमाम मरीज रेमडेसिविर मिलने के इंतजार में ऐसे मरीजों को दूसरी जीवनरक्षक दवा देकर जान बचाने का प्रयास हो रहा है। हेवीफ्लू व डाक्सीसाइक्लिन जैसी दवाएं बाजार में नहीं। आइवरमेक्टिन व अन्य दवा की मांग व आपूर्ति में अंतर फिर बढ़ने लगा है। इससे आगे और भी हालात बिगड़ने की आशंका है। 

क्या है रेमडेसिविर

कोराना काल में सबसे ज्यादा चर्चा यदि किसी दवा की है तो वह रेमडेसिविर इंजेक्शन की। दरअसल, कोरोना संक्रमित मरीज के शरीर में कई बार ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है, जिसे हाइपोक्सिमिया कहते हैं। मरीज का बुखार व खांसी कम नहीं हो रही होती है तो उसे रेमडेसिविर दवा दी जाती है। मरीज मॉडरेट से सिविर कैटेगरी में जा रहा होता है, तभी इस दवा का प्रयोग किया जाता है। इस दवा को अमेरिका की गिलएड कंपनी बनाती है। कंपनी के पास इस दवा का पेटेंट है। भारत में कई प्रमुख कंपनियां यह दवा बना रही हैं। सरकारी व निजी कोविड केयर सेंटरों में यह दवा इस्तेमाल हो रही है। 

इनका कहना है

बाजार में दो दिन से रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं है। 30 इंजेक्शन कल आए थे, जो मेडिकल कालेज को दे दिए गए। निजी अस्पतालों में मरीजों को भी जरूरत है, मगर हम मजबूर हैं। कोशिश कर रहे हैं कि मरीजों की आवश्यकता पूरी हो जाए। जल्द इंजेक्शन मिलने की उम्मीद है।

- हेमेंद्र चौधरी, औषधि निरीक्षक।


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