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बच्चे को पढ़ाने में नियम नहीं बनेंगे अड़चन, ये अपनाएं रणनीति Aligarh News

कक्षा एक से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में बिना टीसी या प्रमाणपत्र के बिना भी बच्चों को प्रवेश देने की व्यवस्था शासन की ओर से की गई है। कोरोना काल के चलते ये व्यवस्था प्रवासी या अप्रवासी मजदूरों के परिवारों के बच्चों के लिए की गई है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 12 Mar 2021 12:59 PM (IST)Updated: Fri, 12 Mar 2021 12:59 PM (IST)
बच्चे को पढ़ाने में नियम नहीं बनेंगे अड़चन, ये अपनाएं रणनीति Aligarh News
व्यवस्था नए शैक्षिक सत्र से जिले के सरकारी स्कूलों में शुरू हो जाएगी।

अलीगढ़, जेएनएन। कक्षा एक से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में बिना टीसी या प्रमाणपत्र के बिना भी बच्चों को प्रवेश देने की व्यवस्था शासन की ओर से की गई है। कोरोना काल के चलते ये व्यवस्था प्रवासी या अप्रवासी मजदूरों के परिवारों के बच्चों के लिए की गई है। आमतौर पर नियम-कायदों के झंझट या जरूरी दस्तावेज उपलब्ध न होने से किसान व मजदूर परिवार के नन्हे-मुन्ने शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ ही नहीं पाते हैं। मजदूरी या किसानी करने वाले माता-पिता दस्तावेज जुटाने में समय भी नहीं दे पाते हैं। कई बार जानकारी के अभाव में भी वो बच्चों को पढ़ाने से चूक जाते हैं। अगर बात स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया की हो तो ये अभिभावकों के लिए टेढ़ी खीर बन जाता है जब औपचारिकताएं पूरी करने वाले दस्तावेज तैयार न हों। मगर अब सरकार ने ऐसे माता-पिता या बच्चों के लिए प्रवेश पाने के लिए औपचारिकताओं व नियमों की बाध्यता को खत्म कर दिया है। यह व्यवस्था नए शैक्षिक सत्र से जिले के सरकारी स्कूलों में शुरू हो जाएगी।

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शासन की नई व्‍यवस्‍था

कक्षा एक से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में बिना टीसी या प्रमाणपत्र के बिना भी बच्चों को प्रवेश देने की व्यवस्था शासन की ओर से की गई है। कोरोना काल के चलते ये व्यवस्था प्रवासी या अप्रवासी मजदूरों के परिवारों के बच्चों के लिए की गई है। इसके तहत गांव छोड़कर चले गए परिवारों के बच्चों के नाम भी स्कूल से काटे नहीं जाएंगे। अभिभावकों की ओर से दी जाने वाली अपेक्षित जानकारी के आधार पर ही बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश के समय दो सूचियां तैयार की जाएंगी। अाने वाले प्रवासी और जाने वाले प्रवासी। जो बच्चे गांव छोड़कर चले गए हैं उनके नाम नहीं काटकर अलग से सूची तैयार की जाएगी। बाहर से जो परिवार गांवों में आए हैं उनके बच्चों को प्रवेश देने के लिए किसी पहचान पत्र की जरूरत नहीं होगी। शासन की मंशा है कि किसी विद्यार्थी की पढ़ाई न छूटे और वो शिक्षा से वंचित न रहे। ऐसे बच्चों को प्रवेश देने के साथ ही उनको उपचारात्मक कक्षाएं यानी रेमीडियल क्लासेज का आयोजन भी किया जाएगा। कक्षाओं में पढ़ाई कराने के साथ उनको अलग से एक या दो घंटे पढ़ाई कराकर छूटा हुआ कोर्स भी पूरा कराया जाएगा।बीएसए डा.लक्ष्मीकांत पांडेय ने कहा कि शासन की ओर से ऐसी व्यवस्था करने की जानकारी हुई है। मगर इस संबंध में स्पष्ट आदेश आने के बाद प्रक्रिया को अमल में लाया जाएगा। नए सत्र से व्यवस्था लागू होने की बात कही गई है। इस संबंध में शासन से मार्गदर्शन मांगकर जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा।


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