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जैन मंदिरों में श्रीजी को कराया दंतमंजन, रोटतीज आज Aligarh news

रोटतीज उत्सव का आयोजन होगा। इस दिन महिलाएं घरों पर चूल्हा पर मिट्टी के बर्तन (हांडी) पर रोट बनाएंगी। इसके बाद भगवान को भोग लगाया जाएगा।

By Parul RawatEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 09:44 AM (IST)
जैन मंदिरों में श्रीजी को कराया दंतमंजन, रोटतीज आज Aligarh news
जैन मंदिरों में श्रीजी को कराया दंतमंजन, रोटतीज आज Aligarh news

अलीगढ़, जेएनएन। दिगंबर जैन समाज के दस लक्षण पर्व 23 अगस्त से प्रारंभ होंगे। इसकी तैयारियों को लेकर जैन मंदिरों में  बड़ी  प्रक्षाल की गई।  पाश्वनाथ  दिगंबर जैन मंदिर  खिरनीगेट   (बड़ा  जैन मंदिर) में गुरुवार को श्रीजी का दंतमंजन (24  तीर्थकरों  की सफाई) की गई। पिछले वर्षों तक यह आत्म  सुद्धि  का महापर्व  पायुर्षण  पर्व से एक दिन पहले तक यह परंपरा निभाई जाती थीं। इस बार शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए यह तीन दिन तक निभाई जाएगी। इस बीच अभिषेक व शांतिधारा भी होगी। शुक्रवार को  रोटतीज  उत्सव का आयोजन होगा। इस दिन महिलाएं घरों पर चूल्हा पर मिट्टी के बर्तन (हांडी) पर रोट बनाएंगी। इसके बाद भगवान को भोग लगाया जाएगा। बडे़ जैन मंदिर में श्रीजी को दंतमंजन के दौरान रीठा के गर्म पानी का प्रयोग किया गया। इस मौके पर पुष्पेंद्र जैन पाटनी, सुरेश कुमार जैन, मुकेश जैन, विवेक जैन मौजूद थे।

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जैन धर्म में  रोटतीज  पर्व का  बड़ा  महत्व

मंदिरों में 24 तीर्थंकरों की पूजा की जाती है। सभी जैन परिवार में शुक्रवार के दिन रोट, खीर,  पचकुटे  की सब्जी बनाई जाती है। गुरुवार को घर की रसोई में सफाई की गई।सुबह जल्द जागकर इसकी तैयारी करेंगे। दिगंबर जैन समाज ने इसकी तैयारी की है।

श्री  रोटतीज  व्रत कथा 

भारत  त्योहारों  का देश है। यहां हर दिन नित-नए त्योहार मनाए जाते हैं। एक ओर जहां हिंदू धर्म में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन  हरतालिका  तीज का पर्व मनाया जाता है, वहीं इसी दिन जैन धर्म में  रोटतीज  का त्योहार प्रत्येक जैन धर्मावलंबी के यहां मनाया जाता है। सुरेश कुमार जैन का कहना है, एक समय  विपुलाचल  पर श्री वर्धमान स्वामी  समवशरण  सहित पधारे। तब राजा  श्रेणिक  ने नमस्कार करके हाथ  जोड़कर  प्रार्थना करी, कि महाराज  रोटतीज  व्रत कैसा और इस व्रत से किसको लाभ हुआ और यह व्रत कैसे किस विधि से किया जाता है, सो कृपा करके कहो । तब वर्धमान स्वामी राजा  श्रेणिक  से कहते , भये राजन एक समय उज्जैन नगरी में एक  सागरदत्त  नाम का सेठ रहता था। उसके छप्पन  करोड़   दीनारों  की लक्ष्मी  देशांतरों  में माल भरकर उसके  प्रोहन  जाते थे। सेठ के  बर्वादी  से फिर से  स्वर्णकार्य  की कहानी घर घर में सुनाई जाएगी।

श्रृद्धालु  राजीव जैन का कहना है कि दस  लक्षणपर्व  की तैयारियां शुरू हो गई है। तीन दिनी श्रीजी दंतमंजन की आज से शुरूआत हो गई है। इस बार घरों में ही पूजा होगी। मंदिर में नियुक्त किए गए पुजारी ही जाएंगे। हम इसका पालन करेंगे।  श्रृद्धालु  रितु जैन का कहना है कि  रोटतीज  के लिए  मैने  आज रसोई में साफ सफाई की। इस पर्व की तैयारियां जरा  हटके  करनी होती हैं। हांडी बाजार से खरीदी गई है। घर पर ही चूल्हा बनाया गया है।


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