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अलीगढ़ की सियासत में रालोद का रहा है दबदबा, लेकिन अब...

सप्ताह गुजरने को है। रालोद का शीर्ष नेतृत्व नए जिलाध्यक्ष की खोज नहीं कर सका है। जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को अपना इस्तीफा भेज चुके हैं। इस पद के दावेदार दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 08:49 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 01:15 PM (IST)
अलीगढ़ की सियासत में रालोद का रहा है दबदबा, लेकिन अब...
रालोद का शीर्ष नेतृत्व नए जिलाध्यक्ष की खोज नहीं कर सका है।

अलीगढ़, जेएनएन। सप्ताह गुजरने को है। रालोद का शीर्ष नेतृत्व नए जिलाध्यक्ष की खोज नहीं कर सका है। जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को अपना इस्तीफा भेज चुके हैं। इस पद के दावेदार दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं। पार्टी से जुड़े पुराने दिग्गजों को जिला पंचायत सदस्य व अन्य त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की चिंता सता रही है। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव तक रालोद का जिले की सियासत में दबदबा रहा है।

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गायत्रीदेवी व डा.ज्ञानवती ने जीता था चुनाव

किसानों के मसीहा व पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह का अलीगढ़ की सियासत से खास जुड़ाव रहा है। तभी तो सियासतदार इगलास विधानसभा को मिनी छपरौली कहते हैं। चौ. चरण सिंह की पत्नी व चौ. अजित सिंह की मां गायत्रीदेवी इगलास से चुनाव जीती थी। डा. ज्ञानवती खैर से चुनाव जीत चुकी हैं। भले ही वह भाजपा से चुनाव जीती हों, मगर जाट बाहुल्य इस सीट पर मतदाताओं ने चौ. चरण सिंह की बेटी की हैसियत से ही बंफर बोट दिया था।

दो विधानसभा क्षेत्रों में रही  मजबूत पकड़

रालोद की इगलास व खैर विधानसभा में मजबूत पकड़ रही है। वर्ष 2007 विधानसभा चुनाव में खैर से चौ. सत्यपाल सिंह व इगलास से विमलेश चौधरी चुनाव जीती थीं। वर्ष 2009 में हुए विधानसभा व लोकसभा के नए परिसीमन ने सियासी नक्शा ही बदल दिया। जिले की हाथरस लोकसभा में शामिल अतरौली को हटाकर अलीगढ़ लोकसभा में शामिल कर लिया। इगलास व खैर सामान्य विधानसभा को सुरक्षित घोषित कर दिया। अलीगढ़ कोल सुरक्षित सीट को सामन्य सीट में बदल दिया। अलीगढ़ लोकसभा से हटाकर इगलास के हाथरस लोकसभा में शामिल कर लिया। नए आरक्षण व्यवस्था से इगलास- खैर जाट बाहूल्य सीट के चलते जाट समाज की सियासत को झटका लगा। मगर वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में हाथरस सुरक्षित सीट पर रालोद प्रत्याशी सारिका सिंह बघेल सांसद चुनी गईं। पहली बार जीत दर्ज करने के बाद रालोद की सफलता का रथ और भी तेज रफ्तार से दौड़ने लगा।

वर्ष 2012 में के विधानसभा चुनाव में रालोद ने इतिहास दोहराया

वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में रालोद ने इतिहास ही दोहरा दिया। जिले की सात विधानसभा सीट में से तीन विधानसभा सीट पर रालोद ने कब्जा किया। इनमें इगलास से त्रिलोकीराम दिवाकर, खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी व बरौली से ठा. दलवीर सिंह ने जीत दर्ज की। ठा. दलवीर सिंह ने सत्ताधारी कैबिनेट मंत्री ठा. जयवीर सिंह को चुनाव में मात दी।

रालोद का जिले की सियासत में खास दबदबा

रालोद का जिले की सियासत में खास दबदबा रहा है। ठा. दलवीर सिंह के भाजपा में जाने के बाद करारा झटका लगा है। इनके साथ खैर के पूर्व विधायक चौ. सत्यपाल सिंह व कद्​दावर नेता चौ. कल्याण सिंह भी भाजपा में चले गए। तब से अब तक पार्टी को एक के बाद एक झटका लगते जा रहे हैं। वर्ष 2019 में हुए इगलास विधानसभा उपचुनाव में रालोद की प्रत्याशी का नामांकन पत्र रद हो गया था।

ये है जिलाध्यक्ष की दौड़ में

पूर्व जिलाध्यक्ष रामबहादुर चौधरी, गोपाल सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सत्येंद्र सिंह के नाम दिए गए हैं। जिले से ऋषि चौधरी, रामबीर सिंह, राजेश ठैनुआ, देवंद्र फौजदार, अशोक फौजदार, सुरेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह ने पिछले दिनों जयंत चौधरी से मुलाकात की। जिलाध्यक्ष के लिए इन तीनों नामों पर विचार करने का अनुरोध भी किया। पूर्व विधायक भगवती प्रसाद भी जल्द से जल्द जिलाध्यक्ष की नियुक्ति की मांग कर चुके हैं। ताकि पंचायत चुनाव की तैयारी की जा सके।


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