दिल्ली के कारखानों में लगी आग से आमजन बेचैन, अलीगढ़ में नहीं हैं पुख्ता इंतजाम Aligarh News
दिल्ली में अनाज मंडी के तीन कारखानों में लगी अाग में 32 से अधिक लोगों के मरने व 54 लोगों घायल होने के बाद यहां आमजन में बेचैनी है।
अलीगढ़ [जेएनएन]। दिल्ली में अनाज मंडी के तीन कारखानों में लगी अाग में 32 से अधिक लोगों के मरने व 54 लोगों घायल होने के बाद यहां आमजन में बेचैनी है। सुबह इलेक्ट्रोनिक मीडिया व सोशल मीडिया पर खबरें आने के बाद कुछ लोग चिंतित नजर आए। क्योंकि इस तरह के कारखाने में अलीगढ़ व हाथरस में भी हैं। खास बात यह है कि अचानक इस तरह की घटनाओं से निबटने के लिए दोनों ही जनपद में पुख्ता इंतजाम नहीं है। अलीगढ़ में इस साल आग की सर्वाधिक घटनाएं देहात क्षेत्र में हुई हैं। अग्निशमन विभाग हर साल खुद को सक्षम बनाने की कवायद करता है, मगर वर्षो पुरानी हो चुकी गाडिय़ां मौके पर पहुंचने तक में हांफने लग जाती हैं।
संसाधनों से जूझ रहा विभाग
शहर का विस्तार हो रहा है और लगातार हादसे बढ़ रहे हैं, मगर अग्निशमन के रास्तों के गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं लेते। अब तक न तो दमकल गाडिय़ा बढ़ पाई हैं और न ही जनसंख्या के सापेक्ष उसमें तैनात जवान। जिले में आग की बड़ी घटनाएं होने पर अग्निशमन विभाग के इंतजाम चिंता बढ़ा देते हैं।
भवन भी कंडम
जिस भवन में फायर स्टेशन संचालित हैं, उसे कंडम घोषित किया जा चुका है। नई बिल्डिंग के लिए शासन स्तर पर प्रस्ताव भेज दिया गया है। गभाना में नए फायर स्टेशन का निर्माण शुरू हो गया है। तालानगरी में भी काम शुरू होने की उम्मीद है।
यूपी 100 की तरह जीपीएस
दमकल के देरी से पहुंचने की शिकायतों को देखते हुए विभाग ने गाडिय़ों में जीपीएस सिस्टम लगवाने के साथ रोड मैप भी तैयार किया है। ब्लाक स्तर पर गांव-गांव वालिंटियर फायर मित्र भी बनाए जा रहे हैं।
ये हैं संसाधन
अग्निशमन विभाग पर छोटी-बड़ी कुल 11 गाडिय़ां हैं, इनमें चार कंडम हैं। दो बाइक टेंडर भी हैं। बन्नादेवी स्थित मुख्यालय समेत छह फायर स्टेशन हैं, इनमें दो निर्माणाधीन हैं। विभाग के पास दो बड़े फायर टेंडर हैं, बाकी छोटे हैं। ऐसे में बड़ा हादसा होने पर नगर निगम, आरएएफ से मदद मांगी जाती है।
रेस्पांस टाइम दो मिनट
हादसे की खबर पर फायर स्टेशन से गाड़ी निकलने का रेस्पांस टाइम दो मिनट है। इसमें दमकल कर्मियों को गाड़ी स्टार्ट कर रवाना होना होता है। भीड़भाड़, जाम व खराब सड़कों के चलते दमकल देर से पहुंचती है।
दफन हुए हाईड्रेंट
शहर में जगह-जगह हाईड्रेंट प्वाइंट बनाए गए थे। मगर शहर का विकास होता गया और हाईड्रेंट प्वाइंट जमीन में दफन होते गए। हाल ये है कि अब दमकल को पानी या तो फायर स्टेशन से लेना पड़ता है या फिर अन्य संसाधनों की मदद लेनी पड़ती है। आग की दो वर्षो में हुई घटनाओं का विवरण
वर्ष, आग की घटनाएं, नुकसान, बचाव, अकेले अप्रैल में हुई घटनाएं
2017, 904, तीन करोड़ 43 लाख 29 हजार 600 रुपये, 17 करोड़ 21 लाख 96 हजार 900 रुपये, 308।
2018, 369, दो करोड़ 25 हजार, 886 रुपये, 220।
पर्याप्त स्टाफ के तैनाती की मांग
मुख्य अग्निशमन अधिकारी विवेक शर्मा का कहना है कि ओमवती, गिरधरपुर, गभाना उपलब्ध संसाधनों से ही पीडि़तों की मदद के साथ उन्हें राहत देने के प्रयास किए जाते हैं। नई गाडिय़ों व पर्याप्त स्टाफ की तैनाती की मांग की गई है।