हिंदू न मुस्लिम, शिक्षकों का धर्म है केवल राष्ट्रनिर्माण, गुरुजनों ने कर दिया साबित Aligarh news
शिक्षक का कोई धर्म कोई मजहब नहीं होता है। शिक्षा का कोई विशेष मंदिर नहीं होता। विद्यालय ही शिक्षा का मंदिर होता है और ज्ञान बांटकर राष्ट्र निर्माण करना हर शिक्षक का एकमात्र धर्म होता है। हिंदू-मुस्लिम सिख-इसाई इन सभी जाति वर्ग आदि के बंधनों में शिक्षक नहीं बंधते है।
अलीगढ़, जेएनएन। शिक्षक का कोई धर्म कोई मजहब नहीं होता है। शिक्षा का कोई विशेष मंदिर नहीं होता। विद्यालय ही शिक्षा का मंदिर होता है और ज्ञान बांटकर राष्ट्र निर्माण करना हर शिक्षक का एकमात्र धर्म होता है। हिंदू-मुस्लिम, सिख-इसाई इन सभी जाति, वर्ग आदि के बंधनों में शिक्षक नहीं बंधते है। इसकी मिसाल अलीगढ़ में पेश की गई है। नवरात्रि व रमजान पर्व एक साथ चल रहे हैं, ऐसे में हिंदू हो या मुस्लिम हर किसी को एक-दूसरे का ख्याल रखने की जरूरत है। अलीगढ़ में ऐसा किया भी जा रहा है। ये हर वर्ग व धर्म के लोगों के लिए मिसाल से कम नहीं है। इसकी एक बानगी जब अफसरों के सामने पहुंची तो वो भी आपस में चर्चा करने से नहीं चूके, कि ऐसे माहौल से ही शिक्षा को ऊंचाई मिलती है।
शिक्षकों को बुलाया जा रहा स्कूल
दरअसल, कक्षा एक से आठ तक के सरकारी स्कूलों का समय सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक किया गया है। अभी रमजान का महीना चल रहा है और कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकाेप के चलते विद्यालयों को बंद रखने का फैसला भी शासन की ओर से किया गया है। शिक्षकों को स्कूल बुलाया जरूर जा रहा है लेकिन शिक्षण कार्य कराने के लिए नहीं बल्कि विद्यालयों मेें जरूरी काम कराने व मिशन कायाकल्प के तहत बचे हुए कामों को पूरा कराने के लिए बुलाया जा रहा है। रमजान के महीने मेें मुस्लिम शिक्षकों व शिक्षिकाओं का रोजा चलता है। गर्मी के सीजन मेें अब सुबह आठ बजे से ही भीषण धूप होनी शुरू हो जाती है। ऐसे मेें शिक्षकों ने स्कूल के समय में परिवर्तन की मांग को अफसरों के सामने लिखित में रखा।
मुस्लिमों को रोजा रखने में दिक्कत
उत्तरप्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. प्रशांत शर्मा, जिलामंत्री डा. इंद्रजीत सिंह आदि शिक्षकों ने बीएसए के सामने मांग रखी कि रमजान के महीने में रोजा रखने वाले मुस्लिम साथियों को काफी दिक्कत होती है। इसलिए उनको सुकून मिले, इसलिए मांग की जा रही है कि स्कूल का समय आठ से 11 बजे तक कर दिया जाए। जिससे मुस्लिम शिक्षक-शिक्षिकाओं को दोपहर 12 बजे की चटक धूप होने से पहले ही घर जाने का मौका मिल जाए। प्रशांत शर्मा ने कहा कि बीएसए को पत्र लिखकर विद्यालय के समय को बदलने की मांग की गई है। कहा कि स्कूलों में शिक्षण कार्य तो हाे नहीं रहा है। सुबह तीन घंटे शिक्षक स्कूल आकर जो जरूरी काम होंगे वो कर लेंगे। मगर मुस्लिम शिक्षक भाइयों को भी रमजान के महीने में राहत मिल जाएगी। बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय ने कहा कि शिक्षकों का ज्ञापन प्राप्त हुआ है। समय में बदलाव शासनस्तर से किया गया है। इसको स्थानीय स्तर से परिवर्तित करना उचित नहीं होगा। मगर शिक्षक हित मेें शासन से मार्गदर्शन मांगा है, संभावना होगी तो राहत जरूरी दी जाएगी।