राजाराम के पढ़ाई के जज्बे ने पिघला दीं सलाखें, जेल में किए 17 कोर्स
अलीगढ़ जिला जेल में उम्रकैद काट रहे राजाराम (55) ने पढ़ाई में ऐसा जज्बा दिखाया कि सलाखें भी आड़े नहीं आईं। जेल में रहकर वे 17 कोर्स कर चुके हैैं।
अलीगढ़ (लोकेश शर्मा)। अगर जज्बा है तो मंजिलें भी आसान हो जाती हैं। अलीगढ़ जिला जेल में उम्रकैद काट रहे राजाराम (55) ने पढ़ाई में ऐसा जज्बा दिखाया कि सलाखें भी आड़े नहीं आईं। जेल में रहकर वे 17 कोर्स कर चुके हैैं। आपदा प्रबंधन, मानवाधिकार, खाद्य व पोषण, डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज में भी अच्छे अंक लाकर सफलता पाई। जेल अधिकारी इनका नाम लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भेजने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहला कैदी जिसने इतने कोर्स जेल में रहकर किए।
दोहरे हत्याकांड में हुई सजा
अलीगढ़ से करीब 15 किलोमीटर दूर कस्बा जवां के गांव नगौला निवासी राजाराम को 29 मई-2005 में विजयगढ़ के दोहरे हत्याकांड में दोषी पाया गया था। ये हत्याएं ट्रैक्टर लूट का विरोध करने पर हुई थीं। एडीजे- 11 की कोर्ट ने 29 सितंबर-13 को राजाराम समेत दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुना दी, तभी से वह जेल में हैं। 1983 में राजाराम ने इंटरमीडिएट कर पढ़ाई छोड़ दी थी। अब फिर जुनून जागा। परिवार में पत्नी राजेश्वरी व पांच बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी 18 साल की हैं, जो पढ़ाई से दूर है और अपनी मां के साथ खेती व मजदूरी में हाथ बंटाती है।
जेल में रहकर किए ये कोर्स
- बेचलर ऑफ आर्ट (बीए)
- बैचलर इन प्रिपरेटरी प्रोग्राम (बीपीपी)
- डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडी (डीटीएस)
- डिप्लोमा इन पैरालीगल प्रैक्टिस (डीआइपीपी)
- सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट (सीडीएम)
- सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन एनजीओ मैनेजमेंट (सीएनएम)
- सर्टिफिकेट इन एचआइबी इन फैमिली एजुकेशन (सीएएफइ)
- सर्टिफिकेट इन फूड एंड न्यूट्रिशन (सीएफएन)
- सर्टिफिकेट इन ह्यूमन राइट्स (सीएचआर)
- सर्टिफिकेट इन एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग (सीएएचटी)
- सर्टिफिकेट इन गाइडेंस (सीएचजी)
- सर्टिफिकेट इन टूरिज्म स्टडी (सीटीएस)
- सर्टिफिकेट इन कोऑपरेशन एंड बिजनेस लॉ (सीसीबीएल)
- सर्टिफिकेट इन एन्वायरमेंटल स्टडीज (सीइएस)
- सर्टिफिकेट इन न्यूट्रिशन एंड चाइल्ड केयर (सीएनसीसी)
- सर्टिफिकेट इन हेल्थ केयर वेस्ट मैनेजमेंट (सीएचसीडब्ल्यूएम)
- डिप्लोमा इन एचआइबी एंड फैमिली एजुकेशन (डीएचएफई)
2015-16 में 1468 साक्षर
जेल में 2015-16 के सत्र में 1468 बंदी साक्षर हुए थे, ये रिकार्ड है। इनमें से 36 ने हाईस्कूल व 48 ने इंटर की परीक्षाएं दीं। सत्र 2016-17 में 1100 बंदी साक्षर हुए। इनमें 33 महिला बंदी थीं। 455 बंदियों ने बीपीपी कोर्स किया।
प्राइमरी में पंजीकरण
कक्षा,पंजीकरण
पांच, 40
छह, 25
सात, 23
आठ, 22
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उच्च शिक्षा में पंजीकरण
बीपीपी, 541
बीए,16
एमकॉम,एक
डिप्लोमा कोर्स,10
सर्टिफिकेट कोर्स, 22
दूसरे लोगों को करूंगा साक्षर
कैदी राजाराम का कहना है कि इंटर के बाद में पढ़ नहीं सका था। अब मौका मिला है तो इग्नू के माध्यम से पढ़ाई दोबारा शुरू की। रिहा होकर अपनी बेटियों व शिक्षा से दूर दूसरे लोगों को साक्षर करूंगा, ताकि वे शिक्षित होकर वे अपने पैरों पर खड़ा हो सकें।
अपराध से दूर रहें कैदी
वरिष्ठ जेल अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि कैदियों को हम पढऩे के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे वे अपराध से दूर रहकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। इस उद्देश्य के लिए जो हो सकेगा करेंगे।=