दो रुपये सालाना के लीज पर राजा ने दी थी एएमयू को ये जमीन
जिस जमीन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का सिटी स्कूल है वह मुरसान नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दो रुपए सालाना के हिसाब से 90 साल के लिए लीज पर दी थी।
अलीगढ़ [संतोष शर्मा] : जीटी रोड पर तहसील के पास जिस जमीन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का सिटी स्कूल है, वह मुरसान नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दो रुपए सालाना के हिसाब से 90 साल के लिए लीज पर दी थी। ढाई साल पहले लीज खत्म हो गई है। राजा के प्रपौत्र चरत प्रताप सिंह ने एएमयू से जमीन के बदले राजा के नाम पर स्कूल का नाम रखने का प्रस्ताव दिया था। सोमवार को हुई एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में इस पर फैसला लेने के लिए कुलपति को अधिकृत किया है। जानकारों का मानना है कि एएमयू अपने पूर्व छात्र यानि राजा के नाम को भुलाना नहीं चाहेगी। उनके नाम पर स्कूल का नाम होना लगभग तय माना जा रहा है।
स्कूल का नाम रख दिया जाए
यह प्रतिष्ठित स्कूल है। इसमें अधिकतर शहर के छात्र पढ़ते हैं। 3.8 एकड़ जमीन में बना हुआ है। इसका एक बड़ा हिस्सा तिकोना जमीन के रूप में खेल का मैदान है। राजा ने 1929 में इस जमीन को लीज पर दिया था। इस पूरी जमीन की कीमत अब के सॢकल रेट के हिसाब से 55 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। राजा के प्रपौत्र का प्रस्ताव यह भी है कि तिकौनी जमीन को वापस कर दिया जाए। जिस जमीन पर स्कूल बना है उसके बदले में राजा के नाम पर स्कूल का नाम रख दिया जाए।
एएमयू से गहरा नाता
राजा महेंद्र प्रताप व एएमयू का गहरा नाता रहा है। राजा ने मुहम्मडन एंग्लो ओरियंटल (एमएओ) कॉलेज में 12वीं की परीक्षा पास की थी। बीए करने के दौरान ही वह चले गए। बाद में अफगानिस्तान में उन्होंने अपदस्त सरकार बनाई। इंतजामिया ने सात जनवरी 1977 में एमएओ कॉलेज के सालाना जलसे में राजा साहब को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया था। इसमें उन्हें सम्मानित भी किया। एएमयू में राजा का यह दौरा अंतिम था। 29 अप्रैल 1979 में उनका निधन हो गया।
1895 में हुआ था दाखिला
एक दिसंबर 1886 में जन्मे राजा महेंद्र प्रताप को गोद लेने के वाले हाथरस के राजा घनश्याम सिंह ने उन्हेंं पढऩे के लिए 1895 में अलीगढ़ में गवर्मेंट हाईस्कूल (नौरंगीलाल इंटर कॉलेज) भेजा था। लेकिन, उसी साल महेंद्र प्रताप का दाखिला एमएओ कॉलेज में करा दिया गया। ऐसा सर सैयद के आग्रह पर हुआ। दरअसल, सर सैयद व राजा घनश्याम सिंह अच्छे मित्र थे। महेंद्र प्रताप अलग हॉस्टल में राजाशाही ठाठ से रहते थे। 10 नौकर भी उनके साथ रहते थेे।
मैं चाहता हूं तुम तरक्की करो
राजा महेंद्र प्रताप को बचपन में कई खेल पसंद थे, लेकिन उन्हेंं गुल्ली-डंडा का शौक ज्यादा था। इसका जिक्र उन्होंने आत्मकथा 'माई लाइफ स्टोरीÓ में किया है। इसमें लिखा है कि उनके हेडमास्टर सलाह देते थे कि पैसा बर्बाद मत करो, नहीं तो एक दिन भिखारी बन जाओगे। कॉलेज में एक बार राजा साथी छात्रों के साथ खेल रहे थे, तब सर सैयद ने उनसे कहा था, 'मैं चाहता हूं कि तुम तरक्की करोÓ। राजा ने 1909 में वृंदावन (मथुरा) में प्रेम महाविद्यालय (पीएमवी) की स्थापना की थी, तब उन्होंने पांच गांव दान में भी दिए। गुरुकुल वृंदावन, डीएस कॉलेज, एसवी कॉलेज, कायस्थ पाठशाला व बीएचयू को भी जगह दी थी।