भू्गर्भ जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली अनिवार्य Aligarh news
सामाजिक संगठन आहुति के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने मांग कि प्रशासन को भूगर्भ जल की बर्बादी के लिए सभी आवश्यक उपायों पर विचार कर एक स्थाई नियंत्रण दल बनाए।
अलीगढ़, जेएनएन। भूगर्भ जल संरक्षण सप्ताह के अवसर पर जल संरक्षण के लिए प्रयासरत सामाजिक संगठन आहुति के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने शहरवासियाें से भूगर्भ जल संरक्षण करने की आव्हान किया। आहुति संगठन ने उत्तरप्रदेश शासन से मांग की है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की अनिवार्यता, जो वर्तमान में 300 मीटर व उससे बड़े भवनों पर लागू है, उसे घटा कर 200 मीटर कर दिया जाए, जिस पर शासन द्वारा मंथन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ना केवल भूगर्भ जल का अत्याधिक शोधन हो रहा है, बल्कि इसका उपयोग पेयजल के साथ ही अन्य सभी प्रयोगों के लिए भी हो रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। पोखरों, तालाबों को विकसित कर भूगर्भ जल को संचित किया जा सकता है। इसके साथ ही भूगर्भ जल की मात्रा व गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है।
भुगर्भ जल संरक्षण के लिए लेने होंगे कठोर निर्णय
शासन प्रशासन से अधिक आम-जन को भूगर्भ जल संरक्ष्ण के लिए आगे आना होगा, क्योंकि समाज के संकल्प के बिना इस लक्ष्य की प्राप्ति असंभव है। भूगर्भ जल संरक्षण के लिए पौधरोपण एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने मांग कि प्रशासन को भूगर्भ जल की बर्बादी के लिए सभी आवश्यक उपायों पर विचार कर, एक स्थाई नियंत्रण दल बनाए। अशोक चौधरी ने उप्र शासन शासन द्वारा आहुति संगठन द्वारा वर्षों से की जा रही मांगों को स्वीकार करने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि भूगर्भ जल (प्रबन्धन व विनियम ) अधिनियम 2019 में संशोधन कर विगत 25 फरवरी 2020 को पारित शासनादेश के माध्यम से भुगर्भ जल संरक्षण के लिए कुछ कठोर व व्यवहारिक निर्णय भी किये गए हैं। भूगर्भ जल का घरेलु उपयोग व ओद्योगिक सभी प्रकार उपभोक्ताओं को पंजीयन व वर्षाजल संचयक लगाना अनिवार्य कर दिया है। आहुति संगठन ने योगी सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए मांग की कि इन प्रावधानों का व्यवहारिक रूप से पालन करना चाहिए। प्राशासन व संबंधित विभाग को स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस शासनादेश में सरकारी, अर्धसरकारी, प्राधिकरण, सहायता प्राप्त संस्थाओं, सार्वजिनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी संस्थाओं व संगठनों जिन पर 300 वर्ग मीटर के भूखंड हो, पर वर्षा जल संचयक अनिवार्य कर दिया गया है।