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प्रोफेसर एमरेट्स प्रो. इरफान हबीब बोले, हिंदू धर्म को मनुस्मृति पर आधारित मानना सही नहीं

एएमयू के प्रोफेसर एमरेट्स प्रो.इरफान हबीब ने कहा कि कुछ विद्वानों का इस्लाम धर्म को पूर्णत: बाहरी तथा हिंदू धर्म को पूर्णत: मनुस्मृति पर आधारित मानना सही नहीं हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 08:14 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 09:04 AM (IST)
प्रोफेसर एमरेट्स प्रो. इरफान हबीब बोले, हिंदू धर्म को मनुस्मृति पर आधारित मानना सही नहीं
प्रोफेसर एमरेट्स प्रो. इरफान हबीब बोले, हिंदू धर्म को मनुस्मृति पर आधारित मानना सही नहीं

अलीगढ़ (जेएनएन)। एएमयू के प्रोफेसर एमरेट्स प्रो.इरफान हबीब ने कहा कि इस्लाम व हिंदू धर्मों का जो स्वरूप आज हमारे सामने है वह आठवीं या तेरहवीं शताब्दी में वैसा नहीं था। कुछ विद्वानों का इस्लाम धर्म को पूर्णत: बाहरी तथा हिंदू धर्म को पूर्णत: मनुस्मृति पर आधारित मानना सही नहीं हैं।

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हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सदभावना की भूमिका निभाई

प्रो. इरफान हबीब एएमयू के सेंटर ऑफ  एडवांस स्टडी ऑफ  हिस्ट्री की ओर से आर्ट फैकल्टी लॉज में 'मध्यकालीन भारत में मतभेद एवं सहयोग' विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। 'धर्म तथा मध्य कालीन विचारधारा का समायोजन' विषय पर कहा कि इस बात का भी कोई सुबूत नहीं है कि मुसलमानों में दासता मौजूद नहीं थी। राजाराम मोहन राय की  प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सदभावना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इतिहासकार जनता को यथार्थ पर आधारित इतिहास का बोध कराएं

कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि इतिहास की अनुपस्थिति में मानव जीवन में शून्य ही है। इतिहासविदों के लिए आवश्यक है कि वह जनता को यथार्थ पर आधारित इतिहास का बोध कराएं, क्यों कि इसी आधार पर लोकमत का निर्माण होता है। प्रो. मंसूर ने संपादक लुबना इरफान व सह संपादक जैनब नकवी द्वारा संपादित बुलेटिन ऑफ  सुलतानियां हिस्ट्रोरीकल सोसाइटी के नवीन अंक का लोकार्पण किया। प्रो. शीरीं मूसवी ने कहा कि मुहम्मद बिन कासिम ने जब सिंध पर आक्रमण किया तो अल हच्जाज ने उसे निर्देश दिया था कि वह मंदिरों को बरबाद न करे। यदि लोग कर देने को तैयार हों तो उनके जान-माल से छेड़छाड़ न की जाए। इतिहास विभाग के अध्यक्ष व सीएएस के समन्वयक प्रो. अली नदीम रजावी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि मध्यकालीन भारत के इतिहास को सामान्यत: द्वंद के युग के रूप में देखा जाता है। जो पूर्णत: सही नहीं है। अध्यक्षता प्रो. पुष्प प्रसाद ने की।


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