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अलीगढ़ में प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत, संघर्ष जारी रखने का एलान

तीन कृषि कानून वापसी की घोषणा पर मिठाई बांटी ढोल बजे व आतिशबाजी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 02:14 AM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 02:14 AM (IST)
अलीगढ़ में प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत, संघर्ष जारी रखने का एलान

जासं, अलीगढ़ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का किसान संगठनों ने स्वागत किया है। शुक्रवार को जगह-जगह मिठाई बांटी गईं, ढोल-नगाड़े बजे, आतिशबाजी की गई। एमएसपी, मृत किसानों के स्वजन को मुआवजा व किसान आयोग के गठन समेत अन्य मुद्दों पर संघर्ष जारी रखने का एलान भी किया। हर राजनीतिक दल सरकार के फैसले का श्रेय लेने की कोशिश में लगा है। सपा के जिला कार्यालय पर जुटे कार्यकर्ता एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। सपाइयों का कहना है कि अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा के चलते फैसला वापस लिया गया है। कांग्रेस, बसपा व अन्य संगठनों की भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं हैं।

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केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लाई थी, जिसके विरोध में आंदोलन शुरू हुआ। इसका हिस्सा अलीगढ़ के किसान संगठन भी बने। भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा और इनसे जुड़े तमाम किसान संगठनों की जिला इकाइयों ने जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किए, ट्रैक्टर रैलियां निकालीं। भाकियू (स्वराज) के बैनर तले आलमपुर चौराहा पर धरना चला। पान दरीबा स्थित किसान-मजदूर एकता भवन में हुई बैठक में किसान नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस निर्णय से सिद्ध होता है ये कानून किसानों के खिलाफ हैं। मजदूर एकजुटता मंच के सुरेशपाल सिंह ने कहा कि ये कानून खेतिहर मजदूरों को अधिक प्रभावित करते हैं। किसान नेता अशोक शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कानून वापस लेने की घोषणा कर सही निर्णय लिया है। 11 माह से गौंडा के गांधी मैदान व पींजरी पशु पैठ में धरने पर बैठे किसानों ने मिठाई बांटी। इस मौके पर जगराम मनेरा, धर्मवीर सिंह, प्रहलाद सिंह, मा. केवल सिंह, जगपाल सिंह मौजूद थे। प्रतिष्ठा आइएएस अकादमी के निदेशक डीआर यादव का कहना है कि कृषि कानून वापस लेने के निर्णय का स्वागत है। किसानों का ध्यान रखना सरकार की जिम्मेदारी है। जिनके परिवार उजड़ गए, उसकी भरपाई कैसे होगी। यह निर्णय पहले ही ले लिया जाता तो किसानों के परिवार नहीं बिगड़ते।

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22 को लखनऊ में महापंचायत

संयुक्त किसान मोर्चा के जिला संयोजक शशिकांत ने बताया कि 22 नवंबर को लखनऊ स्थित ईको गार्डन में किसान-मजदूर महापंचायत होगी। इसमें सभी किसान संगठन शामिल होंगे। अलीगढ़ से करीब पांच हजार किसान व पदाधिकारी शामिल होंगे। इसमें आगे की रणनीति तय होगी।

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सरकार की नैतिक हार : बिजेंद्र

पूर्व सांसद व सपा नेता बिजेंद्र सिंह ने पत्रकार वार्ता में कहा कि सरकार की नैतिक हार हुई है। कृषि कानून वापस ही लेने थे तो इतना समय क्यों लगाया? प्रधानमंत्री को जब लगने लगा कि उत्तर प्रदेश की सत्ता हाथ से जाने वाली है और अखिलेश यादव भी विजय रथ यात्रा लेकर निकल गए हैं, जिसमें जन सैलाब उमड़ रहा है, इस डर से कृषि कानून वापस लिए गए। हम सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन एमएसपी, किसान आयोग, मृत किसानों के स्वजन को दो-दो करोड़ रुपये मुआवजे के मुद्दे पर किसानों के साथ संघर्ष जारी रखेंगे।

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मना जश्न, जलाए दीये

क्वार्सी बाईपास स्थित सपा कार्यालय पर जश्न का माहौल था। पार्टीजनों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। पूर्व विधायक जफर आलम ने कहा कि मृत किसानों के स्वजन को सरकार मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे। मृत किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए। कार्यालय पर देरशाम दीये जलाए गए। इस अवसर पर अहमद सईद सिद्दीकी, कृपाल सिंह यादव, विजय प्रजापति आदि थे। सपा व्यापार सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अतीत अग्रवाल के नेतृत्व में ढोल-नगाड़े बजाकर खुशियां मनाई गईं। गौंडा, पिसावा, अतरौली, इगलास आदि क्षेत्रों में भी किसान नेताओं ने खुशी मनाई।

कांग्रेसियों में खुशी

किसान कानूनों को वापस लेने पर कांग्रेसी नेता गदगद नजर आए। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पूर्व विधायक विवेक बंसल के कैंप कार्यालय मैरिस रोड पर मिठाई वितरित कर खुशी मनाई गई। उन्होंने कहा कि जब भाजपा नेतृत्व को एहसास हुआ कि कुछ माह बाद उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में नुकसान होने वाला है तो प्रधानमंत्री कानून वापसी की घोषणा कर दी है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर किसानों के साथ शुरूसे ही थी। वरिष्ठ नेता मनोज सक्सेना ने कहा कि यदि सरकार पहले ही यह फैसला ले लेती तो इतने किसानों की जान न जाती। प्रदेश सचिव अखिलेश शर्मा ने कहा, यह किसानों की जीत है। कांग्रेसी नेत्री डा. ऋचा शर्मा ने कहा कि सत्य की जीत है। वरिष्ठ नेता ब्रजराज सिंह राना ने मृतक किसानों को शहीद का दर्जा देने की मांग की। वरिष्ठ नेत्री रूही जुबैरी ने कहा कि आखिरकार जनता की आवाज पर सरकार को झुकना ही पड़ा।

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सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इन कानूनों को निलंबित कर रखा था। प्रधानमंत्री को लगा कि तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो इसका भाजपा को बड़ा राजनीतिक नुकसान होगा। पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए कानून वापस लिए गए।

अशोक प्रकाश, जिला संयोजक बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन कृषि कानूनों के विरोध में किसान शहीद तक हो गए। सरकार के रवैये से ही कई शहादत हुईं। लखीमपुर प्रकरण में केंद्रीय मंत्री को पद से हटाया जाए।

जितेंद्र शर्मा, जिलाध्यक्ष भाकियू (स्वराज) तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा का हम स्वागत करता हैं। कसानों की एक मुख्य मांग कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी भी है। प्रधानमंत्री को उसकी भी घोषणा कर देनी चाहिए।

मुकेश कुमार, जिला संयोजक मजदूर एकजुटता मंच ...

सरकार की इस घोषणा ने साबित कर दिया कि लोकतांत्रिक ढंग से किए गए आंदोलन को किसी भी तरह दबाया नहीं जा सकता। किसानों की एकता, संघर्ष और बलिदान आखिरकार रंग लाया है।

इरफान अंसारी, अखिल भारतीय किसान सभा किसानों को संसद में इन कानूनों के रद्द होने का इंतजार रहेगा। एमएसपी, बिजली संसोधन विधेयक, गृहराज्य मंत्री की बर्खास्तगी आदि मांगों को लेकर आंदोलन अभी जारी रहेगा।

शशिकांत, जिला संयोजक संयुक्त किसान मोर्चा कृषि कानूनों की वापस के निर्णय पर संगठन प्रधानमंत्री का हृदय से अभिनंदन करता है। साथ में मांग भी करता है कि 75 सालों की किसान विरोधी नीतियों के कारण जो किसान कर्जदार हैं, उनका संपूर्ण कर्ज माफ किया जाए।

डा. शैलेंद्र पाल सिंह, प्रदेश महासचिव भाकियू (भानू) भाजपा सरकार के लिए किसानों की भावनाएं व उनके हित सर्वोपरि हैं। कृषि कानून छोटे किसानों के हित के लिए लाए गए थे। यदि किसान असहमत रहे हैं तो प्रधानमंत्री ने वापस लेने की घोषणा कर दी है। किसानों के कंधों का जो इस्तेमाल कर रहे थे, अब उन्हें समझ में आएगा।

ऋषिपाल सिंह, जिलाध्यक्ष भाजपा प्रधानमंत्री पहले ही कानून वापस लेने की घोषण कर देते तो 700 किसानों की जान न जाती। जिन लोगों की वजह से ये हुआ, क्या उन पर केस चलेगा? मृत किसानों को शहीदों का दर्जा दिया जाएगा।

गिरीश यादव, सपा जिलाध्यक्ष एक तानाशाह सरकार का अहंकार टूटा है। प्रधानमंत्री हर उस किसान की मौत के लिए जिम्मेदार हैं, जिनकी 14 माह के आंदोलन में मृत्यु हुई। चुनाव में हार के डर से कृषि कानूनों को वापस लिया गया।

संतोष सिंह जादौन, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सरकार ने ये निर्णय पहले लिया होता तो आंदोलन के दौरान इतने किसानों की मौत नहीं होती। पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा मिले और एक सदस्य को सरकार नौकरी दे।

रतनदीप सिंह, बसपा जिलाध्यक्ष देश का किसान एक कदम जीत की ओर बढ़ा है। किसानों के देशव्यापी इस आंदोलन में समय-समय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी पहुंचे।

कालीचरन सिंह, जिलाध्यक्ष, रालोद

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सकारात्मक पहल

भाजपा महानगर अध्यक्ष विवेक सारस्वत ने कहा कि पीएम मोदी की यह सकारात्मक पहल है। पीएम किसानों के कल्याण के लिए हर कदम उठाने को तैयार रहते हैं। उनका लक्ष्य किसानों की स्थिति को सुधारना है। विपक्ष किसानों का गुमराह करने की कोशिश करता रहा है, किसानों के हित में विपक्ष ने कभी कोई काम नहीं किया है। आंदोलन के पीछे भी विपक्ष का बड़ा हाथ था।

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पीएम की सकरात्मक पहल का परिणाम

एमएलसी व पूर्व कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सकारात्मक पहल का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि किसान कल्याण के लिए पीएम हर कदम उठाने को तैयार हैं। उन्होंने विपक्षियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। कहा, अब किसान विपक्षियों की बातों में आने वाले नहीं हैं।


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