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अलीगढ़ में गणेश महोत्सव की तैयारियां शुरू, राजस्थान से आए कारीगरों ने मूर्तियां बनानी शुरू कर दी

राजस्थान से आए कारीगरों ने भगवान गणेश की मूर्तियां बनानी शुरू कर दी है। शहर में जीटी रोड और आगरा रोड पर रुसा हास्पिटल के निकट मूर्तियां बनाई जा रही हैं। सबसे ऊंची आठ फिट की प्रतिमा भी बनाई जा रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 10:54 AM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 10:54 AM (IST)
अलीगढ़ में गणेश महोत्सव की तैयारियां शुरू, राजस्थान से आए कारीगरों ने मूर्तियां बनानी शुरू कर दी
गणेश महोत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से हो रही है।

अलीगढ़, जेएनएन। गणेश महोत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से हो रही है। पूरे देश में गणेश महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसे में जिले में गणपति बप्पा मोरया के जयकारे गूंजेंगे। भक्तों ने तैयारियां शुरू कर दिया है। राजस्थान से आए कारीगरों ने भगवान गणेश की मूर्तियां बनानी शुरू कर दी है। शहर में जीटी रोड और आगरा रोड पर रुसा हास्पिटल के निकट मूर्तियां बनाई जा रही हैं। सबसे ऊंची आठ फिट की प्रतिमा भी बनाई जा रही है। कारीगर शिद्दत से मूर्तियों और प्रतिमाओं में रंग भर रहे हैं।

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गणेश महोत्‍सव की तैयारी शुरू

कभी महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाने वाला गणेश महोत्सव अब पूरे देश में मनाया जाता है। शहर में भी गणेश उत्सव घर-घर मनाया जाता है। लोग घरों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं। शहर में एक दर्जन स्थानों पर विशाल कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, मगर कोरोना के चलते पिछले साल कार्यक्रम नहीं हो सकें। इस बार संभावना जताई जा रही है कि गणेश महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इसे देखते हुए राजस्थान से कारीगर आ गए हैं। रुसा हास्पिटल के सामने कारीगर गणेश ने बताया कि हर साल वो जुलाई के अंतिम सप्ताह में आ जाते हैं। यहां चार महीने करीब रहते हैं। इस बार गणेश भगवान की छोटी मूर्तियों को अधिक बना रहे हैं, क्योंकि बड़े कार्यक्रमों के होनी संभावना कम होगी। गणेश ने बताया कि प्रतिमाओं को अंतिम रुप दिया जा रहा है। रंगरोगन करने के बाद यह तैयार हो जाएंगी। कारीगर गीता बताती हैं कि यदि सही से मूर्तियां बिक जाएं तो सालभर का खर्च चल जाता है। इसलिए पूरे परिवार के साथ वो चार महीने के लिए राजस्थान से आती हैं। इस समय नौ कारीगर दिन रात प्रतिमाएं बनवाने में जुटे हुए हैं।

शहर में ऐसे हुई शुरुआत

शहर में गणेश महोत्सव की शुरुआत अचलताल स्थित गणेश मंदिर से हुई। मंदिर के महंत विनयनाथ बताते हैं कि उनके गुरु 50 साल पहले मुंबई से छोटी सी गणेश प्रतिमा लेकर आए थे। उन्होंने गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा का नगर भ्रमण कराया था। बैलगाड़ी में उस समय सवारी निकाली थी। महाराज जी गोद में प्रतिमा को लेकर बैठे थे। शहर के लोगों ने फूलों की बारिश की थी। भगवान गणेश के जयकारों से अचलताल पूरा गूंज उठा था, उसी के बाद से गणेश महोत्सव की शुुरुआत हुई।

बाहर से भी आते हैं लोग

राजस्थान के कारीगरों के द्वारा बनाई गई मूर्तियों के अन्य जिलों के लोग भी मुरीद हैं। इसलिए बुलंदशहर, कासगंज, हाथरस तक से लोग यहां खरीदने आते थे। तमाम लोग हैं, जो आर्डर देकर साठ से 10 फिट लंबी प्रतिमा का निर्माण कराते हैं।


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