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सर्द मौसम में गरमाई राजनीति, बातों बातों में कब कट गया सफर किसी को पता ही नहीं चला

UP Assembly Elections 2022 हाथरस सिटी जंक्‍शन से ट्रेन पर चढ़े यात्रियों ने भी चुनाव पर खूब चर्चा की अपनी अपनी बातों को बेबाकी से रखते मुसाफिरों का सफर कब कट गया किसी को पता ही नहीं चला।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 12:50 PM (IST)
सर्द मौसम में गरमाई राजनीति, बातों बातों में कब कट गया सफर किसी को पता ही नहीं चला
भरतपुर से कासगंज जाने वाली ट्रेन में यात्रियों ने चुनाव पर चर्चा की।

एआरएस आजाद/नवीन कुलश्रेष्ठ, हाथरस। घना कोहरा, शीत लहर और आसमान से गिरती ओस की बूंदें। हालात कैसे भी हों, पर जीवन का सफर भला ठहरता कब है। शुक्रवार की सुबह सर्दी से कांपते लोग हाथरस सिटी स्टेशन पर कम न थे। ट्रेन के चलते ही माहौल भी गरमा गया। भला सफर कोई चुप होकर कर सकता है। बात शुरू हुई तो चुनावी हो गई। चौं भइया का चल रौ है? सवाल उछलते ही जवाब था देखौ। अबकी का खेल होवै। इसके बाद शुरू हुई बातचीत कुछ ही देर में चुनावी बहस में बदल गई। सबके अपने तर्क, हारजीत के आकड़े और गुण-दोष की लिस्ट अलग-अलग थी। लेकिन, जब विकास की बात आई तो सभी यह कहते हुए एक मत दिखे कि पतौ नाय कब पटरी पै दौड़ेगी विकास की रेल।

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रेलवे प्‍लेटफार्म पर ही चुनावी चर्चा

सुबह करीब पौने नौ बजे थे। 9.10 बजे आने वाली भरतपुर-कासगंज यात्री ट्रेन के लिए यात्रियों का आना शुरू हो चुका था। कोई चाय की दुकान पर तो कोई स्टेशन पास अलाव तापने लगा। ट्रेन लेट होती गई। 40 मिनट देरी से आने की अनाउंसमेंट हुआ। ठंड में ठिठुरते यात्रियों का इंतजार 9:55 बजे खत्म हुआ। सीट घेरने की जल्दी में सभी ट्रेन की ओर दौड़ पड़े। यहां से 140 यात्री सवार हुए। दो मिनट बाद ही ट्रेन की सिटी बजते ही अंदर सन्नाटा टूटने लगा। मजाक के लहजे में शुरू हुई बातचीत चुनावी चर्चा में बदल गयी। इनमें स्थानीय और प्रदेश स्तरीय मुद्दे भी शामिल थे। तर्क राम मंदिर से लेकर सरकार की लाभकारी योजनाओं तक दिए गए, जिनके जवाब में किसानों की दिक्कतों के तर्क से दिए जा रहे थे। पेंशन और बेरोजगारी को लेकर तंज भी कसे जा रहे थे। इस बीच हाथरस के सुशील जैन कानून व्यवस्था बताने लगे। बोले, इस सरकार में बदमाशों के आतंक कम रहा है। व्यापारी इससे बहुत प्रताड़ित रहते थे। महंगाई जरूर है, लेकिन टैक्स में वृद्धि से ही देश का विकास होगा। इस पर सहमति जताते हुए कायमगंज के आनंद कुमार बोले, भाजपा सरकार ने सबसे बड़ा वादा राममंदिर का किया था, जो कि पूरा करके दिखाया है। अयोध्या में वर्षाें बाद भव्य राम मंदिर बन रहा है। काशी विश्वनाथ का मंदिर भी देखने-दिखाने लायक होगा। तभी बात काटते हुए सिकंदराराऊ के चित्रपुर गांव की चमेली देवी बोली, कोराेना की मार में अच्छे-अच्छेन की नौकरी चली गई। रोटी के लाले पड़ गए हैं। कोहरे के बीच छुक-छुक कर दौड़ती ट्रेन 10:18 बजे अपने -अपने दलों की जयकार करते हुए कुछ लोग मेंडू स्टेशन पर उतर गए। लेकिन अंदर की बहस थमी नहीं थी।

स्‍वच्‍छ छवि व विकास कार्य करने वाली सरकार चुनें

बात आगे बढ़ाते हुए कासगंज के धर्मपाल सिंह ने कहा कि चुनावों में सभी को अपने मतानुसार मत देने का अधिकार है। इसके बाद भी लोगों को जाति, धर्म को नहीं देखकर बल्कि स्वच्छ छवि व विकास कार्य कराने वाली सरकार चुनने पर विचार करना चाहिए। तभी 10:23 बजे हाथरस राेड स्टेशन आते ही बातचीत कुछ थमी। चाय बेचने वाले की बौहनी हो गई। ट्रेन के चलते ही चाय की चुस्की के बीच चुनावी चर्चा आगे बढ़ी ही थी कि पेंशन पर नाराजगी नजर आने लगी। एटा के शिक्षक राकेश कुमार शर्मा बोले, पुरानी पेंशन लागू की जानी चाहिए। शिक्षक भर्ती तो हुई, लेकिन अपेक्षा के अनुसार कम ही बच्चों को भर्ती किया गया है। मेधावियों को टेबलेट की सौगात सराहनीय पहल है।तो मारहरा के भगवान सिंह का कहना था कि कल्याण सिंह का उनके क्षेत्र में दबदबा रहा है। वह जिस प्रत्याशी को खड़ा कर देते थे, उसकी जीत पक्की हो जाती थी। इस बार बिना बाबूजी के ही भाजपा चुनाव लड़ेगी। उनकी कमी जरूर खलेगी।

रफ्तार के साथ तीखी हुई बहस

अब कुछ कोहरा हल्का हो चुका था। 10:40 बजे रति का नगला से कुछ लोग ट्रेन में चढ़ते ही समझ गए कि माहौल चुनावी है। सरकार पर आरोप लगाते लोगों को रोकते हुए फरीदपुर, बरेली के हरिचंद्र गौड़ बोले, बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दे पर सरकार विफल रही है। रोजगार कम हो गए है, पर सरकार ने लाकडाउन लगाकर हजारों की जान बचा दी। इससे फतेहपुर जा रहे संतोष कुमार भी सहमत थे। 10:50 बजेे बस्तोई स्टेशन आ गया। यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही थी और बहस भी तीखी होने लगी थी। ट्रेन ने फिर रफ्तार पकड़ी तभी अलग-अलग क्षेत्रों मुद्दे उठने लगे। इस दौरान कायमगंज की रामवती का कहना था कि भाजपा सरकार ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की। मुस्लिम महिलाओं को तीन-तलाक के कलंक से मुक्ति दलाई। महिलाओं के लिए सरकार के फैसले सकारात्म रहे हैं।

पुराने नेताओं को भी किया याद

पूर्व विधायक कल्याण सिंह, पूर्व विधायक पंडित सूरजभान तक की चर्चा हुई। इस बीच अफोया गांव के गौरीशंकर बोले, अब चुनावों में पहले की तरह प्रचार नहीं दिखता है। अब तो सोशल मीडिया पर ही प्रत्याशी व पार्टियां वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रही हैं। हमें तो कोई सरकार बने मजदूरी ही करनी है। वोट किसे देंगे यह किसी को नहीं बता सकते। वहीं कासगंज के धर्मपाल सिंह का कहना था कि सभी को अपने विवेक से मत देने का अधिकार है। लोगों को जाति, धर्म को नहीं देखकर बल्कि स्वच्छ छवि व विकास कार्य कराने वाली सरकार चुनने पर विचार करना चाहिए। 11:05 बजे सिकंदराराऊ स्टेशन आ गया। जागरण की टीम तो यहीं उतर गई, पर चुनावी चर्चा के साथ ट्रेन कासगंज की ओर रफ्तार पकड़ गई।


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