कड़ाके की ठंड में धधकते मुद्दों से गर्मायी सियासत, लोगों ने कहा - सिर्फ वायदे नहीं, हमें काम चाहिए
UP Assembly Elections 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में खूब हो हल्ला है। शहर में जगह जगह लोग राजनीति की चर्चा में मशगूल हैं। हर किसी के अपने सपने हैं और अपने मुद्दे। दैनिक जागरण ने भी शहर के लोगों का मन जानने के लिए उनसे बातचीत की।
राज नारायण सिंह, अलीगढ़ । UP Assembly Elections 2022 भले ही कड़ाके की ठंड पड़ रही हो, मगर सियासी गर्माहट खूब है। गांवों के गलियारे आग की तपिश से अधिक चुनावी चर्चाओं से गर्म हैं। बहस में भी गर्मी दिख जाती है। शहर से गांवों की ओर चुनावी टोह लेने बढ़े तो मुद्दे धधक रहे थे। कुछ काम न होने से नाराज थे तो कुछ सड़क, नाली, खड़जा में उलझे थे। गली, बाजार हर तरफ चर्चा चुनाव की है। सरकार को लेकर बहस और सभी के अपने-अपने तर्क। पर, विकास पर बात आते ही सभी यह कहते हुए एकमत दिखे कि सिर्फ वादे नहीं, हमें काम चाहिए।
विधायक कोई भी बने विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाए
सोमवार को दोपहर के एक बजे एटा-क्वार्सी बाईपास से कुलदीप विहार में विकास की गति दिख रही थी। यहां लोगों के चेहरे पर सुकून और शांति का भाव भी दिखा। कुछ दूरी पर सुधीर शर्मा विकास कार्य से संतुष्ट नजर आए। बोले, पहले हालात बद से बदत्तर थे, मगर अब स्थिति काफी बेहतर हुई है। सड़कें ठीक हुई हैं, इंटरलाकिंग है। नालियां भी पक्की बन गई हैं। करीब एक किमी दूर स्थित गांव असदपुर कयामपुर में भी चर्चा चुनावी थी। यह गांव छर्रा विधानसभा क्षेत्र के अंर्तगत है। कुछ हिस्सा शहर से एकदम सटा हुआ है। यहां जिलों की सीटों पर तो चर्चाएं थीं ही, प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। इसके लिए भी गुणा-भाग लग रहा था। कपिल कुमार ने कहा कि कोई भी विधायक बने, मगर विकास के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। जिससे जनता के बीच भरोसा कायम हो सके। हमने देखा है चुनाव के समय वायदे खूब होते हैं, मगर काम जमीन पर नहीं दिखता है। इससे जनता के बीच में मायूसी होती है। हमारे यहां सड़कों का बहुत बुरा हाल है, श्मशान गृह भी ठीक नहीं है। कीचड़ से होकर निकलना पड़ता है। इन सभी का विकास होना चाहिए, तभी बात बनेगी। इसी बीच लक्ष्मी सिंह बीच में कूद पड़े। बोले, सब तुम्ही कहियौ, हमरौ सुनौ। मैन रोड पै ही बरसात कौ पानी भरजावै। पक्को नालो कब बनैगौ? पास ही मौजूद बबलू सिंह ने कहा कि शहर से यह गांव सटा हुआ है, मगर विकास के मायने में पीछे है। सड़क की यहां प्रमुख समस्या है। इनका निदान बंटी नागर ने अच्छे जनप्रतिनिधि होने पर ही संभव बताया। उका कहना था कि ऐसा व्यक्ति चुनाव जीतकर जाए जो लखनऊ में भी काम पड़ने पर करा सके। हालांकि, इन बातों में किस ओर हवा चल रही है, रुझान क्या है, इसपर खुलकर गांव के लोगों ने नहीं बोला। अधिकांश ने कहा, समय आने पर ही अपने पत्ते खोलेंगे।
छोटे-मोटे काम ही हो जाएं
महुआ खेड़ा में सड़क पर फैली कीचड़ दिखाते हुए विक्रम सिंह बोले, गांवों के लोगों की बड़ी-बड़ी ख्वाहिशें नहीं होती हैं। बस छोटे-मोटे काम हो जाएं, यही बड़ी बात है। नेताजी उनकी बात को तसल्ली से सुन लें, इससे अच्छी और कोई बात नहीं होती? गांवों की गलियां पक्की होनी चाहिए, अभी भी कई जगहों पर खड़ंजा है। कुछ जगहों पर तो पैदल भी चलना मुश्किल होता है। शहर से सटे होने के चलते विकास तेजी से होना चाहिए, मगर यहां तो विकास की गति धीमी है। कुछ आगे गुरुसिकरन रोड पर मिले हरजीत सिंह का कहना था कि ऐसा नेता चुनकर आए, जो सुख-दुख में हम सभी के साथ खड़ा हो। लोगों की बात तसल्ली से सुने। पहले तो नेता ऐसे होते थे छोटे-मोटे विवाद तो आपस में बैठकर ही सुलझा लिया करते थे।