Move to Jagran APP

अलीगढ़ में इच्छा शक्ति से बदल रहीं नीतियां, एक अफसर ने ऐसे कराया विभागों को जिम्‍मेदारी का अहसास

उखड़ी सड़कों पर दो साल तक मातम होता रहा किसी अफसर ने सांत्वना तक नहीं दी। खूब हंगामे हुए माननीय भी निगम के विरोध में आ खड़े हुए। निजाम बदला तो बदलाव की बयार शुरू हो गई। निगम की सत्ता विकास पुरुष के हाथों में आ गई।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 09:11 AM (IST)
अलीगढ़ में इच्छा शक्ति से बदल रहीं नीतियां, एक अफसर ने ऐसे कराया विभागों को जिम्‍मेदारी का अहसास
निजाम बदला तो बदलाव की बयार शुरू हो गई। निगम की सत्ता ''विकास पुरुष'' के हाथों में आ गई।

अलीगढ़, जेएनएन। इच्छा शक्ति हो तो हर काम मुमकिन है। सरकारी कुर्सियों पर बैठे लोगाें के लिए तो ये और भी जरूरी है। जनता की सुख, सुविधा का ख्याल जो रखना होता है। अब नगर निगम को ही लीजिए। उखड़ी सड़कों पर दो साल तक मातम होता रहा, किसी अफसर ने सांत्वना तक नहीं दी। खूब हंगामे हुए, माननीय भी निगम के विरोध में आ खड़े हुए। तब भी जनता के आंसू नहीं पौंछे गए। निजाम बदला तो बदलाव की बयार शुरू हो गई। निगम की सत्ता ''विकास पुरुष'' के हाथों में आ गई। निगम की रीति-नीति बदलने लगीं। कुर्सियां तोड़ रहे अफसराें को काम मिल गया। दफ्तर से ज्यादा वे सड़क पर नजर आते हैं। वहीं, उखड़ी सड़कें दुरुस्त होने लगीं। इसके लिए कोई ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। सिर्फ संबंधित विभागों को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराया। जनता की पीड़ा से उन्हें अवगत कराया। ये इच्छा शक्ति से ही संभव था।

loksabha election banner

ईंधन बचाकर बढ़ा दी पगार

नीतियां जनहित में हों दूर तक असर करती हैं। बजट का अभाव दिखाकर नगर निगम कर्मचारियों की इच्छाओं का गला घाेंटता रहा। शासन ने ठेका कर्मियों का जो दैनिक वेतन निर्धारित किया था, उसे देने में हमेशा आनाकानी की। ''आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपइया'' का स्लोगन सुना दिया जाता। कर्मचारी भी वेतन बढ़ने की आस लिए काम में जुटे रहे। अब नीतियां बदल गईं हैं, स्लोगन भी उलट दिया। खर्चा कम कर आमदनी बढ़ाने पर जोर है। शुरुआत ईंधन की बेवजह खपत रोककर की है। परिणाम सुखद रहे। एक माह में 22 लाख रुपये से अधिक की बचत हुई है, इसे 45 लाख तक पहुंचाने की कोशिश है। यही नहीं, इस बचत से कर्मचारियों का वेतन भी बढ़ा दिया गया। सालों से चली आ रही मांग का चुटकियाें में समाधान हो गया। निगम के बजट पर भार नहीं पड़ा और कर्मचारी भी खुश हो गए। गजब की नीति है।

साइकिल चली गांव की ओर

सियासी दांवपेच में महारत हासिल कर चुके धुरंधर अब साइकिल पर सवार होकर गांव की राह चल दिए हैं। ''चौधरी साहब'' का तो जवाब ही नहीं। जहां उनकी साइकिल रुकती है, वहीं महफिल जमा लेते हैं। मुद्दे न भी हों तब भी बतियाने के लिए बहुत कुछ है उनके पास। कभी किसी की टांग खिंचाई करने लग जाते हैं, तो कभी अपना दुखड़ा सुनाने बैठ जाते हैं। उद्देश्य सिर्फ पब्लिक काे बांधे रखना है। उनका ये हुनर बहुतों को रास नहीं आ रहा। कह रहे हैं कि चार दिन हुए हैं साइकिल पर चढ़े हुए और अपनी ही ढपली बजा रहे हैं। कम से कम पार्टी का तो जिक्र कर दिया करें। इससे तो अच्छे ''बड़बोले नेताजी'' हैं, जो गोली भी पार्टी के कंधे पर रखकर दागते हैं। उन्हें नतीजों की परवाह भी नहीं है। बस पार्टी के साथ उनका नाम चर्चा में बना रहे। हालांकि, कुछ समय से वे भी मौन साधे हुए हैं।

बकाएदार तो सरकारी महकमे भी हैं

नगर निगम ने निजी क्षेत्र से संपत्ति कर वसूलने के लिए कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की है। इसमें मुनादी कराने से लेकर कुर्की तक की योजना है। 68 बकाएदारों के नाम सार्वजनिक कर सूची जारी कर दी। लेकिन, उन सरकारी महकमों का जिक्र तक नहीं किया, जो सालों से संपत्ति कर जमा नहीं कर रहे। बकाया राशि बढ़कर करोड़ों तक जा पहुंची है। चाहे वह स्वास्थ्य महकमा हो, या जिला मुख्यालय, पुलिस व परिवहन विभाग भी बकाएदाराें में शामिल हैं। इन्हें नोटिस देने की बात तो निगम अधिकारियों ने कही, लेकिन वे इससे आगे नहीं बढ़ सके। किसी सरकारी महकमे का खाता सीज नहीं किया गया, न ही नोटिस चस्पा कराए गए। नगर निगम की सेवाएं अब भी इन विभागों काे मिल रही हैं। हां, निगम ने एएमयू के खिलाफ जरूर कार्रवाई की है। एसबीआइ में संचालित एएमयू का खाता सीज करा दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.