कविताओं से जगाई देशप्रेम की अलख, पर्यावरण को स्वच्छ रखने की चिंता
समाज के लिए कुछ करने की इच्छा वृद्धावस्था में भी जवां रहे तो उसे जिंदादिल ही कहा जाएगा। जी हां ऐसी ही एक प्रेरणादायक हैं डा ऊषा अरोड़ा जिनकी उम्र 75 वर्ष की है लेकिन अभी भी समाज के लिए कुछ करने का जज्बा युवा अवस्था जैसा ही है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। तमाम जिम्मेदारियों से व्यस्त जीवन में समाज के लिए समय निकालना और कुछ कर दिखाने की प्रेरणा डा. ऊषा अरोड़ा से मिलती है। कोरे कागज पर कलम से भावनाओं को शब्द देने के साथ स्वच्छ पर्यावरण संरक्षण की अलख में इन्हें बड़ी कामयाबी मिली। वे 75 साल की हों गईं, लेकिन अब भी समाज के लिए कुछ करने का जज्बा युवा अवस्था जैसा ही है।
सड़क किनारे पौधे लगाकर हरीतिमा दी
अलीगढ़ के कस्बा अतरौली के मोहल्ला खत्रीपाड़ा निवासी डा. अरोड़ा की रुचि शुरू से ही लोगों को जागरुक में रही। उन्होंने सड़क के किनारे पौध लगाकर हरीतिमा दी। पौधे लगाना ही उद्देश्य नहीं, बल्कि उनकी देखभाल के लिए युवाओं की टीम तैयार की। स्कूल में होने वाली पर्यावरण से संबंधित प्रतियोगिताओं में पुरस्कार देकर बच्चों को प्रोत्साहित करना भी शामिल रहा। मिट्टी के बर्तन बनाने और उनमें रंग भरने के लिए अलग-अलग स्कूलों में प्रतियोगिता का आयोजन भी कराए हैं। कई वर्षों से नगर निगम और नगरपालिका के कार्यक्रमों में वे स्वच्छता, पर्यावरण के लिए पहल करने का संदेश देती रही हैं। महिलाओं को उनके अस्तित्व की पहचान के लिए समय-समय पर गोष्ठियों का आयोजन करती हैं। उनका कहना है कि उम्र के इस पड़ाव तक समाज के साथ सुख दुख बांटते हुए बहुत कुछ सीखा। देश सर्वोपरि है और समाज की कडिय़ां ही देश को महान बना सकती हैं।
स्वच्छता की अलख
डा. अरोड़ा अलीगढ़ की स्वच्छ भारत अभियान की ब्रांड एंबेसडर रहीं हैं। उन्होंने नगर निगम अलीगढ़ क्षेत्र और अतरौली क्षेत्र में लोगों से आग्र्रह कर आकर्षित कूड़ेदान रखवाए। मिट्टी के बर्तन में पानी रख पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया है। जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर अनाथ आश्रम जाकर बच्चों को उपहार दिए हैं।
कविता से जागृति
डा. अरोड़ा का देशप्रेम की अलख कविताओं के माध्यम से जनजन में जागे, यह सक्रिय प्रयास हमेशा रहता है। होली और दिवाली का त्योहार वे आरएएफ जवानों के साथ मनाती हैं। 'कलम' चलती रहे' काव्य संग्रह में अधिकांश कविताएं देश और जवानों को समर्पित हैं। 'नयी कविता में बिम्ब विधान' पर फादर कामिल बुल्के के निर्देशन में शोधकार्य किया। केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग ने पर्यटन दिवस पर 25 जनवरी 1998 एवार्ड फोर एक्सीलेंस' उपराष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया। 'भारत यात्रा तीर्थ एवं दर्शनीय स्थल' ई बुक, कोबो डाट काम पर उपलब्ध है।