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कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए निमोनिया जानलेवा, ऐसे मरीज रहें सावधान Aligarh News

मौसम में बदलाव के साथ ही कोरोना संक्रमण घातक होता जा रहा है। वजह डायबिटीज दिल की बीमारी अस्थमा व ब्रोंकाइटिस के मरीजों को वायरल जनित निमोनिया के साथ कोरोना संक्रमण हुआ तो जानलेवा हो सकता है।निमोनिया भी हो गया को काफी घातक है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 02:50 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 02:50 PM (IST)
कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए निमोनिया जानलेवा, ऐसे मरीज रहें सावधान Aligarh News
मौसम में बदलाव के साथ ही कोरोना संक्रमण घातक होता जा रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन। मौसम में बदलाव के साथ ही कोरोना संक्रमण घातक होता जा रहा है। वजह, डायबिटीज, दिल की बीमारी, अस्थमा व ब्रोंकाइटिस के मरीजों को वायरल जनित निमोनिया के साथ कोरोना संक्रमण हुआ तो जानलेवा हो सकता है। ऐसे 15 से अधिक लोगों की इलाज के दौरान मौत के मामले अब तक सामने आ चुके हैं। सरकारी व सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मरने वाले इन मरीजों को कोरोना के साथ अन्य गंभीर बीमारी पहले से थी। कोरोना वायरस या कोविड 19 अनजान कारणों से निमोनिया जैसी बीमारी के साथ ही सामने आया। इसमें शुरुआत में हल्की सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज, अस्थमा व हार्ट के मरीज को यदि खांसी के साथ-साथ सांस लेने में दिक्कत महसूस हो तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। 

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 विशेषज्ञ को दिखाएं

राठी हाॅस्पिटल की चेस्ट फिजिशियन डाॅ. रूबीन राठी ने बताया कि निमोनिया फैंफड़े की बीमारी है। निमोनिया होते ही व्यक्ति की इम्युनिटी वीक हो जाती है। एंटीबाॅडीज इनएक्टिव होने लगती है। ब्लड में आॅक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे मरीजों के सेल्स में लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। अधिक उम्र वाले, डायबिटीज, हार्ट पेशेंट या अन्य किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे कोविड मरीजों में ऐसी कई समस्या पहले से होती हैं। इन्हें फ्लू होने की आशंका कहीं ज्यादा होती है। कोविड-19 भी एक फ्लू डिजीज है। फ्लू या कोरोना के लक्षण एक जैसे हैं। इसलिए पता नहीं चलता कि किसी क्या है? इसलिए ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। यदि हल्की खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी आ रही हो या सांस फूल रही है तो तत्काल विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। कोरोना में फैंफड़े पहले से खराब होता हैं, यदि निमोनिया भी हो गया को काफी घातक है।  

दूसरे अंग भी काम करना कर देते हैं बंद

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. बीपीएस कल्याणी कहते हैं कि 60 साल से अधिक उम्र, मोटापा, डायबिटीज व हार्ट, किडनी व लिवर संबंधी बीमारी से ग्रस्त मरीज हाईरिस्क जोन में माना जाता है।  ऐसे मरीजों में कोरोना होने के बाद फैंफड़े की बीमारी या निमोनिया गंभीर रूप ले लेती है। सीवियर निमोनिया से डीआईसी की स्थिति निर्मित हो जाती है जिसमें खून की नलियों में थक्के जम जाते हैं। इससे बीपी कम होने के साथ दूसरे अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसलिए लोगों को कोरोना ही नहीं, निमोनिया जैसी मौसमी बीमारियों से बचाव करना है। धूमपान व एल्कोहल से बचना चाहिए। 

इंडिया मास्क ऊपर उठाओ

इन दिनों दूरदर्शन पर कोविड-19 से बचाव के लिए एक श्लोगन खूब चल रहा है-‘इंडिया मास्क ऊपर उठाओ’। डाॅ. रूबीना नें बताया कि हाॅस्पिटल में आने वाले तमाम मरीजों के मास्क नाक के नीचे लगा रहता है। फैंफड़ों की बीमारी वाले मरीज मास्क का प्रयोग जरूर करें, जो नाक के ऊपर होना चाहिए। जितना जरूरी है उतना ही बाहर निकले। रोजर्रा के काम के लिए ऐसे समय पर जाएं, जब बाजार में भीड़ कम हो। सैनिटाइजर से हाथ साफ करते रहें। दो से तीन गज की दूरी जरूरी है। 


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