पीएम मोदी करेंगे शादाब से बात, जानिए शादाब की खासियत Aligarh News
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में 11 वीं के छात्र शादाब का चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए हुआ है। 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उससे बात करेंगे। पिछले साल जुलाई में वह तब सुर्खियों में आए थे
अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में 11 वीं के छात्र शादाब का चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए हुआ है। 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उससे बात करेंगे। पिछले साल जुलाई में वह तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने अमेरिका के एक स्कूल से हाईस्कूल में टाप किया था। अमेरिका में पढ़ने के लिए उन्हें 20 लाख रुपये कीप स्कालरशिप मिली थी। 200 घंटे की समाजसेवा व बेहतर काम के लिए 40 देशों के 800 छात्रों में स्टूडेंट आफ द मंथ चुना गया था। हाईस्कूल में सर्वाधिक 97.6 प्रतिशत अंक हासिल कर इस छात्र ने स्कूल टाप किया था। शादाब के पिता मोटर मैकेनिक हैं।
ऐसे मारी शादाब ने बाजी
स्कालरशिप के चयन आसान नहीं था। पांच स्टेज से गुजरना पड़ा। समूह चर्चा, अंग्रेजी, गणित, निबंध, विज्ञान आदि को परखा गया। अमेरिकी विशेषज्ञों ने पैनल इंटरव्यू लिया। आखिर मेंं होम इंटरव्यू हुआ, जिसमें अमेरिका से एक टीम शादाब के जमालपुर स्थित घर पर आई थी। पारिवारिक स्थिति का आंकलन भी किया। इसके बाद चयन हुआ। शादाब ने एएमयू के मिंटो सर्किल से उर्दू मीडिया से तब नौवीं कक्षा पास की थी। स्कूल में उर्दू के साथ अंग्रेजी भी बेहतर पढ़ाई जाती है। इसलिए शादाब को अंग्रेजी को लेकर कोई दिक्कत नहीं हुई। अमेरिका जाने से पहले शादाब का इंग्लिश इंटर नेशनल ओलंपियाड टेस्ट हुआ था। इसमें उसने सफलता हासिल की। सारसौल चौराहे पर मोटर मैकेनिक की दुकान करने वाले शादाब के पिता अरशद नूर को गर्व है। उनका मानना है कि बेटा ने मुझे बड़ी पहचान दी है।
ऐसे चुने गए स्टूडेंट ऑफ द मंथ
स्कालरशिप से भारत के 40 छात्रों समेत 40 देशों के 800 छात्रों का चयन हुआ था। इनमें से सात छात्रों का चयन यूएस अंबेसी में हुई सिविल एजूकेशन वर्कशॉप के लिए हुआ। भारत से सिर्फ शादाब ही शामिल हुए। वहां शादाब ने 200 घंटे की समाज सेवा की। अन्य बेहतर कार्यों को शामिल करते हुए स्टूडेंट ऑफ मंथ चुना गया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने का है सपना
शादाब ने बताया कि उसका सपना संयुक्त राष्ट्र में हृयूमन राइट आफिसर के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। वह आइएएस बनना चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्र में जाने के लिए समाज सेवा का दस साल का अनुभव भी जरूरी होता है। इसके लिए अमेरिकन फील्ड सर्विस के साथ वालियंटर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। अमेरिका में पढ़ाई के दौरान दुनिया के बारे में सोचने का समय मिला। पहले अपने शहर व देश के बारे में ही सोचता था। दुनिया बहुत बड़ी है। सभी देशों को मिल जुलकर रहना चाहिए। पाकिस्तान की एक छात्रा भी हमारे साथ थी। कभी लगा ही नहीं कि दोनों देशों के बीच कोई विवाद भी है।