UP Vidhan Sabha Elections 2022: दूसरे दलों में बना रहे जगह, चुनाव के समय दलबदल की संभावना बढ़ी
भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल शर्मा ने भी रालोद का दामन थाम लिया। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के समय तमाम नेता दल बदल सकते हैं। कई नेता तो ताल ठोक कर कह रहे हैं कि टिकट नहीं मिला तो भी वह चुनाव जरूर लड़ेंगे।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। चुनाव निकट आते ही नेता दूसरे दलों में अपनी जगह बनाने में जुट गए हैं। जिस दल में हैं वहां मजबूत स्थिति न देख अन्य दल में जा रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल शर्मा ने भी रालोद का दामन थाम लिया। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के समय तमाम नेता दल बदल सकते हैं। कई नेता तो ताल ठोक कर कह रहे हैं कि टिकट नहीं मिला तो भी वह चुनाव जरूर लड़ेंगे।
बड़े नेताओं के संपर्क में नेता
गुलाबी ठंड में चुनावी रंग में सभी रंगने लगे हैं। खासकर नेताओं का तो रंगना लाजिमी है। वो एक साल से विधानसभा के चुनावी मूड में आ गए थे। चुनाव नजदीक आते ही अब वो सुरक्षित घर देखने लगे हैं। भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रहे राहुल शर्मा ने एनवक्त पर रालोद का दामन थामकर सभी को चौका दिया है। हालांकि, जिलाध्यक्ष ऋषिपाल सिंह का कहना है कि राहुल शर्मा के रालोद में जाने से पार्टी को कोई असर नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि वह जिले में सक्रिय नहीं थे। बड़े नेताओं के संपर्क में वह जरूर रहे, मगर राजनीति में आगे बढ़ने के लिए निचले स्तर से राजनीति करनी बहुत जरूरी है। मगर, राहुल ने यह संकेत कर दिया है कि अभी और नेता भी दल बदल सकते हैं। भाजपा में कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो डंके की चोट पर कह रहे हैं कि उन्हें चुनाव लड़ना है। यदि पार्टी टिकट देती है तो बहुत अच्छी बात रहेगी वो दमदारी से चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी। यदि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह फिर अपना रास्ता तय करेंगे।
नेताजी बदल सकते हैं दल
जाहिर है कि वो किसी और दल से चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए भाजपा के साथ ही वो बसपा, सपा में भी पैठ बनाने में लगे हुए हैं। वो इन दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। साथ ही इनके बड़े नेताओं से भी संपर्क कर रहे हैं, जिससे चुनाव में टिकट न मिलने पर वो दूसरे दल का दामन थाम लें। सपा में भी संभावना जताई जा रही है कि यदि मौके पर टिकट कटा तो नेताजी दूसरे दल का दामन थाम सकते हैं। यदि दूसरे दल का दामन नहीं थामा थे वह चुनाव में सक्रिय नहीं रहेंगे। कमोवेश बसपा में भी यही स्थिति है। कुछ ऐसे नेता है जो टिकट के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, यदि पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया तो नेताजी वहां भी दल बदल सकते हैं।
रालोद में खूब चलता है खेल
सबसे अधिक रालोद में खेल चलता है। टिकट न मिलने पर नेताजी पाला बदलने में देर नहीं लगाते हैं। हालांकि, कुछ नेता ऐसे हैं जो चुनाव के बाद अपना आशियाना बनाने में विश्वास रखते हैं, उन्हें पता है कि रालोद में टिकट नहीं मिला तो अन्य दल में तो उनका कोई वजूद नहीं है। ऐसे में वह चुपचाप बैठ जाते हैं, मौका देखने के बाद फिर अन्य दल में प्रवेश करते हैं। पिछले चुनाव को यदि देखा जाए तो रालोद के तमाम कद्दावर नेता हैं, जिन्होंने रालाेद को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।