प्रधानमंत्री की सुरक्षा में 'जुगाड़' ने लगाई सेंध, लखनऊ की टीम ने परखी हकीकत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचूक सुरक्षा में जुगाड़ ने सेंध लगाई थी। ये जुगाड़ एसी के वायर में की गई थी। मंच पर लगे एसी के लिए जनरेटर तक टुकड़ों में तार डाले गए थे।
By Edited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 01:44 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 01:45 PM (IST)
अलीगढ़ (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचूक सुरक्षा में 'जुगाड़' ने सेंध लगाई थी। ये 'जुगाड़' एसी के वायर में की गई थी। मंच पर लगे एसी के लिए जनरेटर तक टुकड़ों में तार डाले गए थे, जिनमें स्पार्किंग होने से ही आग लगी थी। सोमवार को लखनऊ से आई विद्युत सुरक्षा विभाग की टीम ने नुमाइश मैदान में मंच का निरीक्षण किया। पूछताछ में ये भी पता चला कि मंच का ठेका लेकर ठेकेदार ने फीरोजाबाद व आगरा के ठेकेदारों को काम सौंप दिया था। इस प्रकरण में कई और लोगों पर गाज गिर सकती है।
सीएम के भाषण के समय लगी आग
जनसभा में रविवार दोपहर साढ़े तीन बजे माइक थामे सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की योजनाएं गिना रहे थे। पीएम हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन कर रहे थे, तभी मंच के नीचे लगे एसी के तारों में स्पार्किंग होने से आग लग गई, जिसे वहां मौजूद फायर ब्रिगेड ने तत्काल बुझाया। इस मामले में बन्नादेवी थाने के एसएसआइ प्रदीप कुमार ने विद्युत सुरक्षा विभाग के प्रभारी सहायक निदेशक उदयभान यादव, उपनिदेशक संजय कुमार माथुर व ठेकेदार संजीव चौहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। वीवीआइपी की सुरक्षा से जुड़े मामले में विद्युत सुरक्षा, एसपीजी व प्रशासनिक स्तर पर जांच चल रही है।
लखनऊ की टीम ने किया निरीक्षण
सोमवार को लखनऊ से आई विद्युत सुरक्षा विभाग की दो सदस्यीय टीम ने मंच पर विद्युत व्यवस्था का गहनता से निरीक्षण किया। मंच के नीचे वायर के उस जोड़ को देखा, जिसमें स्पार्किंग हुई थी। बिजली मैकेनिक, ठेकेदार आदि से पूछताछ की। टीम ने फिलहाल कुछ कहने से इन्कार किया है।
50 मीटर पर लगाया जोड़
मंच का ठेका संजीव चौहान ने लिया था। संजीव ने टेंट, एलईडी, लाइट का ठेका फीरोजाबाद के ठेकेदार को दे दिया और एसी लगाने की जिम्मेदारी आगरा के ठेकेदार को सौंप दी। मंच पर एक ओर पांच और दूसरी ओर चार एसी लगे थे, जिनका लोड करीब 40 टन था। जो वायर डाले गए थे, वह 20 एमएम के थे। ये वायर जनरेटर से जुड़े थे, जबकि वायर 25 एमएम के होने चाहिए थे। बड़ी लापरवाही ये रही कि जनरेटर से करीब 50 मीटर दूर मंच के नीचे जोड़ लगा दिया गया, जो ढीला था। जनरेटर से एसी तक पूरा एक वायर लगाया जाता तो हादसा न होता।
सेफ हाउस तक एक ही वायर
मंच के पीछे बने सेफ हाउस व मिनी पीएमओ में बिजली सप्लाई के लिए जनरेटर से डाले गए तार में जोड़ नहीं था, जबकि दूरी उतनी ही थी। सभी वायर अंडर ग्राउंड थे।
एसपीजी भी देख न सकी खामी
मंच एसपीजी की सुरक्षा में था। यहां हर व्यवस्था एसपीजी की निगरानी में की गई, फिर भी चूक हो गई। बिजली विभाग के तीन अफसर भी पल-पल पर लोड चेक कर रहे थे। वे भी यह चेक नहीं कर पाए कि मंच के नीचे तार में जोड़ है। साउंड सिस्टम को लेकर भी लापरवाही बरती गई।
दोषी के खिलाफ होगी कार्रवाई
एसएसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि अग्निशमन विभाग ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, कार्रवाई करेंगे।
बिजली सुरक्षा अफसरों व ठेकेदार को माना दोषी
डीएम चंद्रभूषण सिंह ने भी पीएम की सभा में मजिस्ट्रियल जिम्मेदारी निभा रहे एडीएम सिटी राकेश मालपाणी से मिली रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसमें भी विद्युत सुरक्षा विभाग के प्रभारी सहायक निदेशक उदयभान यादव, उपनिदेशक संजय कुमार माथुर व ठेकेदार संजीव चौहान को हादसे के लिए दोषी माना गया है। डीएम ने बताया कि दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
एसपीजी की सूचना पर मोदी ने जल्द खत्म किया था भाषण
पीएम मोदी के मंच के नीचे लगी आग से एसपीजी के भी हाथ-पांव भी फूल गए थे। उन्होंने तत्काल सूचना पीएम को दी थी। बताया जाता है कि पीएम से कहा गया था कि कुछ गड़बड़ी हो गई है। कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए। माना यही जा रहा है कि इसके चलते ही पीएम ने 26 मिनट में भाषण खत्म कर दिया था। सीएम भी इसे भांप गए थे, इसलिए भाषण छोटा कर दिया था। सीएम के भाषण में वो तेवर भी नहीं थे, जो अमूमन दिखाई देते थे।
सीएम के भाषण के समय लगी आग
जनसभा में रविवार दोपहर साढ़े तीन बजे माइक थामे सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की योजनाएं गिना रहे थे। पीएम हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन कर रहे थे, तभी मंच के नीचे लगे एसी के तारों में स्पार्किंग होने से आग लग गई, जिसे वहां मौजूद फायर ब्रिगेड ने तत्काल बुझाया। इस मामले में बन्नादेवी थाने के एसएसआइ प्रदीप कुमार ने विद्युत सुरक्षा विभाग के प्रभारी सहायक निदेशक उदयभान यादव, उपनिदेशक संजय कुमार माथुर व ठेकेदार संजीव चौहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। वीवीआइपी की सुरक्षा से जुड़े मामले में विद्युत सुरक्षा, एसपीजी व प्रशासनिक स्तर पर जांच चल रही है।
लखनऊ की टीम ने किया निरीक्षण
सोमवार को लखनऊ से आई विद्युत सुरक्षा विभाग की दो सदस्यीय टीम ने मंच पर विद्युत व्यवस्था का गहनता से निरीक्षण किया। मंच के नीचे वायर के उस जोड़ को देखा, जिसमें स्पार्किंग हुई थी। बिजली मैकेनिक, ठेकेदार आदि से पूछताछ की। टीम ने फिलहाल कुछ कहने से इन्कार किया है।
50 मीटर पर लगाया जोड़
मंच का ठेका संजीव चौहान ने लिया था। संजीव ने टेंट, एलईडी, लाइट का ठेका फीरोजाबाद के ठेकेदार को दे दिया और एसी लगाने की जिम्मेदारी आगरा के ठेकेदार को सौंप दी। मंच पर एक ओर पांच और दूसरी ओर चार एसी लगे थे, जिनका लोड करीब 40 टन था। जो वायर डाले गए थे, वह 20 एमएम के थे। ये वायर जनरेटर से जुड़े थे, जबकि वायर 25 एमएम के होने चाहिए थे। बड़ी लापरवाही ये रही कि जनरेटर से करीब 50 मीटर दूर मंच के नीचे जोड़ लगा दिया गया, जो ढीला था। जनरेटर से एसी तक पूरा एक वायर लगाया जाता तो हादसा न होता।
सेफ हाउस तक एक ही वायर
मंच के पीछे बने सेफ हाउस व मिनी पीएमओ में बिजली सप्लाई के लिए जनरेटर से डाले गए तार में जोड़ नहीं था, जबकि दूरी उतनी ही थी। सभी वायर अंडर ग्राउंड थे।
एसपीजी भी देख न सकी खामी
मंच एसपीजी की सुरक्षा में था। यहां हर व्यवस्था एसपीजी की निगरानी में की गई, फिर भी चूक हो गई। बिजली विभाग के तीन अफसर भी पल-पल पर लोड चेक कर रहे थे। वे भी यह चेक नहीं कर पाए कि मंच के नीचे तार में जोड़ है। साउंड सिस्टम को लेकर भी लापरवाही बरती गई।
दोषी के खिलाफ होगी कार्रवाई
एसएसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि अग्निशमन विभाग ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, कार्रवाई करेंगे।
बिजली सुरक्षा अफसरों व ठेकेदार को माना दोषी
डीएम चंद्रभूषण सिंह ने भी पीएम की सभा में मजिस्ट्रियल जिम्मेदारी निभा रहे एडीएम सिटी राकेश मालपाणी से मिली रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसमें भी विद्युत सुरक्षा विभाग के प्रभारी सहायक निदेशक उदयभान यादव, उपनिदेशक संजय कुमार माथुर व ठेकेदार संजीव चौहान को हादसे के लिए दोषी माना गया है। डीएम ने बताया कि दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
एसपीजी की सूचना पर मोदी ने जल्द खत्म किया था भाषण
पीएम मोदी के मंच के नीचे लगी आग से एसपीजी के भी हाथ-पांव भी फूल गए थे। उन्होंने तत्काल सूचना पीएम को दी थी। बताया जाता है कि पीएम से कहा गया था कि कुछ गड़बड़ी हो गई है। कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए। माना यही जा रहा है कि इसके चलते ही पीएम ने 26 मिनट में भाषण खत्म कर दिया था। सीएम भी इसे भांप गए थे, इसलिए भाषण छोटा कर दिया था। सीएम के भाषण में वो तेवर भी नहीं थे, जो अमूमन दिखाई देते थे।
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