शासन तंत्र को आइना दिखा रहीं ''मुक्तिधाम'' की तस्वीरें Aligarh news
वैश्विक महामारी में मुक्तिधाम की तस्वीरें उस तंत्र को आइना दिखा रही हैं जो वक्त रहते चेत जाता तो कई जिंदगियां बच जातीं। सरकारी आंकड़े जनपद में कोविड से 82 मौतों का दावा कर रहे हैं। प्रदेश का आंकड़ा 16043 है।
अलीगढ़ , जेएनएन । वैश्विक महामारी में ''मुक्तिधाम'' की तस्वीरें उस तंत्र को आइना दिखा रही हैं, जो वक्त रहते चेत जाता तो कई जिंदगियां बच जातीं। सरकारी आंकड़े जनपद में कोविड से 82 मौतों का दावा कर रहे हैं। प्रदेश का आंकड़ा 16043 है। जबकि, श्मशान में जली चिताओं और कब्रिस्तान में बेहिसाब कब्रों की गिनती करें तो ये आंकड़े झूठे साबित होते हैं। नदियों में बहकर किनारों से टकरा रहीं लाशें भी इशारा कर रही हैं कि कहीं न कहीं चूक जरूर हुई है। महामारी ने जब दस्तक दी तो होटल, धर्मशालाएं, कालेज तक कोविड वार्ड बना दिए गए थे। तब आक्सीजन की कमी भी नहीं थी। अब इस महामारी की दूसरी लहर कहर बरपा रही है तो अस्पतालों में भी इंतजाम नहीं हो पा रहे। होम आइसोलेट मरीज इलाज काे तरस रहे हैं। हाल जानने मरीजों के घर टीम नहीं पहुंच रहीं। माननीयों की मदद सिर्फ नसीहतों तक सीमित है। क्या महामारी पर ऐसे काबू पाएंगे?
बीमारी नहीं, महामारी से है सामना
कोरोना कफ्र्यू में छूट इसीलिए दी गई कि लोग जरूरत का सामान खरीद सकें। दुकानें बंद कर खाली बैठे दुकानदारों की भी आमदनी हो जाए। मगर ये क्या, दुकानें खुलते ही भीड़ टूट पड़ी। न मास्क, न शारीरिक दूरी, बाजाराें में कोरोना प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ती नजर आईं। ग्राहकों ने तो लापरवाही दिखाई ही, दुकानदार भी बेपरवाह हाे गए। ग्राहकों को न मास्क के लिए टोका गया, न ही शारीरिक दूरी बनाए रखने की सलाह दी। पुलिस भी 11 बजने का इंतजार करती दिखी। ये हालात सिर्फ किराने की दुकानों के नहीं थे, शराब के ठेकों पर भी नियमों को नजरअंदाज किया जा रहा है। पेटियां भर भरकर शराब खरीदी गई, जैसे फिर कभी मिलेगी नहीं। लोगों को सोचना चाहिए कि आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए प्रतिदिन छूट मिल रही है, दुकानों पर भीड़ न जुटाएं। हमारा सामना किसी बीमारी से नहीं, महामारी से है।
देखें जरा किसमें कितना है दम
जिला पंचायत सदस्यों के निर्वाचन के बाद सभी दल अध्यक्ष की कुर्सी के लिए समीकरण बैठा रहे हैं। हालांकि, बहुमत किसी दल के पास नहीं है। भाजपा भी काफी पिछड़ी हुई है। हां, रालोद को लेकर दौड़ रही साइकिल जरूर ट्रैक पर आती नजर आ रही है। अध्यक्ष की कुर्सी हथियाने के लिए सपा के गणित को समझा जाए तो बहुमत से कुछ ही दूर है। लेकिन, ये इतना आसान भी नहीं है। जिन निर्दलीयों के सहारे सपा अध्यक्ष की कुर्सी के ख्वाब देख रही है, वे निर्दलीय कब पाला बदल लें कहा नहीं जा सकता। उधर, भाजपा भी निर्दलीयों का समर्थन पाने का पूरा प्रयास कर रही है। पत्ते अभी किसी दल नहीं खोले। लेकिन, इतना स्पष्ट जरूर हो गया है कि निर्दलीयों का झुकाव जिस अोर हुआ, वही दल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होगा। निर्दलीय भी राजनैतिक दलों की मंशा और मजबूरी समझ रहे हैं।
आखिर मिल ही गया सिलेंडर
आक्सीजन की कमी की चर्चा क्या हुई, सिलेंडर सभी जुटाने लगे। जी हां, इन दिनों आक्सीजन सिलेंडरों की जुगाड़ पर हर कोई जोर दे रहा है। अफसर भी कतार में लगे हुए हैं। हरियाली वाले महकमे में पिछले दिनों आक्सीजन की कमी पर लंबी बहस छिड़ गई। कुछ तो घबरा ही गए। सोचने लगे कि भविष्य में जरूरत पड़ी तो आक्सीजन कहां से लाएंगे? फिर क्या था, सिलेंडर की खोज शुरू हो गई। इधर-उधर फोन खटखटाकर सभी जुगाड़ करने लगे। एक साहब की जुगाड़ बैठ गई। चहेते ने ई-रिक्शा से सिलेंडर घर पहुंचा दिया। सिलेंडर देखकर साहब ने गहरी सांस ली और मन ही मन बोले अब कोई डर नहीं। मगर साहब ने ये नहीं सोचा कि इसी तरह सिलेंडर बेवजह घरों में रखे जाएंगे तो अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए कहां से उपलब्ध होंगे। सरकारी महकमों के अफसराें की जिम्मेदारी तो कहीं ज्यादा है। उन्हें सहयोग करना चाहिए।