चुनाव चौपाल में बोले लोग - सरकार जो भी बने, उद्याेग विकसित होंगे तभी बेरोजगारी मिटेगी
UP Assembly Elections 2022 अलीगढ़ में जागरण में इस समय जगह जगह चुनावी चर्चा चल रही है। ज्यादातर लोगों ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। कुछ ग्रामीणों ने सड़क की दुर्दशा पर जनप्रतिनिधियों पर भड़ा़स निकाली तो कुछ ने वर्तमान सरकार को सराहा।
लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । UP Assembly Elections 2022 विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। एक ओर जहां उम्मीदवार मतदाताओं को शीशे में उतारने की कोशिश में लगे हैं। वहीं, मतदाता उम्मीदवारों को अपने ही पैमाने पर नाप रहे हैं। इनकी चौपालों में स्थानीय मुद्दों के अलावा राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हो रही हैं। दैनिक जागरण की बाइक जीटी रोड से होकर गुजरी तो जगह-जगह चौपालें सजी मिलीं। यहां चर्चा का विषय विधानसभा चुनाव ही था। कहीं विकास पर बहस चल रही थी तो कहीं बेरोजगारी को लेकर राजनेताओं पर तंज कसे जा रहे थे। यूरिया, डीएपी की कालाबाजारी, छुट्टा पशुओं के उत्पात के मुद्दे भी उठाए गए।
हर तरफ चुनाव की चर्चा
दोपहर 12 बजे सारसौल चौराहे के पास एक ढाबे पर खाना खाने आए बुजुर्ग मुंशीलाल बोले, जा ट्रैफिक ने तौ जीनो मुश्किल कर दीयौ है, चौराहो पार करने में आधो घंटा बीत जावै, राजनेतन कूं काहू की पड़ी, वो तौ होरन बजाके अपनी गाडिय़न तै निकलें, पुलिस वारे भी उन्हीं के ताईं रास्ता साफ करावें और छोटे लोगन पर डंडा फटकारें। सरकार भी कछू न कर रई। तभी, पास ही खड़े कुशलपाल बोले, जामे सरकार को का दोष, दोष तो हमारौ है। सड़क कू देख लो, दोनों ओर कितनो ट्रक खड़ो है, जाम न लगेगो तो और का होगो। जे तो पुलिस कू सोचनी चहिएं कि इनकू हटाए। खाना खाकर कुर्सी से उठते हुए किशनलाल वर्मा कहने लगे कि विधायक काई के लिए हैं, वो देखें कि सड़कन की का हालत है। नादा पुल पर दुकान के बाहर बैठे युवा भी चुनावी चर्चा करते मिले। परीक्षत कह रहे थे कि तमाम चुनाव देख लिए, नेता देख लिए, लेकिन जनता के दुख दर्द में कोई साथ नहीं होता है। जनता सरकारी दफ्तरों के बस चक्कर काटती रहती है, अधिकारियों पर कोई अंकुश नहीं होता है। तभी सोनू शर्मा बोले, इस सरकार में काम हो रहा है, भ्रष्टाचार कम हुआ है, हर चीज आनलाइन है, अब फर्जीवाड़ा करना इतना आसान नहीं है। अब जो भी सरकार बने, वो उद्योगों को विकसित करे, जिससे बेरोजगारी दूर हो।
यूरिया-डीएपी पर रुके फर्जीवाड़ा
खेरेश्वर महादेव मंदिर में नहर रजबहों में पानी न मिलने व यूरिया-डीएपी की किल्लत पर गरमा-गरम बहस चलती मिली। बनवारी लाल कह रहे थे कि सरकार कोई भी आ जाए यूरिया व डीएपी पर फर्जीवाड़ा नहीं रुकने वाला है। 260 की यूरिया की बोरी अब भी 300 में ही मिलती है। पंकज गिरी ने कहा कि ऐसा नहीं है, किसान ज्यादा पैसे देता ही क्यों है। पिछली साल ज्यादा पैसे लेने वाले दुकानदारों की सूची तैयार हो गई थी। तभी अर्जून बोले, तो कार्रवाई क्या हुई, सूची बनाकर फाइल में रख दी, लेकिन किसी का कुछ हुआ तो नहीं। चुन्नीलाल, धर्मेंद्र और सुरेश भी अपना-अपना पक्ष रखने लगे। मंदिर से निकली बाइक खेरेश्वर चौराहे के निकट एक टेंट हाउस पर रुक गई। यहां प्रभात शर्मा चुनाव में खड़े उम्मीदवारों को लेकर साथियों से चर्चा कर रहे थे। बोले, उम्मीदवार व्यवहारिक होना चाहिए, जो जनता की सुने, उनकी परेशानी समझे। नेता आते हैं और वोट पक्का करके चले जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। रजनीकांत, बबलू व योगेश ने सहमति जताई। सुशील ठाकुर कहने लगे कि बिल्कुल सही, वोट सोच समझकर ही देना चाहिए।