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कश्मीर के लोग भी चख रहे अलीगढ़ के केले का स्वाद Aligarh news

वैसे तो कश्मीर फल-फूल व सेब की फसल के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। मगर अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र के गांव चैंडोली बुजुर्ग निवासी किसान दिगंबर सिंह ने अपने खेत में केले की फसल की है। जिसका स्वाद कश्मीरी भी ले रहे हैं।

By Parul RawatEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 12:36 PM (IST)
कश्मीर के लोग भी चख रहे अलीगढ़ के केले का स्वाद Aligarh news
केले के खेत में किसान दिगंबर सिंह

अतरौली, जेएनएन : वैसे तो कश्मीर फल-फूल के लिए देश में क्या पूरे संसार में चर्चित है। खासतौर से कश्मीर सेब की फसल के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। मगर अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र के गांव चैंडोली बुजुर्ग निवासी किसान दिगंबर सिंह ने अपने खेत में केले की फसल की है। जिसका स्वाद कश्मीरी भी ले रहे हैं। किसान केले की फसल से प्रति साल काफी मुनाफा भी कमा रहा है। बड़े स्तर से की गई केले की खेती को देखने के लिए आसपास के तमाम किसान आते रहते हैं और खेती की जानकारी करते हुए होने वाले मुनाफे की जानकारी लेने से भी पीछे नही हट रहे हैं।  

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बैंगलोर से मिली फसल की प्रेरणा

किसान दिगंबर सिंह ने बताया कि तीन साल पूर्व वह बैंगलोर घूमने के लिए गए थे। जहां उन्होंने टिसु कल्चर लैब पहुंचकर फसलों के बारे में जानकारी हासिल की। तमाम फसलों के बारे में जानकारी करने के बाद उन्हें केले की फसल भा गई और उन्होंने खेत के कुछ हिस्से में तीन साल पूर्व केले की फसल की। जिसमें उन्हें काफी मुनाफा हुआ। जिसके चलते आज उन्होंने अपने 32 बीघा खेत में केले की फसल की है।

अहमदाबाद से लाई गई केले की पौध 

केले की पौध के बारे में जानकारी करने के बाद किसान दिगंबर सिंह अहमदाबाद गए। जहां से वह केले की 7500 पौधे लेकर आए। अहमदाबाद से गांव में लाने के बाद एक पौधा 18 रूपए की कीमत का पड़ा।

एक ही जड़ से दो फसल

केले का एक पेड़ दो वर्षों तक लगातार दो बार फल देता है। किसान की माने तो एक ही पेड़ पर मात्र एक ही केले की गैर आती है। गैर आने के बाद पेड़ को काटकर फेंक देते हैं। उसके बाद उसी कटे पेड़ की जड़ से दूसरा पौधा जन्म लेता है और वह बड़ा होकर दूसरी केले की गैर देता है।

खर्चा कम, मुनाफा अधिक

अहमदाबाद से 18 रूपए में लाया गया केला का पौधा 28 महीने में दो बार में 500 से 600 केले दे देता है। जो दिल्ली की मंडियों में 15 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकने के बाद कश्मीर से आए पेकार उसे गाडिय़ों में भरकर ले जाते हैं। दोनों में मात्र 18 से 20 पानी ही लगाए जाते हैं। केले की फसल में पानी की सबसे बड़ी बचत है। खाद के नाम पर देशी खाद ही इस्तमाल किया जाता है।


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