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कलेजे के टुकड़े की 22 साल बाद मिलीं हड्डियां, अलीगढ़ पुलिस ने खोला रहस्‍य, जानिए विस्‍तार से

पुलिस ने आरोपित सौतेले चाचा-चाची और उनके बेटे को हामिदपुर तिराहे से गिरफ्तार किया है। उन्होंने ही पकड़े जाने पर बताया कि बच्चे के शव को कुएं में फेंक दिया था।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 11:07 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 03:37 PM (IST)
कलेजे के टुकड़े की 22 साल बाद मिलीं हड्डियां, अलीगढ़ पुलिस ने खोला रहस्‍य, जानिए विस्‍तार से
कलेजे के टुकड़े की 22 साल बाद मिलीं हड्डियां, अलीगढ़ पुलिस ने खोला रहस्‍य, जानिए विस्‍तार से

अलीगढ़ [जेएनएन]: मां-बाप ने 22 साल में पल-पल दर्द सहा। उनके कलेजे के टुकड़े का अपहरण कर हत्या कर दी गई। शव का पता न चला। हत्यारोपित फरार हो गए। अब पुलिस ने आरोपित सौतेले चाचा-चाची और उनके बेटे को हामिदपुर तिराहे से गिरफ्तार किया है। उन्होंने ही पकड़े जाने पर बताया कि बच्चे के शव को कुएं में फेंक दिया था। इसके बाद पुलिस ने कुएं से हड्डियां बरामद कीं।

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दबिश दी, तो सभी गायब थे

एसएसपी मुनिराज ने लॉकडाउन में थानों का निरीक्षण किया तो पता चला कि 20-20 साल पुराने मुकदमे लंबित हैं। इसमें ही मानपुर के बच्चे अशोक पुत्र रवि कुमार के अपहरण और हत्या का भी मामला था। उन्होंने टप्पल एसओ आशीष कुमार ङ्क्षसह को इसका पता लगाने को कहा। 10-10 हजार के इनामी राजपाल पुत्र दीपचंद्र, उसकी पत्नी हरद्वारी और पुत्र मलुआ उर्फ तेजवीर के बारे में छानबीन की तो पता चला कि तीनों आदर्श नगर हरी विहार कॉलोनी बल्लभगढ़ मेंं सावित्री के मकान में किराये पर रहते हैं। दबिश दी, तो सभी गायब थे।

हामिदपुर तिराहे से गिरफ्तार किया

पुलिस ने गुरुवार को तीनों को हामिदपुर तिराहे से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि तीनों 1998 में हुई बच्चे की हत्या में शामिल थे। राजपाल ने बताया कि उसके पिता दीपचंद्र की दो शादियां हुई थीं। पहली मां से राजपाल व चंद्रपाल थे। दूसरी से रविकुमार, महीपाल व योगेंद्र थे। पिता ने जमीन का कुछ हिस्सा रविकुमार, महीपाल व योगेंद्र के नाम कर दिया। यह बात राजपाल को खटक गई और सौतेले भाई रविकुमार के पांच साल के बेटे अशोक की हत्या की योजना बनाई। राजपाल ने पत्नी हरद्वारी, बेटे मलुआ, भाई चंद्रपाल व भाभी कृपाली को षड्यंत्र में शामिल किया।

बच्चे की हत्या के लिए छह साल बाद आए थे गांव

राजपाल ने बताया कि वह 1992 में गांव छोड़कर फरीदाबाद चला गया था। बच्चे की हत्या करने के लिए 1998 में पांचों मानपुर आए। अशोक का अपहरण किया और गला घोंटकर हत्या कर दी। शव को ग्राम बाजौता में कुएं में फेंक दिया। पुलिस ने कृपाली को करीब 18 साल पहले जेल भेज दिया। चंद्रपाल की मौत हो गई थी। 1999 में पुलिस ने मफरूरी में चार्जशीट दाखिल कर इनाम घोषित कर दिया था।

पुलिस का ऐतिहासिक काम

आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद एडीजी व डीजीपी ने अलीगढ़ पुलिस को सराहा है। ऐसा यहां पहली बार हुआ है कि 22 साल बाद आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद मामला खुला हो।

दो दशक तक क्या करती रही पुलिस

हत्या के मामले में पुलिस की दो दशक तक लापरवाही रही। वह बच्चे की लाश तक नहीं ढूंढ पाई। पूरे मामले को फाइलों में दबाकर भूल गई। कप्तान ने इनामियों को पकडऩे का अभियान चलाया तो आरोपित हत्थे चढ़ गए। इस मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैैं। आखिर सवा दो दशक तक न जाने कितनी बार अपराधों की समीक्षा हुईं और थाने के निरीक्षण हुए लेकिन इतने लंबे समय तक किसी ने क्यों इस मामले को नहीं देखा। अब भी एसएसपी मुनिराज निर्देश नहीं देते तो मामला दबा ही रह जाता।

बच्चे की हड्डियां कुएं से बरामद की

एसपी देेहात अतुल शर्मा का कहना है कि इनामियों को पकडऩे के अभियान में तीनों आरोपित पकड़े गए हैं। तीनों ने जमीन के विवाद में 22 साल पहले एक बच्चे की अपहरण के बाद हत्या की थी। निशानदेही पर बच्चे की हड्डियां कुएं से बरामद की गई हैं।

अतुल शर्मा, एसपी देहात


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