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पाकिस्तानी मूल के लेखक ने मदरसों का बताया नफरत फैलाने वाला, इंटरनेट मीडिया पर लेख वायरल

खालिद उमर का मानना है कि एक मदरसा एक विशिष्ट धार्मिक स्कूल है। जहां मुस्लिम बच्चों को कुरान शरिया हदीस आक्रमणों का इस्लामी इतिहास (जिहाद) पढ़ाया जाता है। भारत में इस्लामी मदरसों की संस्था उतनी ही पुरानी है जितनी कि भारत में इस्लाम का इतिहास।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 07:16 AM (IST)
पाकिस्तानी मूल के लेखक ने मदरसों का बताया नफरत फैलाने वाला, इंटरनेट मीडिया पर लेख वायरल
यूके में रह रहे एक पाकिस्तानी मूल के लेखक खालिद उमर का लेख इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। यूके में रह रहे एक पाकिस्तानी मूल के लेखक खालिद उमर का लेख इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है। उन्होंने भारत में संचालित इस्लामिक मदरसों को बंद करने की बात कही है। कहा है, ये काम कर नरेन्द्र मोदी इतिहास रच सकते हैं। अकेले दिल्ली में ही तीन हजार से अधिक मदरसे हैं। देश भर में मदरसों से जुड़ी 40-50 लाख मस्जिदों के साथ देश को आगे ले जाने का कोई सपना नहीं देख सकता है। एक देश-एक पाठ्यचर्या भारत में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति का नुस्खा है। समान नागरिक संहिता को लागू करने से पहले, भारत को एक समान शिक्षा संहिता लागू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है कि भारतीय शहरों में हर दंगा जुमा की नमाज के बाद शुक्रवार को शुरू होता है।

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जिहाद के जरिये इस्‍लामी शासन की स्‍थापना का मकसद 

खालिद उमर का मानना है कि एक मदरसा एक विशिष्ट धार्मिक स्कूल है। जहां मुस्लिम बच्चों को कुरान, शरिया, हदीस, आक्रमणों का इस्लामी इतिहास (जिहाद) पढ़ाया जाता है। भारत में इस्लामी मदरसों की संस्था उतनी ही पुरानी है, जितनी कि भारत में इस्लाम का इतिहास। उन्होंने यह भी लिखा है कि जिहाद के माध्यम से पूरे भारत में इस्लामी शासन की स्थापना का लक्ष्य है। मदरसे घृणा, भय और झूठे अभिमान से भरे अत्यधिक निरंकुश व जहरीले दिमाग पैदा करते हैं। यूपीए सरकार (2009-10) पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए लिखा है कि सरकार ने मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना (एसपीक्यूईएम) के हिस्से के रूप में शुरू की। यह योजना अभी भी देश के 18 राज्यों में चल रही है।

मोदी सरकार को तुरंत क्या करना चाहिए

  • - सभी मदरसों का राष्ट्रीयकरण, पंजीकरण होना चाहिए और राज्य के पास शिक्षक, प्रशासक और पाठ्यक्रम को तय करने का अधिकार होना चाहिए।
  • मदरसों की आय के स्रोत की जांच की जाए। सभी मदरसों को सभी समुदायों के लिए खुले आधुनिक स्कूलों में परिवर्तित किया जाए। सभी बच्चों को एक समान पाठ्यक्रम पढ़ाया जाना चाहिए।
  • - सभी मदरसों की सीसीटीवी रिकार्डिंग के जरिए निगरानी की जाए, ताकि पता चल सके कि वहां क्या पढ़ाया जा रहा है।

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