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अलीगढ़ में आक्सीजन को लेकर हाहाकार, निजी चिकित्सालय संचालकों ने खड़े किए हाथ Aligarh news

कोरोना काल में सबसे उपयोगी आक्सीजन पर अब जिले में संकट मंडराने लगा है। मंगलवार को अधिकतर निजी अस्पतालों काे आक्सीजन नहीं मिली। इसके चलते अब इन अस्पतालों में निपटने के करीब पहुंच गई है। ऐसे में अस्पताल संचालक मरीजों को भर्ती करने पर हाथ खड़े कर दिए हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 06:28 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 08:12 AM (IST)
अलीगढ़ में आक्सीजन को लेकर हाहाकार, निजी चिकित्सालय संचालकों ने खड़े किए हाथ Aligarh news
कोरोना काल में सबसे उपयोगी आक्सीजन पर अब जिले में संकट मंडराने लगा है।

अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना काल में सबसे उपयोगी आक्सीजन पर अब जिले में संकट मंडराने लगा है। मंगलवार को अधिकतर निजी अस्पतालों काे आक्सीजन नहीं मिली। इसके चलते अब इन अस्पतालों में निपटने के करीब पहुंच गई है। ऐसे में अस्पताल संचालक मरीजों को भर्ती करने पर हाथ खड़े कर दिए हैं। अस्पतालों में पहले से भर्ती मरीज व उनके स्वजनों के सामने मुसीबत खड़ी हो रही है। प्रशासन अब आक्सीजन के अधिक से अधिक उत्पादन पर जोर दे रही है।

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एक मात्र हवा से आक्सीजन बनाने का प्लांट कासिमपुर में

जिले में कासिमपुर स्थित राधा इंडस्ट्री के नाम एक मात्र हवा से आक्सीजन बनाने का प्लांट है। इसमें हर दिन करीब 250 सिलिंडर तैयार किए जाते हैं। वहीं तीन फैक्ट्रियों में द्रव से आक्सीजन गैस बनाई जाती है। इनमें तालानगरी स्थित राधिक इंडस्ट्री, गौडा रोड की एसी व ताला नगरी की केसी इंड्रस्टी शामिल हैं। इनमें भी हर दिन करीब सौ-सौ सिलिंडर बनाए जाते हैं। इसके अलावा तीन थोक विक्रेता हैं। इनमें मैरिस रोड स्थित त्रिलोक गैस, मसूदाबाद की यूनिवर्सिल व जीटी रोड की लक्ष्मी सर्विस शामिल हैं। इन तीनों विक्रेताओं के यहां 250-250 सिलिंडर का स्टाक रहता है।

नहीं मिल पा रहा द्रव

कोरोना काल में आक्सीजन की खतप बढ़ गई है। ऐसे में द्रव से आक्सीजन बनाए जाने वाले प्लांटों में द्रव बरेली, गाजियाबाद, मोदीनगर से मिलना कम हो गया है। वहीं, आक्सीजन में ज्यादा खपत हो रही है। ऐसे में आक्सीजन की किल्लत बढ़ गई है। प्रशासन ने पिछले दिनों उद्योगों के लिए भी आक्सीजन की आपूर्ति पर रोक लगा दी है, लेकिन इसका बाद भी पूर्ति नहीं हो रही है। ऐसे में अब अस्पतालों में आक्सीजन की कमी पड़ने लगी है। मंगलवार को निजी चिकित्सालयों में किल्लत शुरू हो गई। अधिकतर अस्पतालों में आक्सीजन खत्म होने के ओर हैं। ऐसे में यह संचालक हाथ खड़े करने लगे हैं। हालांकि, प्रशासन भी बाहर से आक्सीजन के लिए द्रव की आपूर्ति के लिए लगातार प्रयासरत है। अब देर रात या बुधवार को इसकी आपूर्ति होने की उम्मीद है।

इनका कहना है

हमारा 40 बेड का कोविड केयर सेंटर है। रोजाना 120 आक्सीजन सिलिंडर की जरूरत है। आज कई सप्लायर से बात की गई, सभी ने आक्सीजन देने इन्कार कर दिया। प्रशासन ने आश्वासन तो दिया है, मगर अभी तक सिलिंडर नहीं मिले हैं। जबकि, अब रात तक के लिए आक्सीजन बची है।

- डा. संजीव शर्मा, संचालक एसजेडी हास्पिटल।

जनता की सेवा के लिए हास्पीटल का संचालन शुरू हुआ है, लेकिन एक साथ बड़ा संकट आ गया है। दवाएं व इंजेक्शन भी पर्याप्त नहीं मिल रहे हैं। आक्सीजन भी नहीं हैं। ऐसे में इन संसाधनों के बिना भी मरीज भर्ती नहीं किए जा सकते। उम्मीद है प्रशासन से इस समस्या का समाधान जरूर खोज लेगा।

- सुमित सराफ, निदेशक शेखर सराफ मैमोरियल हास्पिटल(रूसा)

आक्सीजन को लेकर प्रशासन लगातार प्रयासरत है। बरेली, गाजियाबाद समेत अन्य शहरों में बातचीत चल रही है। जल्द ही आक्सीजन बनाने के लिए द्रव मिल जाएगा। इसके साथ ही जिले में भी तेजी से उत्पादन किया जा रहा है।

विनीत कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट व आक्सीजन प्रभारी

आक्सीजन में मुनाफाखोरी की तो दर्ज होगा मुकदमा 

अलीगढ़ : आक्सीजन के संकट से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है। डीएम चंद्रभूषण सिंह ने इसके लिए मंगलवार को आक्सीजन प्लांट संचालक व प्रशासनिक अफसरों की एक बैठक बुलाई। इसमें निर्दश दिए कि आक्सीजन को लेकर कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। सभी प्लांट क्षमता के हिसाब से उत्पादन करें। अगर कहीं भी मुनाफाखोरी या कालाबाजारी मिलती है तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। गाजियाबाद, बरेली समेत अन्य शहरों से द्रव को समय से मंगा लें। जिससे आक्सीजन तैयार कराई जा सके। अगर कहीं बीच की कोई बाधा आ रही है तो फिर सिटी मजिस्ट्रेट से संपर्क करें। तेजी से उत्पादन करें। जरूरत के हिसाब से अस्पतालों को आक्सीजन का आवंटन किया जाए। इस मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट विनीत कुमार सिंह, औषधि निरीक्षक हेमेंद्र चौधरी समेत अन्य मौजूद रहे।


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