हमारा संविधान मौलिक अधिकार व कर्तव्यों के पारस्परिक तालमेल का उत्तम उदाहरण Aligarh news
अलीगढ़ मुस्लिलम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के विभिन्न विभागों में संविधान दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। एएमयू की लॉ सोसायटी की ओर से ”मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्यों के बीच सामंन्जय” विषय पर आनलाइन एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन किया गया।
अलीगढ़, जेएनएन : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के विभिन्न विभागों में संविधान दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। एएमयू की लॉ सोसायटी की ओर से ”मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्यों के बीच सामंन्जय” विषय पर आनलाइन एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि इंडियन लाॅ इंस्टीट्यूट दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्यों के बीच काफी गहरा संबंध है। हमारा संविधान मौलिक अधिकार तथा कर्तव्यों के पारस्परिक तालमेल का उत्तम उदाहरण है। मगर मौलिक अधिकारों की अपेक्षा मौलिक कर्तव्यों के क्रियान्वन में हम कहीं न कहीं पिछड़े हुए हैं।
मानवीय अधिकारों की सुरक्षा करनी चाहिए
कहा कि, मानवीय अधिकार की परिभाषा अभेदात्मक सिद्धांत पर बल देती है। राज्य मानव की अन्तद्रित गरिमा तथा मानवीय अधिकारों की सुरक्षा करनी चाहिए। यूडीएचआर वो प्रथम अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज़ है जिसमें विश्व को अधिकारों के साथ कर्तव्यों का अहसास कराया। भारतीय संविधान में 1976 में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया। प्रो. सिन्हा के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए लाॅ सोसायटी के अध्यक्ष तथा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. शकील अहमद समदानी ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में भारत में संविधान दिवस का उत्सव मनाया जा रहा है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना सम्पूर्ण संविधान के प्रावधानों को परिलक्षित करती है। 1976 के संशोधन में संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद तथा धर्मनिरपेक्ष शब्द के साथ एक नया भाग 4-ए जोड़ा गया। जिसमें भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया जो कि सराहनीय है। भारतीय संविधान सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह सभी नागरिकों को न्याय, समानता तथा स्वतन्त्रता प्रदान करता है। हम धरने प्रदर्शन तथा और कर्तव्यों से सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। पर्यावरण, नदी, जंगल, झीलें, तालाबों एवं प्रदूषण से देश को नुकसान पहुंच रहे हैं। इसीलिए सभी नागरिकों को मौलिक कर्तव्यों का अहसास कराना चाहिए। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को भी पढ़ा। वेबिनार में देश के साथ-साथ विदेशों से भी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। स्वागत भाषण प्रोफेसर मोहम्मद अशरफ, संचालन आयशा अल्वी, परिचय माहालका अबरार तथा धन्यवाद प्रस्ताव मोहम्मद नासिर ने किया। फौजिया, शैल्जा सिंह ने रिपोर्टियर के दायित्व को अंजाम दिया। इस वेबिनार को सफल बनाने में सौम्या गोयल, शोएब अली, अब्दुल्ला समदानी, रजिया चौहान, काशिफ सुल्तान, पवन वार्ष्णेय आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
अजमल खान तिब्बिया में भी मना संविधान दिवस
एएमयू के अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के इलाज बित तदबीर विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. आसिया सुलतान ने कोविड नियमों का पालन करते हुए संविधान दिवस के अवसर पर विभाग के शिक्षकों एवं स्टाफकर्मियों को संविधान के संरक्षण की शपथ दिलाई। प्रो. सुल्तान ने कहा कि संविधान हमें अपने संविधान पर गर्व है। उन्होंने संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने और उन्हें अपनाने का आह्वान किया। एएमयू के आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में संविधान दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. क्रांतिपाल ने प्रस्तावना को पढ़ा। डाॅ. ताहिर एच पठान ने संविधान संरक्षण की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रो. ए नुजूम, प्रो. एमए जरगर, डाॅ. अमीना खातून, डाॅ. तामिल सेलवन और डाॅ. कासिम खान पठान सहित शोधार्थी और गैर शिक्षक कर्मी मौजूद रहे।
दूरस्थ शिक्षा केंद्र पर भी शपथ ग्रहण
एएमयू के दूरस्थ शिक्षा एंड आनलाइन एजुकेशन के निदेशक प्रो. नफीस अहमद अंसारी ने केंद्र के शिक्षकों और गैरशिक्षक कर्मियों को संविधान संरक्षण की शपथ दिलाई। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा। रास मसूद हाल में प्रोवोस्ट प्रो. मुजीब अहमद अंसारी ने हाल के तमाम वार्डन्स और अन्य स्टाफ कर्मियों को संविधान की शपथ दिलाई। उन्होंने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय संविधान विश्व के संविधान उत्कृष्ट संविधानों में से एक है।