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कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा से अलीगढ़ में विपक्ष ने भी मनाया जश्न

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्तिक पूर्णिमा पर कृषि कानून वापस लेने की घोषणा से किसान संगठन खुश हैं। विपक्ष भी जश्न मना रहा है। शुक्रवार को जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं। समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय पर जुटे पार्टीजनों एक-दूसरे को बधाई दी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 04:15 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 04:15 PM (IST)
कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा से अलीगढ़  में विपक्ष ने भी मनाया जश्न
जिला कार्यालय पर पार्टीजन एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई देते नजर आए।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्तिक पूर्णिमा पर कृषि कानून वापस लेने की घोषणा से किसान संगठन खुश हैं। विपक्ष भी जश्न मना रहा है। शुक्रवार को जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं। समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय पर जुटे पार्टीजन एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई देते नजर आए। उधर, किसान संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। वहीं, किसानों की अन्य मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखने की बात भी कही है। किसान नेताओं का कहना है कि किसानों के संघर्ष से ऐसा संभव हो पाया है। वहीं, सपा नेता अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा के डर से सरकार के झुकने की बात कह रहे हैं। कांग्रेस, बसपा व अन्य संगठनों की भी अपनी-प्रतिक्रियाएं हैं। हर संगठन सरकार के फैसले पर श्रेय लेने की कोशिश में लगा है।

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केंद्र सरकार ने कृषि कानून लाकर देश में कृषि की दिशा और दशा बदलने का प्रयास किया। लेकिन, इसका पुरजोर विरोध हुआ। किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया, जिसका हिस्सा अलीगढ़ के किसान और संगठन भी बने। भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा और इनसे जुड़े तमाम किसान संगठनों की जिला इकाइयों ने जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किए, ट्रैक्टर रैलियां निकालीं। सिंधु बाेर्डर, गाजीपुर बोर्डर पर जाकर धरने में भी शामिल हुए। कुछ संगठनों ने हथियार डाल दिए तो कई आंदोलन को धार देने में लगे रहे। भाकियू (स्वराज) के बैनर तले आलमपुर में लंबा धरना चला। ट्रेन रोकने के प्रयास भी किए गए, लेकिन किसान नेता इसमें सफल नहीं हो सके। किसान संगठनों के इस आंदोलन को सपा पीछे से धक्का देती रही। किसान नेताओं के बीच सपाई अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते थे। अब क़ृषि कानून वापस लेने का बड़ा ऐलान हुआ है तो सभी संगठन इसे अपनी जीत बता रहे हैं। कुछ नेताओं ने इसे किसानों की जीत कहा है। पूर्व सांसद व सपा नेता चौ. बिजेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार को कानून वापस ही लेने थे तो इतना समय क्यों लगाया। कानून तभी वापस ले लेने चाहिए थे। 600 किसानों की मौत तो न होती। प्रधानमंत्री को लग रहा था कि उत्तर प्रदेश की सत्ता हाथ से जाने वाली है, अखिलेश यादव भी विजय रथ यात्रा लेकर निकल गए है, जिसमें जन सैलाब उमड़ रहा है। इस डर से कृषि कानून वापस लिए गए। पूर्व सांसद ने कहा कि हम सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन किसान अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

सपा कार्यालय पर जश्न

क्वार्सी बाईपास स्थित सपा कार्यालय पर जश्न का माहौल था। सुबह 11 बजे से ही सपा नेता और कार्यकर्ता कार्यालय आ गए और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी। जिलाध्यक्ष गिरीश यादव कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने किसान विरोधी कानून अभी पूर्ण रुप से वापस नहीं लिया है। एमएसपी की मांग अभी बाकी रह गई है, एमएसपी को बहाल कराने के लिए किसान और पार्टी संघर्षरत है। पूर्व विधायक जफर आलम ने कहा कि जिन परिवारों के मुखिया किसान आंदोलन में शहीद हुए हैं, उनके स्वजन को सरकार मुआवजा दे और परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दे। मृत किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह जीत किसान और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की है। इसके लिए सभी किसानों और पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार। नवनियुक्त प्रदेश सचिव सोमवीर सिंह ने कहा कि निश्चित ही समाजवादी पार्टी जनपद में सातों विधानसभाओं पर विजय पताका लहराएगी। जिला प्रवक्ता राजेश सैनी ने कहा कि भाजपा की नजर में जब कृषि कानून उचित था, तब वापस लेने की आवश्यकता क्यों पड़ी। यदि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं था तो उसको लागू करने की आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी। भाजपा कभी किसानों की हितैषी नहीं हो सकती। इस अवसर पर अहमद सईद सिद्दीकी, कृपाल सिंह यादव, विजय प्रजापति, धीरज यादव, पंकज यादव, गुड्डा यादव, मनीष शर्मा, रंजीत सिंह, संजय शर्मा, राजेश माहौर, धारा सिंह, सीपी सिंह, शमशेर खान, मनोज जाटव, अर्जुन तोमर, प्रभु सिंह, सुमन भूरी, डा. बादशाह खान, कुंवर बहादुर बघेल, राकेश यादव, डाा. पुष्पेंद्र यादव, मीना जाटव, वीरेश कुमार, राजेश कुमार, अजय शर्मा, उपेंद्र कुमार आदि थे।


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