अलीगढ़ के दीनदयाल अस्पताल में चार घंटे ठप रही ओपीडी व इमरजेंसी, मची चीख-पुकार
दीनदयाल अस्पताल का स्टाफ मारपीट होने के बाद हड़ताल पर गया ओपीडी से लौटे मरीज इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को नहीं मिला इलाज।
जासं, अलीगढ़ : दीनदयाल अस्पताल में मरीज की मौत पर मचे हंगामे के बीच शुक्रवार को चिकित्सकों व स्टाफ की हड़ताल से करीब चार घंटे ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं ठप रही। गंभीर मरीजों को उपचार नहीं मिल पाया। तीमारदार डाक्टरों व स्टाफ को बुलाने के लिए खूब चीखे-चिल्लाए। मरीज भी कराहते रहे। लेकिन, डाक्टर नहीं लौटे। करीब डेढ़ बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, तब डाक्टर व स्टाफ ने इमरजेंसी में आकर उपचार शुरू किया। काफी मरीजों की जिदगी खतरे में पड़ गई। सुबह 9:30 बजे से तीसरे पहर डेढ़ बजे तक यही स्थिति रही।
नौरंगाबाद के बंटी कुमार अपनी भांजी मुस्कान (15) को गंभीर हालत में इमरजेंसी लेकर पहुंचे, वहां कोई स्टाफ नहीं था। यह देख बंटी व अन्य स्वजन परेशान हो उठे। मुस्कान को तेज बुखार था, वह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। स्वजन ने उसे फर्श पर लिटा दिया। उनके पास निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए भी पैसे नहीं थे, लिहाजा अधिकारियों से डाक्टर को बुलाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
चंडौली के हरिबाबू की प्लेटलेट्स गिरी हुई थीं। वे कल रात 11 बजे दीनदयाल अस्पताल की इमरजेंसी में लाए गए, यहां से उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया। हड़ताल के चलते कोई डाक्टर उन्हें देखने नहीं पहुंचा तो स्वजन बिना डिस्चार्ज के ही आइसीयू से निकालकर बाहर ले आए। मरीज न देखने पर स्वजन ने डाक्टरों व स्टाफ के प्रति अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया। मरीज को दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए एंबूलेंस न मिलने पर मरीज को बाइक पर बैठाकर ले गए।
मुस्कान व हरिबाबू की तरह तमाम मरीजों को हड़ताल के चलते उपचार नहीं मिल पाया। तमाम डाक्टर व स्टाफ प्रथम तल पर मौजूद मीटिग हाल में इकट्ठा थे। एसीएम द्वितीय अंजुम बी व सीओ श्वेताभ पांडेय ने उन्हें समझाया भी, लेकिन नीचे हंगामा होने से वे नहीं आए। उन्होंने कहा कि 100 बेड की क्षमता व संसाधनों के सापेक्ष 360 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बिना डाक्टर व पर्याप्त स्टाफ के ऐसी स्थिति रोज आएगी। उन्होंने सुरक्षा की मांग भी उठाई। अफसरों के आश्वासन व शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की खबर के बाद ही इमरजेंसी व वार्ड में तैनात स्टाफ ड्यूटी पर लौटा।