कोरोना की गंभीरता को समझना होगा, दूसरी लहर हावी हुई तो मुश्किलें बढ़ेंगी Aligarh news
कोरोना वायरस के बढ़ते केस ने एक बार फिर ङ्क्षचता बढ़ा दी है। ये वाजिब भी है। कोरोना के केसों का ग्राफ नीचे जा रहा था लेकिन अब अचानक बढ़ रहा है। कोरोना का दुष्प्रभाव हम सबने करीब से देखा है। एक साल से इसकी मार ही झेल रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन : कोरोना वायरस के बढ़ते केस ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। ये वाजिब भी है। कोरोना के केसों का ग्राफ नीचे जा रहा था, लेकिन अब अचानक बढ़ रहा है। कोरोना का दुष्प्रभाव हम सबने करीब से देखा है। एक साल से इसकी मार ही झेल रहे हैं। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहां इस वायरस का असर न दिखा हो। फैक्ट्री बंद होने से बेरोजगार हुए लोगों की पीड़ा से सब परिचित हैं। पैदल चलते लोगों के छाले अभी भूल नहीं पाए हैं। लाकडाउन में बंद हुए बाजारों में सामान के लिए हर कोई भटका था। अर्थव्यवस्था अभी भी ठीक से पटरी पर नहीं लौटी है। एक साल से स्कूल बंद हैं। उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। केंद्रीय विश्वविद्यालय तक में कक्षाएं नहीं हो रही है। इन सबके बीच कोरोना की ये दूसरी लहर हावी हुई तो मुश्किलें ही बढ़ेंगी। इसकी गंभीरता सबको समझनी होगी।
मजबूत चेन की जरूरत
कोरोना को मात देने के लिए एक बार फिर मजबूत चेन बनाने की जरूरत है। ये काम कोई नया नहीं है। ऐसा कर भी चुके हैं। बस जरूरत है तो मास्क लगाने व शारीरिक दूरी बनाने की। बाजारों में जिस तरह के नजारे दिखाई दे रहे हैं, वो ठीक नहीं हैं। लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। कम से कम मास्क का तो इस्तेमाल कर ही सकते हैं। इसकी अलख फिर से जगानी होगी। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के अलावा सामाजिक संगठनों को इसके लिए आगे आना होगा। जागरूकता से ही इस अदृश्य बीमारी के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसकी शुरुआत हर घर से करनी होगी। तय करना होगा कि बिना मास्क के कहीं नहीं जाना है। मास्क ही वो हथियार है, जिससे वायरस से जंग जीती जा सकती है। एक बार फिर उसी जज्बे को दिखाने का समय आ गया है, जिसमें सबकी जिम्मेदारी अहम है।
ये नाराजगी ठीक नहीं है
कृष्णांजलि में शुक्रवार को जो कुछ हुआ, वो न तो माननीयों के लिए ठीक था, न अफसरों के लिए। ये टकराव ऐसे मौके पर हुआ, जब सरकार चार साल का जश्न मना रही है। प्रभारी मंत्री की मौजूदगी सीएम योगी का भाषण चल रहा था। नाराज होकर माननीयों का मंच से नीचे आना दर्शा रहा था कि अफसरों व माननीयों के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कोई ऐसी खाई बन गई है, जिसे पाटना आसान नहीं हो रहा है। कभी माननीय पुलिस से भिड़ जाते हैं तो कभी प्रशासन से। आरोप प्रत्यारोप लगाने से भी पीछे नहीं हटते हैं। विपक्ष को भी सरकार पर सवाल उठाने का मौका मिल जाता है। इससे माननीय व प्रशासन के बीच खाई और भी गहरी हो सकती है। लोगों में चर्चाएं रहती हैं कि जब सरकार आपस में ही सुलह नहीं कर पा रही है तो फिर जनता का भला क्या करेगी।
कानूनी बाधा से बदले चेहरे
विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल कहे जाने वाले पंचायत चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं। पिछले दिनों जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट को अनारक्षित कर दिया गया था। पहली बार इस सीट को लेकर अनुभवी लोगों के साथ युवाओं में भी अच्छी खासी दिलचस्पी दिख रही थी। सत्ताधारी पार्टी से जुड़े दो बड़े परिवारों के युवाओं ने तो कुर्सी पर बैठने के पूरे सपने संजो लिए थे। गोटियां भी इसी हिसाब से बिछाई गई थीं। इसी बीच प्रस्तावित आरक्षण पर कानूनी अड़ंगा लग गया। कोर्ट के आदेश पर अब संशोधित आरक्षण हुआ है। इसमें अलीगढ़ के अध्यक्ष पद की सीट को महिला वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसमें अब महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकेंगी। इसी के चलते उम्मीदवारों के चेहरे भी बदले गए हैं। सियासी घरानों से जुड़ीं महिलाएं एक बार फिर सक्रिय दिख रही हैं। होर्डिंग और पोस्टरों में भी इनके चेहरे दिखने लगे हैं।