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Wonderful : विधायक के सुझाव पर संगठन ने बदल दी गलियों की पहचान Aligarh news

नाम में क्या रखा है यह डायलाग अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा। दरअसल यह डायलाग इंग्लिश लेखक शेक्सपियर के नाटक ‘रोमियो एंड जूलियट’ का है। लेकिन नेताओं के बाद यह डायलाग एक स्थानीय व्यापारिक संगठन को भी खूब पसंद आया।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 06:31 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 06:32 AM (IST)
सासनीगेट औद्योगिक वेलफेयर संस्थान ने इलाकों के नाम बदल कर गलियाें के नुक्कड़ पर पेंट से अंकित करा दिया।

अलीगढ़, जेएनएन : 'नाम में क्या रखा है' यह डायलाग अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा। दरअसल, यह डायलाग इंग्लिश लेखक शेक्सपियर के नाटक ‘रोमियो एंड जूलियट’ का है। लेकिन, नेताओं के बाद यह डायलाग एक स्थानीय व्यापारिक संगठन को भी खूब पसंद आया, तभी तो सासनीगेट क्षेत्र के पला रोड पर तमाम गली-मोहल्लों के नाम बदल दिए। राम-कृष्ण के नाम पर बनी इन मोहल्लों की पहचान को एल्फावेट और नंबरों में बदल दिया। जबकि, किसी क्षेत्र का नाम बदलने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। गजट होता है, आपत्तियां मांगी जाती हैं, तब कहीं जाकर नगर निगम द्वारा नाम बदला जाता है। इन मोहल्लों को मिली इस नई पहचान से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। क्योंकि, सरकारी रिकार्ड में पुराने ही नाम हैं। क्षेत्रीय लोगों के दस्तावेजों में वही पते दर्ज हैं। जानकारी मिलने पर नगर निगम संगठन को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है।

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पुरानी है नाम बदलने की परंपरा

भारत देश में नाम बदलने की परंपरा पुरातन समय से चली आ रही है। तब मुगलों ने नगरों के नाम बदले थे, फिर ब्रिटिश हुकूमत ने नाम बदल दिए। अब राजनैतिक दल इसी परंपरा को हवा दे रहे हैं। अब देखिए, बंबई का नाम मुंबई हो गया, उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया, त्रिवेंद्रम को तिरुवनंतपुरम, कलकत्ता को कोलकाता, मद्रास को चेन्नई, पूना को पुणे, कोचीन को कोच्चि, बैंगलोर को बेंगलुरू, पांडिचेरी को पुदुच्चेरि, इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया गया है। सड़कों के नाम भी बदले गए हैं। यह तो रही जिले और सड़कों की बात, अब गली-मोहल्लों के नाम भी बदलने की नई परंपरा डाली जा रही है। इसकी शुरुआत पला रोड से हुई है। यहां राम विहार, कृष्णा विहार, गोपाल पुरी, आरके पुरम, बैंक कालोनी आदि नाम से तमाम गली-माेहल्ले हैं।

बीते साल बदले गए कई नाम

बीते साल सासनीगेट औद्योगिक वेलफेयर संस्थान ने इन इलाकों के नाम बदल कर गलियाें के नुक्कड़ पर पेंट से अंकित करा दिया। जैसे- गली नंबर ए-11, गली नंबर बी- 8 आदि। परेशानी ये है कि पुराने पते जो कोरियर, पार्सल आदि लेकर कंपनियों के जो कर्मचारी आते थे, वे अब असमंजस में पड़ जाते हैं। पुराना पता लेकर बाहर का कोई व्यक्ति पहली बार किसी को मिलने यहां पहुंचे तो चक्कर काटता रहता है। नगर निगम अधिकारी बताते हैं कि किसी भी मोहल्ले का नाम बदलने के लिए जन प्रतिनिधियों द्वारा अपील की जाती है। इसका प्रस्ताव सदन से पास कराना होता है, आपत्तियां मांगी जाती हैं। मंजूरी मिलने के बाद ही नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें काफी समय लगता है। जबकि, व्यापारिक संगठन ने एक ही बैठक में ये निर्णय ले लिया। 

इनका कहना है

पिछले साल शहर विधायक संजीव राजा के साथ बैठक हुई थी। विधायक ने ही यह सुझाव दिया था, जिस पर हमने सहमति जता दी। संस्था द्वारा गलियों पर नंबर अंकित करा दिए, जिससे गलियां तलाशने में कोई परेशानी न हो। यह बात सही है कि इसके लिए कोई लिखित आदेश या अन्य कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। सिर्फ स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए ऐसा किया है। 

राजेश सड़कोड़ा महामंत्री, सासनीगेट औद्योगिक वेलफेयर संस्थान

यह गलत है। कोई भी संगठन अपने स्तर पर किसी इलाके की पहचान नहीं बदल सकता। इसके लिए पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है। तब कहीं जाकर नाम बदलने पर नगर निगम निर्णय लेता है। व्यापारिक संगठन को हम नोटिस दे रहे हैं। 

अरुण कुमार गुप्त, अपर नगर आयुक्त


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