ओमिक्रोन अलर्ट: फेफड़ों में फाइब्रोसिस... सर्दी में हांफ रहे पोस्ट कोविड रोगी, घबराएं नहीं, ऐसे करें बचाव
विशेषज्ञों के अनुसार ये रोगी पोस्ट कोविड सिंड्रोम से ग्रस्त हैं। ठंड में कोहरा स्माग व प्रदूषण से वातावरण में आक्सीजन की मात्रा घट जाती है। कोरोना से फेफड़ों की कार्यक्षमता पहले ही घट चुकी होती है इसलिए सांस लेने में दिक्कत होती है।
अलीगढ़, विनोद भारती। पिछले साल कोविड-19 वायरस के डेल्टा वैरिएंट ने खूब हाहाकार मचाया था। ज्यादातर रोगियों ने अपनी इच्छाशक्ति से वैरिएंट को हरा दिया था। चिंता की बात ये है कि सर्दी बढ़ते ही रोगी इन दिनों हांफते अस्पताल पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये रोगी पोस्ट कोविड सिंड्रोम से ग्रस्त हैं। ठंड में कोहरा, स्माग व प्रदूषण से वातावरण में आक्सीजन की मात्रा घट जाती है। कोरोना से फेफड़ों की कार्यक्षमता पहले ही घट चुकी होती है, इसलिए सांस लेने में दिक्कत होती है।
फेफड़ों में संक्रमण से हुई थी मृत्यु
कोरोना काल में सबसे ज्यादा रोगियों की मृत्यु फेफड़ों में संक्रमण से हुई थी। रिपोर्ट आते-आते रोगियों की मृत्यु हुई। हर दूसरे रोगी को आक्सीजन व वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत पड़ी। पहले से ही सांस, अस्थमा, हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की सबसे ज्यादा मृत्यु हुई। काफी रोगियों ने हिम्मत नहीं हारी, अपनी इच्छाशक्ति से कोरोना का हरा दिया। इन्हीं रोगियों में अब पोस्ट कोविड ङ्क्षसड्रोम के लक्षण सामने आ रहे हैं।
सांस नली में संकुचन
जेएन मेडिकल कालेज स्थित टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के चेयरमैन प्रो. मोहम्मद शमीम बताते हैं कि कोरोना संक्रमित कुछ रोगियों को ठीक होने पर 10 दिन तो कुछ को छह माह या इससे अधिक समय फिट होने में लग सकता है। दोबारा संक्रमण को लेकर फिलहाल स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर में एंटीबाडी किस हद तक है। सर्दी के मौसम में प्रदूषण व कोहरा छाया रहता है। इससे रोगियों को सांस फूलना, बेचैनी, थकान, घबराहट व अन्य समस्याएं हो सकती हैं। कोरोना वायरस से उनके फेफड़ों में पहले से ही संकुचन होता है,जो सर्दी में बढ़ जाता है। फेफड़े हवा से पर्याप्त आक्सीजन नहीं ले पाते हैैं और रोगी को सांस लेने में समस्या होती है।
वातावरण में आक्सीजन कम
राठी हास्पिटल की चेस्ट फिजीशियन डा. रूबीना राठी ने बताया कि सर्दी बढ़ते ही कई पोस्ट कोविड रोगी सांस फूलने की समस्या लेकर आ रहे हैं। अधिकतर की सांस नली में सिकुडऩ, फेफड़ों में पल्मोनरी व फाइब्रोसिस बढ़ी हुई है। फाइब्रोसिस एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों में जख्म और अकडऩ का कारण बनती है। इससे पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन नहीं मिल पाती है। रोगी को दिल संबंधी विकार व अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं।
ऐसे करें बचाव
- खानपान का विशेष ध्यान रखें। डाक्टर के बताए व्यायाम करते रहें।
- शुगर, बीपी को नियंत्रित रखें। अन्य बीमारियों का इलाज करते रहें
- धूमपान या एल्कोहल का सेवन न करें। तैलीय भोजन से परहेज करें।
- रोगी के कक्ष में घुटन न हो, खिड़कियों से हवा पास होती रहे।