अब तो है एक ही सवाल काले हिरणों के सूखने लगे हलक, कहां बुझाएं प्यास? Aligarh news
पला सल्लू काला हिरण संरक्षण केंद्र में नहीं पानी की व्यवस्था। गर्मियों में प्यास बुझाने को आबादी तक पहुंच जाते हैं हिरण।
अलीगढ़ [जेएनएन] मौसम का मिजाज बदल रहा है। दोपहर में तापमान बढ़ जाता है। तेज धूप व खुश्क हवाओं से आमजन ही नहीं, जीवों के हलक सूखने लगे हैं। गभाना के पला सल्लू संरक्षण केंद्र में पल रहे काले हिरण भी प्यास से व्याकुल होकर आबादी तक पहुंच रहे हैं। सरकार व वन विभाग ने यहां जीवों की प्यास बुझाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं। ऐसे में केंद्र से बाहर निकलकर प्यास बुझाने वाले काले हिरणों का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर 63 हेक्टेयर में फैले पला सल्लू काला हिरण संरक्षण केंद्र की स्थापना 2003-04 में हुई। तब यहां 1100 हिरण गिने गए। जंगल में कई तालाब खुदवाए गए, यहां हिरण प्यास से बुझाते ही थे, आसपास क्रीड़ा भी करते। इन तालाबों को भरने के लिए तब 20-22 बोङ्क्षरग भी कराए गए। अब यहां एक भी बोङ्क्षरग दिखाई नहीं दे रहे। दो तालाब हैं, जिन्हें भरने का जरिया बरसात का पानी ही है। इस समय तालाब सूखे पड़े हैं।
बजट का सूखा
2018 में वन विभाग ने केंद्र के जीर्णोद्धार के लिए 14.50 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा। इसमें बाउंड्रीवॉल व तारबंदी, पानी की हौद व हरियाली के लिए पौधरोपण का प्रस्ताव था, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया।पर्यावरण कार्यकर्ता रंजन राना का कहना है कि मैंने पिछले माह ताला का जायजा लिया। दोनों तालाबों में पानी नहीं। पुराने बोङ्क्षरग या तो जमीन में दब गए या नष्ट हो गए, पता नहीं। वन विभाग व सरकार को पानी की व्यवस्था तुरंत करनी चाहिए, ताकि काले हिरण पानी के लिए आबादी तक न पहुंचे। शिकारी व हादसे की आशंका रहती है। वहीं इस मामले में प्रभारी प्रभागीय निदेशक वन विभाग सतीश कुमार ने बताया कि पला सल्लू में जल्द ही टीम भेजी जाएगी। काले हिरणों के लिए पेयजल की सुविधा के लिए जो भी संभव होगा, वह व्यवस्था की जाएगी। शासन को पुन: प्रस्ताव भेजकर यहां की स्थिति से वाकिफ कराया जाएगा।