Children of Aligarh Post Covid Affected: पता नहीं चला, काफी बच्चों को हुआ था कोरोना, अब सामने आ रहे हैं पोस्ट कोविड लक्षण, एंटी बाडी टेस्ट भी पाजिटिव
कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है लेकिन सच तो ये है कि काफी बच्चे दूसरी लहर में ही संक्रमित हो गए थे। यह अलग बात है कि लक्षण न उभरने से संक्रमण का पता नहीं चल पाया।
अलीगढ़, विनोद भारती। कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है, लेकिन सच तो ये है कि काफी बच्चे दूसरी लहर में ही संक्रमित हो गए थे। यह अलग बात है कि लक्षण न उभरने से संक्रमण का पता नहीं चल पाया, लेकिन दो से ढाई माह बाद अब बाल रोग विशेषज्ञों ने मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआइएस-सी) के रूप में संक्रमण की पहचान की है। दरअसल, तेज बुखार, शाक, शरीर में चकत्ते व हृदय संबंधी समस्या से ग्रस्त जिन बच्चे का कोविड 19 के लिए एंटीबाडी टेस्ट कराया, उनमें ज्यादातर पाजिटिव पाए गए। ऐसे सभी बच्चों को पोस्ट कोविड मानकर जरूरी उपचार दिया जा रहा है।
ये है एमआइएस-सी
मक्खनलाल हास्पिटल के निदेशक व शहर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुनील गुप्ता ने बताया कि कि इन दिनों मौसमी व मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप है। इनके शुरुआती लक्षण तेज बुखार से ही शुरू होते हैं। पूर्व में ऐसे बच्चों को वायरल की सामान्य दवा व घरेलू उपायों (भपारा आदि) से उपचार दे रहे थे, लेकिन जब उनमें और भी लक्षण दिखाई दिए और एंटी वायरल दवा कारगर साबित नहीं हुई तो बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एमआइएस-सी के आधार पर स्क्रीनिंग की सलाह दी। इसमें 0 से 19 साल तक के बच्चों-किशोरों में तीन दिन से अधिक तेज बुखार, शरीर में चकत्ते, दौरा पडऩा, बेहोशी, सांस न ले पाने, हार्ट की मसल्स में समस्या, सिरदर्द, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल जैसे लक्षण दिखने पर कोविड-19 एंटीबाडी टेस्ट कराया जा रहा है। कुछ बच्चों के शरीर में एंटीबाडी पाई जा रही है।
वायरल समझकर इलाज घातक
किलकारी हास्पिटल के निदेशक व वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. विकास मेहरोत्रा ने बताया कि इन दिनों दो तरह के बच्चे उपचार को आ रहे हैं। पहले वे, जो सामान्य सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, पीलिया आदि से ग्रस्त होते हैं, दूसरे वे जो तेज बुखार से साथ अन्य शारीरिक जटिलताओं से ग्रसित होते हैं। दूसरी श्रेणी में वे बच्चे होते हैं, जिनमें सामान्य लक्षण उभरे थे, लेकिन घर पर ही या फिर झोलाछाप से उपचार होता रहा। ऐसे बच्चों को आनन-फानन भर्ती कराने की नौबत आ गई। ऐसे बच्चों को हम मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम की श्रेणी में रखकर ही उपचार शुरू कर देते हैं। इसमें बच्चों को पोस्ट कोविड मानते हुए एंटीबाडी टेस्ट कराते हैं। काफी बच्चों की रिपोर्ट पाजिटिव आती है। कुछ ही माता-पिता यह बात स्वीकार करते हैं, कि उनके बच्चों को कोरोना संक्रमण हुआ और उसका उपचार कराया। जबकि, ज्यादातर इससे अंजान होते हैं।
एमआइएस के अन्य लक्षण
- आंखों का लाल होना।
- बहुत अधिक थकान।
- चिड़चिड़ापन
- पेट में दर्द
- भ्रम की स्थिति
- सीने में दर्द
- पेशाब का कम आना
- होठों का फटना
- हाथ और पैरों में सूजन
- शरीर पर पित्ती
- हाथों या पैरों के आसपास रंग में बदलाव
- जीभ के रंग में बदलाव