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अब बलगम या एक्स-रे नहीं, स्किन टेस्ट से टीबी की स्क्रीनिंग Aligarh news

अभी तक टीबी की जांच लक्षण (दो सप्ताह से अधिक खांसी कमजोरी भूख न लगना वजन गिरना आदि) के आधार पर बलगम या फैंफड़े के एक्स-रे से होता है। जबकि मरीज के परिवार व आसपास काफी लोग टीबी के बैक्टीरिया से ग्रस्त होते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 09:34 AM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 09:43 AM (IST)
अब बलगम या एक्स-रे नहीं, स्किन टेस्ट से टीबी की स्क्रीनिंग Aligarh news
क्षय रोग के समूल नाश के लिए अधिक से अधिक मरीजों को चिह्नित कर उपचार पर जोर दिया जा रहा।

अलीगढ़, जेएनएन। टीबी यानि क्षय रोग के समूल नाश के लिए अधिक से अधिक मरीजों को चिह्नित कर उपचार करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि टीबी के बैक्टीरिया को परिवार या समुदाय में फैलने से रोका जाए। अभी तक टीबी की जांच लक्षण (दो सप्ताह से अधिक खांसी, कमजोरी, भूख न लगना, वजन गिरना आदि) के आधार पर बलगम या फैंफड़े के एक्स-रे से होता है। जबकि, मरीज के परिवार व आसपास काफी लोग टीबी के बैक्टीरिया से ग्रस्त होते हैं, लेकिन लक्षण न उभरने के कारण अपनी जांच कराने के लिए तैयार नहीं होते। ऐसे मरीजों को चिह्नित करने के लिए ही विभाग ने अब ट्यूबरक्लोसिस स्किन टेस्ट (टीएसटी) करने का निर्णय लिया है। इसमें मरीज को बलगम देने या एक्स-रे कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खून या बायोप्सी की मदद से टीबी के बैक्टीरिया का पता चल जाएगा।

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ये है टीएसटी

पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस स्किन टेस्ट को मोंटेक्स टेस्ट के नाम से भी जाता है। इसमें इंजेक्शन के जरिए स्किन में दवा डाली जाती है। 48 से 72 घंटे के बाद यदि स्किन पर चकत्ते पड़ जाते हैं तो रिजल्ट पाजीटिव मान लिया जाता है। इसी तरह बायोप्सी और माइक्रोस्कोपिक जांच में जिस जगह गांठ या गिल्टी होती है, वहां इंजेक्शन से द्रव्य (खून आदि) निकालकर जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि संबंधित स्थान पर टीबी के जीवाणु हैं या नहीं।

केवल बच्चों के लिए मान्य था टेस्ट

अभी तक टीएसटी केवल बच्चों के लिए मान्य है। क्योंकि, वे बलगम का नमूना नहीं दे पाते। वहीं, एक्स-रे मशीन से जांच उनके लिए हानिकारक भी मानी जाती है। लिहाजा, ऐसे बच्चों की जांच टीएसटी से ही की जाती है, लेकिन अब बड़ों का भी टीएसटी कराने का निर्णय लिया गया है। खासतौर से जिस परिवार में टीबी का कोई मरीज होगा, उसके अन्य सदस्यों (लक्षण विहीन) का टीएसटी होगा। यदि, वे भी बैक्टीरिया की चपेट में आ गए होंगे, तो समय रहते पता चल जाएगा। इससे उनका भी उपचार शुरू हो सकेगा।

इनका कहना है

टीएसटी से नए रोगियों को खोजने में मदद मिलेगी। लखनऊ में इस पर चर्चा हो चुकी है। जल्द ही लेब टेक्नीशियनों को टीएसटी के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद सभी टीबी यूनिट व बलगम जांच केंद्रों पर नई विधि से टीबी की स्क्रीनिंग शुरू हो जाएगी।

- डा. अनुपम भास्कर, जिला क्षय रोग अधिकारी, अलीगढ़।


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