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Jagran investigation: नौनिहालों को इलाज की दरकार, एनआरसी में बेड की संख्या महज 10 Aligarh news

अलीगढ़ जागरण संवाददाता। यह बेहद चिंतनीय विषय है। जिस जिले की आबादी 40 लाख से अधिक हैं वहां कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए संचालित एक मात्र पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में बैड की संख्या महज 10 है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 05:54 AM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 06:49 AM (IST)
Jagran investigation: नौनिहालों को इलाज की दरकार, एनआरसी में बेड की संख्या महज 10 Aligarh news
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को अलीगढ़ में 409 नौनिहाल सैम (कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था) श्रेणी के मिले हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। यह बेहद चिंतनीय विषय है। जिस जिले की आबादी 40 लाख से अधिक हैं, वहां कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए संचालित एक मात्र पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में बैड की संख्या महज 10 है। जबकि, सितंबर के सर्वे में ही बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को जिले में 409 नौनिहाल सैम (कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था) श्रेणी के मिले हैं। डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के सुझाव के मुताबिक इन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होती है, लेकिन एनआरसी में बैड की संख्या कम होने से यह घर पर ही जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। कई-कई दिनों की प्रतीक्षा के बाद भी इन्हें एनआरसी में इलाज नसीब नहीं होता। कई तो बिना इलाज के घर पर ही दम तोड़ देते हैं, वहीं अफसर एक दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

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सितंबर में हुआ अंतिम सर्वे

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से जिले में नौनिहालों का पोषण स्तर जानने के लिए अंतिम सर्वे सितंबर में हुआ इसमें शून्य से पांच साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण कराया गया। इसमें कुल पंजीकृत 3.66 लाख नौनिहालों में से 2.12 लाख का वजन हुआ। इनमें 31621 बच्चे कुपोषित मिले। 6905 अतिकुपोषित(लाल) व 24716 कुपोषित(पीली) श्रेणी में पाए गए। 153410 नौनिहालों का वजन नहीं हो सका। लाल-पीले बच्चों में से 1075 नौनिहाल सैम-मैम की श्रेणी में पाए गए हैं। इनमें 409 सैम व 666 मैम थे।

नहीं मिल पा रहा इलाज

मेडिकल कालेज में जिले का एक मात्र पोषण पुनर्वास केंद्र है। डब्ल्यूएचओ से जारी सुझावों के मुताबिक सैम श्रेणी के अधिकतर नौनिहालों को इस केंद्र में भर्ती कर इलाज की दरकार होती है, लेकिन यहां पर बैड की संख्या महज 10 ही है। इसके चलते इलाज की जरूरत के बाद भी नौनिहाल यहां भर्ती नहीं हो पाते हैं। एक बैड खाली होता है, उससे पहले ही प्रतीक्षा में लगे दूसरा नैनिहाल पहुंच जाता है। जानकार बताते हैं कि अगर कोरोना काल को छोड़ दें तो पिछले काफी समय से एक दिन के लिए एक बैड खाली नहीं रहता है। बैड की संख्या कम होने से बच्चों को कई-कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है।

ब्लाकवार सैम श्रेणी के बच्चे

अतरौली में 14, गंगीरी में 38, गोंडा में 14, टप्पल में 17, बिजौली में 19, इगलास में 15, चंडौस में 23, लोधा में 36, अकराबाद में 41, खैर में 12, धनीपुर में 57, जवां में 81 व शहर में 90 नौनिहाल सैम श्रेणी के हैं।

अफसर झाड़ लेते हैं पल्ला

एनआरसी की निगरानी स्वास्थ्य विभाग करता है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की मदद से इसमें कुपोषित नौनिहालों को भर्ती किया जाता है। जब कुपोषित नौनिहालों के इलाज के लिए जिम्मेदारी तय होती है तो दोनों विभागों के अफसर एक दूसरे पर पल्ला झाड़ लेते हैं। जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या इतनी अधिक होने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार एनअारसी में बैड की संख्या बढ़ाने पर विचार नहीं करता है।

शिकायत पर जांच है लंबित

पिछले दिनों बागपत निवासी एक अधिवक्ता ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में एक शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया था कि कोरोना काल में अलीगढ़ जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वहीं, एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज व जिला महिला अस्पताल में नवजातों की मौत की संख्या भी बढ़ गई है। आयोग के अनुरोध पर डीएम सेल्वा कुमारी ने इस पर जांच बैठा दी है। एडीएम न्यायिक को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इनका कहना है

स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में एनआरसी का संचालन होता है। हमारे विभाग के सहयोग से गंभीर रूप से बीमार नौनिहालों को भर्ती किया जाता है। जैसे ही वहां से जानकारी मिलती है कि बैड खाली है तो कुपोषित नौनिहाल को तत्काल भर्ती करा दिया जाता है। जल्द ही एनआरसी में बैड बढ़ाने का सुझाव उच्च अफसरों के सामने रखा जाएगा।

श्रेयस कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी


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