नए सत्र में विद्यालय खुलने पर नौनिहालों को चौंकाएगा नया कक्ष Aligarh News
एक मार्च से नए सत्र में जब विद्यालय खुलेंगे तो विद्यार्थी अपने-अपने स्कूलों की ओर रुख करेंगे। मगर माध्यमिक विद्यालयों और सीबीएसई स्कूलों के अलावा जब बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में बच्चे स्कूल जाएंगे तो उनको वहां एक नया कक्ष चौंकाने का काम करेगा।
अलीगढ़, जेएनएन। एक मार्च से नए सत्र में जब विद्यालय खुलेंगे तो विद्यार्थी अपने-अपने स्कूलों की ओर रुख करेंगे। मगर माध्यमिक विद्यालयों और सीबीएसई स्कूलों के अलावा जब बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में बच्चे स्कूल जाएंगे तो उनको वहां एक नया कक्ष चौंकाने का काम करेगा। कोरोना काल में करीब एक साल से विद्यालय बंद रहे। बाद में अनलाक प्रक्रिया के तहत अभिभावकों की अनुमति से बच्चों को स्कूल बुलाया भी गया। मगर सीमित संख्या में ही बच्चे स्कूलों की ओर बढ़े। अब जब वे एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र में अपने स्कूल पहुंचेंगे तो उनको वहां बना नया कक्ष चौंकाएगा व उनकी उत्सुकता भी बढ़ाएगा। क्योंकि ये कक्ष एक से आठवीं कक्षाओं में पढ़ने वाले सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए बिल्कुल नया अनुभव होगा।
बच्चे को किसी कक्षा में नहीं बल्कि मेडिकल रूम में बैठाया जाएगा
कोरोना काल में विद्यालय खुलने व छात्र-छात्राओं को संक्रमण या अन्य बीमारी होने पर तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से माध्यमिक विद्यालयों में सीबीएसई स्कूलों में मेडिकल रूम बनाने की व्यवस्था की गई है। मगर बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ये व्यवस्था नहीं थी। अब अफसरों ने खुद व शिक्षकों के प्रयासों से व्यवस्था स्कूलों में करने का प्लान तैयार किया है। इसके तहत शुरुआती चरण में विद्यालयों के कमरों में से एक कक्ष वो चुना जाएगा जिसको मेडिकल रूम के तौर पर उपयोग किया जा सके। अभी उन विद्यालयों में ये व्यवस्था करने का विचार है जो माडल स्कूल के रूप में चयनित हुए हैं। विद्यार्थियों की संख्या भी वहां ज्यादा है। हर ब्लाक में लगभग 10 से 15 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनको माडल स्कूल के रूप में बनाया गया है। सफलता मिलने पर धीरे-धीरे हर विद्यालय में ये सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कोरोना काल में कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों को बुलाया गया तो कोविड-19 दौर के चलते हर सीबीएसई व माध्यमिक विद्यालयों में मेडिकल रूम की सुविधा भी की गई है। अगर किसी बच्चे को वायरल इंफेक्शन, सर्दी, जुकाम या खांसी आदि की समस्या सामने आती है तो उस बच्चे को किसी कक्षा में नहीं बल्कि मेडिकल रूम में बैठाया जाएगा। अभिभावक को तत्काल फोन कर सूचना दी जाएगी। फिर अभिभावक व चिकित्सकों के परामर्श के बाद ही बच्चे को अस्पताल या घर के लिए भेजा जाएगा। अब ये व्यवस्था सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी की जा रही है। कोविड-19 दौर में विद्यालय खुलने से पहले विद्यार्थियों को सुरक्षा का माहौल उपब्लध कराने के उद्देश्य से ये व्यवस्था की जा रही है।
ऐसे बच्चों को अलग कक्ष में बैठाया जाए
बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय ने कहा कि अभी चुनिंदा विद्यालयों जहां छात्र संख्या ज्यादा है वहां मेडिकल रूम व्यवस्थित ढंग से संचालित हो इसका प्रयास किया जा रहा है। किसी भी प्रकार का संक्रमण होने की स्थिति में ऐसे बच्चों को अलग कक्ष में बैठाया जाए व कुछ प्राथमिक उपचार मिल सके, इस दिशा में कदम बढ़ाया है।