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रोचकता व नए तरीकों से दिया हिंदी को नया आयाम, खेल-खेल में दिया ज्ञान Aligarh news

टीचर्स लर्निंग मैटीरियल के तहत उन्होंने चार्ट व मॉडल तैयार किए हैं। संकेतों के आधार पर अक्षर का ज्ञान सबसे अहम है। इसमें चूल्हे के आकार यानी यू आकार चारों दिशाओं में बनाए जाते हैं

By Parul RawatEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 04:11 PM (IST)
रोचकता व नए तरीकों से दिया हिंदी को नया आयाम, खेल-खेल में दिया ज्ञान Aligarh news
रोचकता व नए तरीकों से दिया हिंदी को नया आयाम, खेल-खेल में दिया ज्ञान Aligarh news

अलीगढ़, जेएनएन। हिंदी को बढ़ाने व इसको आत्मसात करने के लिए किसी दिवस विशेष की जरूरत नहीं बल्कि हर दिन को हिंदी दिवस करना होगा। हिंदी विशेषज्ञों व शिक्षकों ने अपनी लगन व मेहनत से रुचिकर व नए तरीकों से कठिन भाषा हिंदी को भी आसान रूप दे दिया। विद्यार्थी हिंदी को शुद्ध बोलें व लिखें इसके लिए गुरुजनों ने तमाम रोचक प्रयास भी किए हैं। हाथ की उंगलियों से गणित की गिनती के अंक बनाने से लेकर चार चूल्हे के आकार, एक सीधी लाइन, दो तिरछी लाइन व गोला बनाकर हिंदी ही नहीं अंग्रेजी के भी हर अक्षर को आसानी से समझाने का प्रयास किया गया है। ऐसे ही कुछ शिक्षकों के हिंदी को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों को आप भी जानिए।

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चार चूल्हों के आकार से अक्षरों का ज्ञान

पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिहपुर हिम्मतपुर बिजौली के सहायक अध्यापक राजेंद्र सिंह बताते हैं कि हिंदी को अगर सही से समझा व सीखा जाए तो इससे बेहतर व रुचिकर कुछ नहीं। टीएलएम यानी टीचर्स लर्निंग मैटीरियल के तहत उन्होंने चार्ट व मॉडल तैयार किए हैं। संकेतों के आधार पर अक्षर का ज्ञान सबसे अहम है। इसमें चूल्हे के आकार यानी यू आकार चारों दिशाओं में बनाए जाते हैं। एक सीधी लाइनए दो तिरछी लाइन, गोला बनाकर हिंदी, अंग्रेजी व गणित का कोई भी अंक या अक्षर बनाया जा सकता है। हिंदी का ज्ञान होना ही काफी नहीं बल्कि सही ज्ञान होना जरूरी है। बताया कि बश्चों को चए छए जए झ के बाद ञ यानी इयां उश्चारण कराते हैंए ये गलत है। ये सभी अक्षर व्यंजन हैं और व्यंजन से पहले स्वर आ ही नहीं सकता। यहां इयां में इ स्वर पहले आ गया, सही उश्चारण है नाक से बोलते हुए यं कहना। ऐसी तमाम बारीकियां बश्चों को बताते हैं।

नए पैमानों से आइएएस-पीसीएस की तैयारी

राजकीय हाईस्कूल रायतपुर इगलास के पूर्व प्रधानाचार्य श्रीओम वाष्र्णेय बताते हैं कि वे 2014 में सेवानिवृत हुए। इसके बाद से लगातार हिंदी की शिक्षा बेसिक, माध्यमिक व उश्च शिक्षण संस्थानों में मुफ्त में दे रहे हैं। पीसीएस व आइएएस की परीक्षा में संधिए समासए अलंकार भी पूछे जाते हैं। छात्रों के पास ज्यादा समय नहीं रहता। इसलिए संधि के सूत्र भी तैयार किए हैं। बताया कि अगर किसी शब्द के दूसरे व तीसरे अक्षर पर ए की मात्रा हो तो गुण संधि होती है। इसी तरह अगर पहले, दूसरे व तीसरे अक्षर पर दो मात्रा हो तो वृद्धि संधि होती है। इससे कम समय में जल्दी जवाब दे सकते हैं। बताया कि सबसे पहले जरूरी है कि अक्षरों यानी स्वर व व्यंजन की बनावट को सही से लिखा जाए। शुद्ध बोलने से पहले जरूरी है शुद्ध लिखना। हिंदी दिवस पर ही नहीं बल्कि हर दिन हिंदी दिवस मानते हुए हिंदी के प्रति समर्पित रहें।


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