कभी नहीं रुके, सतत आगे बढ़ते रहे, ऐसी ही संघ की जीवटता, जानिए क्या है मामला
कोरेाना के समय में तमाम सामाजिक संस्थाओं के कदम थम गए। मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सतत कार्य करता रहा। सेवा के क्षेत्र में संघ आगे बढ़ता रहा। संघ की शाखाएं भी थमी नहीं। संघ स्थान पर शाखाएं बंद थीं मगर घरों में शाखाएं लगती रहीं।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरेाना के समय में तमाम सामाजिक संस्थाओं के कदम थम गए। मगर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सतत कार्य करता रहा। सेवा के क्षेत्र में संघ आगे बढ़ता रहा। संघ की शाखाएं भी थमी नहीं। संघ स्थान पर शाखाएं बंद थीं, मगर घरों में शाखाएं लगती रहीं। योग-व्यायाम, खेलकूद, बौद्धिक आदि कार्यक्रम होते रहें। संघ ने ऐसे संकट में भी साबित कर दिया कि वह निरंतर आगे बढ़ता रहता है, फिर रास्ते में चाहे कोई भी बाधाएं आएं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना विजयादशमी के दिन 1925 में हुई थी। डा. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने कुछ स्वयंसेवकों के साथ संघ की स्थापना की थी। धीरे-कभी नहीं रुके, सतत आगे बढ़ते रहे, जानिए क्या है मामला-
कोरोना में भी नहीं रुके संघ के कदम
कोरेाना के समय में तमाम सामाजिक संस्थाओं के कदम थम गए। मगर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सतत कार्य करता रहा। संघ स्थान पर शाखाएं बंद थीं, मगर घरों में शाखाएं लगती रहीं। योग-व्यायाम, खेलकूद, बौद्धिक आदि कार्यक्रम होते रहें। आज संघ की 50 से अधिक शाखाएं हैं, जो विविध क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, जिनके कार्यकर्ता देश की सेवा के प्रति सदैव तत्पर रहते हैं। संघ के विस्तार के साथ ही कई बार तमाम उतार चढ़ाव आएं। संघ को प्रतिबंध भी झेलना पड़ा, इमरजेंसी के समय तो संघ के स्वयंसेवकों को तमाम यातनाएं भी झेलनी पड़ीं, बावजूद इसके संघ थका और रुका नहीं। संघ सतत आगे बढ़ता चला गया।
पूरी दुनिया पर कोरोना का कहर
विगत डेढ़ वर्षों से कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया को तबाह कर रखा है, तमाम सामाजिक संस्थाएं ऐसे समय में थम गईं। मगर, संघ ऐसे समय में भी कार्य करता रहा। सबसे पहले संघ ने ही निर्णय लिया था कि कोरोना को देखते हुए खुले मैदान, पार्क, स्कूल, कालेज आदि स्थानों पर शाखाएं नहीं लगेंगी, जबकि संघ की सबसे बड़ी ताकत यही थीं। ऐसे समय में संघ ने सेवाकार्य का निर्णय लिया। सेवा कार्य को बढ़ावा दिया और लोगों की जमकर मदद की। शहर की बस्तियों तक संघ पहुंचा, प्रवासी मजदूरों तक पहुंचा और उनकी मदद की। संघ की शाखाएं घर में शुरू हुईं। वहां पर योग-व्यायाम, आसान, खेलकूद, बौद्धिक कार्यक्रम गीत आदि कार्यक्रम हुए, जिससे स्वयंसेवकों के साथ पूरे परिवार का जुड़ाव बना रहा। संघ के इस प्रयोग से आज तक भी शाखाएं बंद नहीं हुई और सक्रियता बनी रही।