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पेस्टीसाइड के खतरे से बचाएगा नैनो बायो सेंसर, एएमयू में हुआ शोध Aligarh News

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने ऐसे नैनो बायो सेंसर को बनाने में सफलता हासिल की है जिससे मिट्टी में मौजूद पेस्टीसाइड की टॉक्सीसिटी पहचान आसानी से की जा सकती है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 09:29 AM (IST)
पेस्टीसाइड के खतरे से बचाएगा नैनो बायो सेंसर, एएमयू में हुआ शोध Aligarh News
पेस्टीसाइड के खतरे से बचाएगा नैनो बायो सेंसर, एएमयू में हुआ शोध Aligarh News

संतोष कुमार शर्मा, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने ऐसे नैनो बायो सेंसर को बनाने में सफलता हासिल की है, जिससे मिट्टी में मौजूद पेस्टीसाइड की टॉक्सीसिटी पहचान आसानी से की जा सकती है। ये बायो सेंसर कृषि के क्षेत्र में काफी कारगर साबित हो सकते हैं। इन्हें बनाने की लागत भी ज्यादा नहीं है और ये मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधार सकते हैं। यह महत्वपूर्ण शोध डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड फिजिक्स एंड एग्रीकल्चर माइक्रोबायलॉजी में हुआ है।

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किसानों को होगा यह फायदा

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) प्रोजेक्ट (2015 से 2018) के तहत एसोसिएट रिसर्चर डॉ. सौरभ द्विवेदी ने किया है। डॉ. द्विवेदी ने नैनो बायो सेंसर बनाने के लिए पहले मिट्टी से लिए बैक्टीरिया की मदद से नैनो पार्टीकल्स को तैयार किया। इनकी मदद से नैनो बायो सेंसर को 96 वेल की प्लेट पर तैयार किया। इस प्लेट का इस्तेमाल मिट्टी में मौजूद पेस्टीसाइड व हेवी मेटल्स से होने वाली टॉक्सीसिटी का पता लगाने में काम किया। इसमें पाया गया कि नैनो पार्टीकल्स का कलर कम हो रहा है। एंजाइमेटिकल रिएक्शन हेवी मेटल्स व पेस्टीसाइड से प्रभावित हो रहे हैं। नैनो पार्टीकल्स का कलर कम होने से पता चलता है कि मिट्टी में टॉक्सिक एलीमेंट की मात्रा अधिक है। किसान समय रहते इसका इलाज कर सकते हैं।

ये है बायो सेंसर तकनीक

बायो सेंसर ऐसी तकनीक है, जिसके जरिये एक प्रकार के सिग्नल जैसे केमिकल को इलेक्ट्रीकल सिग्नल में बदला जाता है। बायो सेंसर का वर्तमान में उपयोग खाद्य पदार्थों में मिलावट, शरीर में रोगों का पता लगाने व विभिन्न मेटाबोलिक डिसऑर्डर (ब्लड ग्लूकोज, कॉलेस्ट्राल) या अन्य जटिल समस्याओं का पता लगाने में होता है। बायो सेंसर की सेंसिटिविटी को बढ़ाने के लिए नैनो पार्टीकल्स का उपयोग किया जा रहा है।

पहले भी बायो सेंसर का निर्माण

डॉ. सौरभ द्विवेदी इससे पहले हेवी मेटल्स टॉक्सीसिटी डिटक्शन के लिए नैनो बायो सेंसर का निर्माण प्रो. जावेद मुसर्रत की देखरेख में कर चुके हैं। यह शोध जर्नल प्लस वन में प्रकाशित हुआ था।

कृषि क्षेत्र में भी फायदा

एएमयू में एसोसिएट रिसर्चर डॉ.सौरभ द्विवेदी का कहना है कि नैनो पार्टीकल्स के इस्तेमाल से बायो सेंसर की सेंसिटिविटी को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। नैनो बायो सेंसर का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों का पता लगाने, कृषि क्षेत्र में मिट्टी में मौजूद पेस्टीसाइड्स या हेवी मेटल्स से होने वाली टॉक्सीसिटी को पता लगाने में किया जा रहा है।


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