नगर निगम ने करोड़ों की खरीदीं मशीनें, जानें ठेके पर सीवर की सफाई कराने का राज
करोड़ों रुपये की मशीनें खरीदने के बाद भी नगर निगम सीवर लाइन की सफाई ठेके पर कराता है। सफाई भी ईमानदारी से होती नहीं। हर साल मोटा बजट ठिकाने लगा दिया जाता है। पिछले साल हुई सीवर लाइन की सफाई की जांच में अनियमितताएं सामने आ रही हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। करोड़ों रुपये की मशीनें खरीदने के बाद भी नगर निगम सीवर लाइन की सफाई ठेके पर कराता है। सफाई भी ईमानदारी से होती नहीं। हर साल मोटा बजट ठिकाने लगा दिया जाता है। पिछले साल हुई सीवर लाइन की सफाई की जांच में अनियमितताएं सामने आ रही हैं। पार्षदों का कहना है कि जब सफाई के सारे संसाधन नगर निगम के पास उपलब्ध हैं तो सफाई कार्य ठेके पर क्यों कराए जा रहे हैं। अफसरों का कहना है कि यही प्रावधान हैं। नगर निगम हर साल ठेका उठाता है।
यह है मामला
पिछले दिनों जवाहर भवन में हुई बोर्ड की बैठक में सीवर लाइन की सफाई का मुद्दा उठा था। पार्षदों का कहना था कि हर साल करीब एक करोड़ रुपये सीवर लाइन की सफाई में खर्च होता है। जबकि, नगर निगम ने इसी कार्य के लिए डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये की दो सुपर सकर मशीनें खरीदी हैं। ये मशीनें शोपीस बनी हुई हैं और सफाई कार्य निगम अधिकारी ठेके पर कराते हैं। पार्षदों की कड़ी आपत्ति पर पिछले साल हुए सीवर लाइन की सफाई कार्य की जांच शुरू करा दी गई। शिकायतकर्ता पार्षद विजय तोमर ने बताया कि नगर निगम ने छर्रा अड्डा से गुरुद्वारा रोड होकर मरघट और महाजन होटल से किशनपुर तिराहे तक सीवर लाइन की सफाई का टेंडर किया था। गाजियाबाद की कंपनी को ठेका दिया गया, जो करीब एक करोड़ रुपये का था। जुलाई में काम शुरू हुआ। कंपनी काम बीच में छोड़कर चली गई।
अफसरों ने फर्म को दिया ठेका
निगम अफसरों ने यही ठेका स्थानीय फर्म को दे दिया। लेकिन, इस फर्म से काम न कराकर सिर्फ फाइल तैयार कराई। थोड़ा बहुत सफाई कार्य नगर निगम के संसाधनों से हुआ था। जेई, एई ने बिना जांचे रिपोर्ट लगा दी गई थी। दो दिन हुई जांच में सफाई कार्य की सच्चाई सामने आ गई है। ज्यादातर मैनहोल में कचरा भरा मिला था। जिन इलाकों में सफाई कार्य की बात कही गई, वहां रहने वाले लोग साफ कह रहे हैं कि सीवर की सफाई वर्षों से नहीं हुई। पार्षद ने कहा कि शासन स्तर से पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए।