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Target became a challenge : ओवर हॉलिंग में करोड़ों पी गयी मशीन फिर भी नहीं चल पाई मिल Aligarh news

कासिमपुर स्‍थित चीनी मिल पर इस सत्र में ओवर हॉलिंग पर करोड़ों रुपये फूंकने पर भी मिल किसानों को मिठास का एहसास नहीं करा पा रहीं है। कार्य दायी एटूजेड के कंपनी के इंजीनियरों के दावे खोखले साबित हो रहें है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 05:45 PM (IST)
Target became a challenge : ओवर हॉलिंग में करोड़ों पी गयी मशीन फिर भी नहीं चल पाई मिल Aligarh news
करोड़ों रुपये फूंकने पर भी मिल किसानों को मिठास का एहसास नहीं करा पा रहीं है।

अलीगढ़, जेएनएन : कासिमपुर स्‍थित चीनी मिल पर इस सत्र में ओवर हॉलिंग पर करोड़ों रुपये फूंकने पर भी मिल किसानों को मिठास का एहसास नहीं करा पा रहीं है। कार्य दायी एटूजेड के कंपनी के इंजीनियरों के दावे खोखले साबित हो रहें है। 16 दिसबंर को जिलाधिकारी के कर कमलों से मिल का पेराई सत्र शुरू हुआ। मिल पर करोड़ों रूपये ओवर हालिंग पर खर्च किए गए। कंपनी के इंजीनियरों का कहना था कि ओवरहालिंग में मिल के बॉयलर से लेकर टरवाइन तक पर पूरा काम हुआ है। इतनी लागत के बाद यह माना गया कि मिल पूरी क्षमता से चलेगी व इस सत्र का दिया गया लक्ष्य भी पूरा करेगी। 

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प्रेशर नहीं बना पाया बॉयलर

गुरूवार की देर रात मिल को प्रबंधन द्वारा कार्यदायी कपंनी के इंजीनियरों की देख रेख में लाइट अप किया गया लेकिन मिल का बॉयलर प्रेशर नहीं बना पाया जिसके चलते टरबाइन का ऑयल आगे नहीं बढ पाया और मिल ट्रिपिग कर बंद हो गई।अब मिल प्रबंधन की तरफ से जल्द चलायें जाने की बात कहीं जा रहीं है।  बता दें पिछले सत्र में बॉयलर के पूरा प्रेशर न बना पाने के कारण 1.24 लाख गन्ने की पेराई के बाद भी बिकने लायक चीनी नहीं बन सकीं,लगातार एक माह मिल पूरी क्षमता से न चल पाने का खामियाजा मिल प्रबधंक पीके सिंह को तबादले के तौर पर भी चुकाना पड़ा था। साथा मिल में तकनीकी इंजीनियरों का अभाव इस सत्र  में साफ दिखाई दे रहा है क्योंकि मिल को कार्यदाई कंपनी के इंजीनियरों की देख रेख में स्थानीय कर्मचारियों से काम करवाया जाता है।

मिल की लगातार साल दर साल गिरती हालत को देखते हुए आस पास के गन्ना किसानों का खेती से मोह खत्म होता जा रहा है जिसके चलते गन्ना खेती का दायरा सिमटता जा रहा है। हालांकि गन्ना उत्पादन के लिहाज से मिल के आस पास की भूमि जलवायु को देखते हुए काफी मुफीद मानी गई है।लेकिन मिल के चलने के रवैये को देखते हुए गन्ना किसान मुह मोड रहा है।यहां की आस पास की भूमि की पैदावार 616 कुंतल प्रति 8.98 हेक्टेअर हुआ करती थी।जो घट कर 5.934 प्रति हेक्टेअर रह गया है। 

काफी पुरानी हैं मशीनें

पिछले सत्र में मिल प्रबंधन द्वारा आला अधिकारियों को मिल की यथा स्थिति से अवगत कराया जा चुका है जिसके चलते पिछले सत्र में मिल के लिए बजट भी तैयार किया जा चुका है।मिल को 400 करोड़ रूपयें की दरकार है जिससे क्षेत्रफल के हिसाब से पैदावार को देखते हुए वर्तमान में पेराई क्षमता 1250 टीसीडी है, जिससे इसे लाभदायक इकाई नहीं माना जा रहा है। पैदावार व क्षेत्रफल को देखते हुए इसकी क्षमता 3500 टीसीडी होनी चाहिए। मिल का अत्यंत पुराना होना और मशीनरी का जीर्णशीर्ण अवस्था में होना भी मिल का न चलना भी एक वजह है।जिसे कार्य दायी कंपनी कैस्टिक के तकनीशियन भी मान चुके है, जबकि मिल के पास 40.62 हेक्टेअर भूमि भी मौजूद है, जिसमें नई मशीन स्थापित की जा सकेें जो आस पास के गन्ना किसानों में मिठास घोल सकें।

इस सबंध में साथा चीनी मिल के महाप्रबंधक राम शंकर ने बताया शुरू में चलाने में मिल के बॉयलर व टरवाइन में प्रेशर बनाने में दिक्कत आती हैं लेकिन जल्द ही मिल चल जायेगी।


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