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अच्छा इंसान बनाने के लिए मेडिकल छात्रों को 'कैप्सूल' Aligrah news

सुनने में अजीब जरूर लगेगी कि कोई कैप्सूल से अच्छा इंसान कैसे बन सकता है मगर लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के मेडिकल छात्र शौक से इसे ले रहे हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 08:35 AM (IST)
अच्छा इंसान बनाने के लिए मेडिकल छात्रों को 'कैप्सूल' Aligrah news
अच्छा इंसान बनाने के लिए मेडिकल छात्रों को 'कैप्सूल' Aligrah news

विनोद भारती, अलीगढ़ ।   यह बात सुनने में अजीब जरूर लगेगी कि कोई कैप्सूल से अच्छा इंसान कैसे बन सकता है, मगर लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के मेडिकल छात्र शौक से इसे ले रहे हैं। चलिए आपकी जिज्ञासा भी दूर किए देते हैं।

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सात मिनट का कैप्सूल कोर्स

एसजीपीजीआइ के न्यूनेटोलॉजी विभाग में अध्यक्ष प्रो. गिरीश गुप्ता ने मेडिकल छात्रों को डॉक्टर के साथ अच्छा इंसान बनाने के लिए सात मिनट का कैप्सूल कोर्स तैयार किया है। दावा है कि इसका भावी डॉक्टरों पर अच्छा प्रभाव दिखने लगा है।

अच्छे डॉक्टर को नहीं पता कि मरीज से बात कैसे करें

यहां इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के यूपी पेडिकॉन-2019 में भाग लेने आए प्रसिद्ध नवजात व शिशु रोग विशेषज्ञ प्रो. गुप्ता ने दैनिक जागरण से कैप्सूल कोर्स व उसकी जरूरत के बारे में बात की। चिंता भी जताई कि डॉक्टरों के प्रति समाज की धारणा बदल रही है कि वे केवल सेवाप्रदाता रह गए हैं। पहले जैसा रुतबा-सम्मान नहीं है। इसके लिए डॉक्टर खुद ही जिम्मेदार हैं। नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। नए डॉक्टर तैयार हो रहे हैं। शोध हो रहे हैं, सुविधाएं बढ़ रही हैं। फिर भी मरीज संतुष्ट नहीं, क्योंं? दरअसल, अच्छे डॉक्टर को भी नहीं पता कि मरीज से बात कैसे करें? कैसे देखभाल की जाए? कैसे मरीज को समझाएं? मरीजों के प्रति व्यवहार कैसा हो? इसकी कोई चिंता नहीं करता।

ट्रेनिंग का समय बेहद महत्वपूर्ण

प्रो. गुप्ता ने कहा कि मेडिकल छात्रों को अच्छे डॉक्टर के साथ अच्छा इंसान बनाने की जरूरत है। यह तभी संभव है जब ट्रेनिंग के समय में ही उन्हें ये सब सिखाया जाए। इसी उद्देश्य से उन्होंने दो साल पहले कैप्सूल कोर्स तैयार किया। सात मिनट के कैप्सूल में छात्र-छात्राएं रोजाना सुबह आठ बजे पांच तरह की शपथ लेते हैं। अंग्र्रेजी में ली जाने वाली इन शपथों का ङ्क्षहदी में सार ये है, हमसे किसी का बुरा न हो, हम हर इंसान का भला करेंगे, मृदुभाषी व मरीजों को संतुष्ट करेंगे, हम बहुत अच्छे इंसान बनेंगे। अच्छे टाइम मैनेजर होंगे। शपथ के बाद अनुलोम, विलोम व भ्रामरी करते हैं। ध्यान भी लगाते हैं। ये सभी चीजें सात मिनट में हो जाती हैं।

बदल रहा व्यवहार

डॉ. गुप्ता ने बताया कि कोर्स शुरू होने से छात्र-छात्राओं के व्यवहार में अंतर आ रहा है। उनके रेस्पॉंसेज बदल रहे हैं। अब एसजीपीजीआइ के अन्य विभागों में भी ये कैप्सूल कोर्स लिया जा रहा है।


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