अलीगढ़ में कहीं जन औषधि केंद्रों पर लटका ताला, कहीं मिली भीड़, दवाओं का अभाव
केंद्र सरकार गरीबों को सस्ती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है। जिले में इसके लिए खोले गए ज्यादातर जन औषधि केंद्र कोरोना काल-1 में ज्यादातर कारगर साबित नहीं हो पाए। अब कुछ सुधार होता दिख रहा है।
अलीगढ़, जेएनएन। केंद्र सरकार गरीबों को सस्ती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है। जिले में इसके लिए खोले गए ज्यादातर जन औषधि केंद्र कोरोना काल-1 में ज्यादातर कारगर साबित नहीं हो पाए। अब कुछ सुधार होता दिख रहा है, मगर सरकारी अस्पतालों में खुले केंद्रों पर ताले लटके हैं या फिर दवा नहीं। करीब तीन साल बाद भी जनपद में डाक्टरों ने जेनरिक दवाएं लिखने में रुचि नहीं दिखाई है। मरीज ब्रांडेड दवा का पर्चा लेकर जन औषधि केंद्र पर पहुंचते हैं। यहां साल्ट देखकर उन्हें दवा दी जाती है। कुछ केद्रों पर भरपूर दवा है तो कुछ पर सामान्य जेनरिक दवा भी नहीं। जागरण की पड़ताल में सामने आया कि जन औषधि केंद्र खोलने का उद्देश्य अभी अधूरा है।
जन औषधि केंद्र में कोविड हेल्प डेस्क
जागरण टीम ने बुधवार को पहले सरकारी अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्रों का जायजा लिया। महिला अस्पताल में जन औषधि केंद्र पहुंचने पर पता चला है कि यह सालभर से बंद है। दरअसल, केंद्र पर ब्रांडेड दवा बेचने पर संचालक को पूर्व सीएमएस डा. गीता प्रधान ने नोटिस जारी किया था, इसके बाद से यहां ताला लटक गया। बाद में यहां सीएमएस ने पंजीकरण कक्ष शुरू कर दिया। वर्तमान में कोविड हेल्प डेस्क संचालित है। जिला अस्ताल स्थित केंद्र पहुंचे तो वहां पर ताला लटका था। योजना का प्रचार करने के लिए कोई बार्ड या वाल पेंटिंग तक नहीं थी। संचालक विशाल सक्सेना ने बताया कि केंद्रों का संचालन शासन से अधिकृत श्री महाराजा विनायक सोसाइटी करती है। मैंने कई बार दवा की मांग की, मगर नहीं मिल पाईं। वर्तमान दर्द निवारक, मल्टी विटामिन, कैल्शियम, सैनिटरी नेपकिन, एंटी एलर्जिक व एंटी फंगल समेत तमाम दवा नहीं हैं। कई बार मरीज भी झगड़ा करते हैं, इसलिए केंद्र को ज्यादा देर नहीं खोलते। टीम दीनदयाल अस्पताल पहुंची तो यहां जन औषधि केंद्र पर ताला लटका मिला। पता चला कि दीनदयाल के कोविड केयर सेंटर बनने के बाद से ही यह केंद्र नहीं खुला है। इस केंद्र के खिलाफ भी तमाम गंभीर शिकायतें थीं, जिसके चलते इसे बंद करा दिया गया। एक माह पूर्व पुनः अनुमति मिली, मगर अभी तक केंद्र नहीं खुला है।
प्राइवेट केंद्रों पर भरपूर दवाएं, मगर डाक्टर नहीं लिखते
जागरण टीम ने शहर में खुले जन औषधि केंद्रों का निरीक्षण किया तो यहां हालात कुछ ठीक लगे। मीनाक्षी पुल के पास स्थित जन औषधि केंद्रों पर मरीजों की भीड़ जुटी हुई थी। कुछ के पास दवा लिखी सादा पर्ची तो कुछ के पास डाक्टर का पर्चा था। एक महिला ग्राहक को पता चला कि यहां सेनेट्री पेड मात्र एक रुपये का है तो उसने 14 पैकेट खरीद लिए। केंद्र पर ब्लड प्रेशर, शुगर, थायराइड, कालस्ट्राल, लिवर, कैंसर, गठिया व किडनी की बीमारी से लेकर कोरोना के इलाज में इस्तेमाल आइवर मेक्टिन व हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन समेत तमाम दवाइयां थीं। बच्चों के पोषण वाला पाउडर, बड़ों के लिए प्रोटोनी पाउडर व तमाम मल्टी विटामिन यहां उपलब्ध थीं। मानसिक बीमारियों की दवाएं तक उपलब्ध मिलीं। केंद्र संचालक आरके शर्मा सभी को फार्मूले देखकर सस्ती दवा उपलब्ध करा रहे थे। उन्होंने बताया कि हमारे पास एक हजार से अधिक साल्ट की दवा उपलब्ध हैं। इनमें एक रुपये के बेंटेज से लेकर गर्भनिरोधक व अनवांटेड के नाम से बाजार में बिकने वाली तमाम दवाएं तक आप खरीद सकते हैं।
यहां भी जनऔषधि केंद्र
शहर में नौरंगाबाद, स्वर्णजयंती नगर, सासनी गेट स्थित राठी हास्पिटल व देहात हरदुआगंज, अतरौली व छर्रा में जन औषधि केंद्र खुले हैं। कहीं पर कम तो कहीं पर खूब दवा उपलब्ध हैं। केवल एक टीस संचालकों के मन में मिली कि डाक्टर जेनरिक दवा नहीं लिखते। क्योंकि, उन्हें ब्रांडेड दवा पर मोटा कमीशन मिलता है। जबकि, जेनरिक दवा पर मरीजों को बाजार दर से 90 फीसद तक बचत होती है। हालांकि, यह भी बताया कि लोग जागरूक हैं खुद दवा का फार्मूला लिखकर लाने लगे हैं। इससे बिक्री बढ़ गई है। उधर, सेंटर प्वाइंट व सारसौल स्थित केंद्रों के सरेंडर हो जाने की सूचना मिली। क्वार्सी चौराहा पर केंद्र की अनुमति हो चुकी है, मगर संचालक ने तीन माह बाद भी केंद्र शुरू नहीं किया है।
नहीं मिले फार्मासिस्ट
जन औषधि केंद्रों पर तमाम ऐसी दवाएं हैं, जो अभी तक गरीब मरीजों की पहुंच में नहीं थीं। इन्हें डाक्टर भी नहीं लिखते। मैं बुखार व फ्लू की दवा लेने आया हूं। साल्ट मुझे पता है, इसलिए कोई परेशानी नहीं।
- दिनेश बाबू।
.जेनरिक दवा बाजार से 70-80 फीसद कम कीमत पर मिल जाती हैं। बाजार में 100 रुपये तक का कफ सीरप यहां 22 रुपये में उपलब्ध है। यदि डाक्टर जेनरिक दवा या साल्ट का नाम लिखने लगें तो मरीजों पर इलाज का बोझ काफी कम हो जाएगा।
- मनोज शर्मा, लोधीपुरम।
मेरे पैरों में दर्द रहता है। बाजार में मिलनी वाली दर्द निवारक जैल जेनरिक में मात्र 22 रुपये की है। मैंने तीन लिए हैं। कई बार डाक्टर का पर्चा संचालक को दे देते हैं, वह साल्ट देखकर दवा देते हैं।
- सुशील अग्रवाल, आइटीआइ रोड रामनगर।
सरकारी अस्पतालों में संचालित जन औषधि केंद्र कई कारणों से बंद हैं। दवा की किल्लत भी है। स्थानीय प्रबंधन ने भी रूचि नहीं दिखाई है। दीनदयाल में विवाद खत्म हो चुका है, जल्द ही केंद्र खुलेगा। सार्वजनिक स्थलों पर खुले जन औषधि केंद्रों पर खूब दवाएं हैं। सभी दुकानें फार्मासिस्टों के नाम पर पंजीकृत की गई हैं। यदि फार्मासिस्ट नहीं हैं तो जांच करा ली जाएगी।
- हेमेंद्र चौधरी, औषधि निरीक्षक।