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हाथरस में हल्की बारिश ने बढ़ाई सर्दी, फसलों पर मंडराया रोगों का खतरा, चार डिग्री तापमान और गिरा

बीते कई दिनों से मौसम में ठंडक व गलन बढ़ गयी है। हाथरस के सादाबाद व आसपास के क्षेत्रों में गुरुवार की सुबह हल्‍की बारिश होने से मौस में गलन बढ़ गयी है। दिन में भी लोग जहां तहां आग तापते नजर आए।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 12:19 PM (IST)
हाथरस में हल्की बारिश ने बढ़ाई सर्दी, फसलों पर मंडराया रोगों का खतरा, चार डिग्री तापमान और गिरा
हाथरस के सादाबाद में गुरुवार को दिन में आग जलाकर तापते लोग।

हाथरस, जागरण संवाददाता। तापमान गिरने से मौसम में गलन भरी ठंड और बढ़ गई। गुरुवार मौसम का सबसे ठंडा दिन रहा। गलन ने कंपकपी छूट रही थी। वहीं हल्की बारिश ने सर्दी को और बढ़ा दिया। बाजारों में सुबह के समय सन्नाटा पसरा हुआ था। दुकानें भी देरी से खुलीं। अलाव भी ठिठुरन से राहत नहीं दिला पा रहे थे। सर्दी से अभी निजात मिलती नहीं दिख रही है। सुबह से ही गलन कंपकपी छुड़ाने लगती है। गलन से हाथ पैर काम करते नहीं दिखते। तापमान गिरने से ही ठंड और बढ़ गई। गलन से बचने के लिए लोगों ने अलाव जला रखे थे। सर्दी से बचने के लिए घरों में रूम हीटर का प्रयोग किया जा रहा है। शहर से लेकर देहात तक लोगों द्वारा अलाव जल रहे हैं। ठिठुरन के चलते लोग घरों से भी कम निकल रहे हैं। विशेषरूप से बच्चों, बुजुर्गाें और रोगियों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। सुबह के समय अधिकतम तापमान 15 व न्यूनतम सात डिग्री सेल्सियस रहा।

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दृश्यता कम होने थमी वाहनों की रफ्तार

गुरुवार को सुबह के समय चारों ओर कोहरा छाया हुआ था। कोहरे के चलते दृश्यता कम होने से सड़कों पर वाहन चलाना भी चालकों के लिए मुश्किल हो रहा। कुछ वाहन सड़कों पर लाइट जलाकर आते-जाते दिख रहे थे। बादलों के छाए रहने से भी सुबह भी शाम की तरह दिख रही थी। कोहरा से बचने के लिए बहुत से वाहन ढावा व पेट्रोल पंपों के सहारे खड़े दिख रहे थे।

फसलों पर बढ़ा रोगों का खतरा

सुबह के समय कोहरा के साथ बादल भी छाए हुए थे। हल्की फुहारे पड़ने से सर्दी और बढ़ गई। वहीं देहात के सादाबाद व अन्य क्षेत्रों बूंदाबांदी के साथ हल्की बारिश भी हुई। लगातार सर्दी पड़ने से फसलों पर पाले का खतरा बढ़ गया है। झुलसा, माऊ व अन्य रोगों ने फसलों को अपनी चपेट में ले लिया है। कृषि वैज्ञानिक डा. रामपलट बताते हैं कि समय पर उपचार नहीं करने पर पैदावार घट सकती है।


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