अलीगढ़ के लोगों का मुसीबत में जीवन...कहां जा रही इतनी Oxygen, विस्तार जानिए सच
जिले में आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी व निजी अस्पताल में रोजाना ही आक्सीजन खत्म होने की खबरें मिल रही हैं। जबकि प्रशासन ने आक्सीजन की सप्लाई दुरुस्त करने के लिए काफी कवायद भी की है।
अलीगढ़, जेएनएन। जिले में आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी व निजी अस्पताल में रोजाना ही आक्सीजन खत्म होने की खबरें मिल रही हैं। जबकि, प्रशासन ने आक्सीजन की सप्लाई दुरुस्त करने के लिए काफी कवायद भी की है। बाहर से भी आक्सीजन मंगाई जा रही है, फिर भी अस्पतालों की मांग पूरी नहीं हो रही। ऐसे में खुद अधिकारियों को आक्सीजन में अब घालमेल की आशंका लगने लगी है। दरअसल, शहर से लेकर देहात तक आक्सीजन की कालाबाजारी की सूचनाएं मिलने लगी हैं। सवाल ये है कि यह कालाबाजारी के लिए सिलिंडर या आक्सीजन आ कहां से रही है। कहीं, अस्पतालों व होम आइसोलेशन के नाम पर लिए गए सिलिंडरों में ही तो खेल नहीं हो रहा। अधिकारी इसकी जांच शुरू कराने की तैयारी में हैं, ताकि मरीजों की सांसों पर गहराया संकट छंट सके। देखना ये है कि आक्सीजन का संकट होता है या नहीं। या फिर ऐसे ही मारामारी मची रहेगी।
ये है सूरतेहाल
सर्वाधिक आक्सीजन सिलिंडर दीनदयाल कोविड अस्पताल को दिए जा रहे हैं। यहां सेंट्रल आक्सीजन सप्लाई है। अनुमान के मुताबिक एक मरीज पर दो सिलिंडर (कुल 12 हजार लीटर) रोजाना लग जाते हैं। करीब 200 मरीजों को आक्सीजन पर रखा जा रहा है। इस तरह रोजाना 400 तक सिलिंडर लग रहे हैं। आपूर्ति भी इतने ही सिलिंडरों की हो रही है। इसी तरह निजी कोविड अस्पतालों को मरीजों की संख्या के हिसाब से सिलिंडर मिल रहे हैं। नान काविड अस्पतालों व होम आइसोलेशन में भी सप्लाई है। फिर भी हर जगह समस्या है। अफसरों की परेशानी ये है कि इतनी गैस देने के बाद भी अस्पतालों में कुछ घंटे का बैकअप नहीं रहता। अंत समय में आक्सीजन खत्म होने की सूचना दी जाती है। पिछले कुछ समय से काफी सिलिंडर हर स्तर पर बढ़ाए गए हैं, बावजूद व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही। दीनदयाल अस्पताल में रोजाना ही आक्सीजन सप्लाई ठप हो जाती है। इससे कई मरीजों के मरने की सूचना तक मिली।
कम वजन की आशंका, वेट मशीन से होगी जांच
आक्सीजन की कालाबाजारी के बीच स्वास्थ्य विभाग ने सबसे पहले सिलिंडरों को वजन चेक करके ही लेने का निर्णय लिया है। दीनदयाल अस्पताल में आने वाले सिलिंडर का अब वजन भी तौला जाएगा। इसके लिए वेट मशीन लगाई जा रही है। यदि कम वजन के सिलिंडर निकलते हैं तो साफ हो जाएगा कि प्लांट से लेकर अस्पताल पहुंचने तक कहीं न कहीं धांधली हुई है। सिलिंडर प्लांट से ही कम वजन के भेजे गए हो या रास्ते में आक्सीजन कम हो गई , इसका पता चल जाएगा। अफसरों का मानना है कि 400 सिलिंडर लगने के बाद आक्सीजन की कमी नहीं होनी चाहिए। सिलिंडर या पाइपलाइन की लीकेज भी चेक कराई जा रही है। सिलिंडर अस्पताल से चोरी तो नहीं किए जा रहे है, इस पर भी नजर रखी जाएगी। कोविड वार्डों में ड्यूटी करने वाले स्टाफ का कहना है कि रात के समय मरीज खुद आक्सीजन का फ्लो बड़ा लेते हैं, जिससे ज्यादा आक्सीजन की खपत होती है। हालांकि, यह बात ज्यादा हजम होने वाली नहीं है। क्योंकि, स्टाफ को खुद आक्सीजन पर नजर रखनी चाहिए।
चोरी की भी आशंका
सरकारी कोविड अस्पताल की बात हो या निजी कोविड अस्पताल की। स्वास्थ्य विभाग को यह भी आशंका है कि कहीं सिलिंडर ब्लैक में बेचने के लिए गायब तो नहीं किए जा रहे। क्योंकि, इस समय होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे तमाम मरीजों को आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है और उन्हें महंगी कीमत पर आक्सीजन खरीदनी पड़ रही है। अब तो नान कोविड अस्पताल भी संदिग्ध मरीजों को भर्ती करने लगे हैं, जिन्हें आक्सीजन की जरूरत है। विभाग आक्सीजन का आडिट कराने की भी सोच रहा है। उधर, आक्सीजन न मिलने से आम मरीजों के स्वजन का हौसला टूटने लगा है।
120 सिलिंडर का बेकअप
दीनदयाल अस्पातल में आक्सीजन संकट को खत्म करने के लिए विभाग ने 120 और खाली सिलिंडरों की व्यवस्था कर ली है। ऐसे में विभाग के पास आठ से 10 घंटे का बेकअप तैयार हो जाएगा। इस बैकअप का इस्तेमाल केवल इमरजेंसी में ही किया जाएगा। पिछले कुछ समय आक्सीजन की सप्लाई काफी सुधरी है, फिर भी कमी है। कम वजन की आशंका को देखते हुए सबसे पहले दीनदयाल अस्पताल में वेटिंग मशीन लगाई जा रही है , सभी सिलिंडर तौल कर लिए जाएंगे। लीकेज की जांच कर रहे हैं। कोविड अस्पतालों से मरीजों के नाम पर ली गई आक्सीजन को गायब करने की आशंका से इन्कार नहीं कर सकते। निजी अस्पतलों में अक्सीजन खपत का आडिट कराने पर विचार किया जा रहा है।
- डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ।