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अलीगढ़ में 11 घंटे रहा तेंदुआ राज, तकनीकी और दिलेरी से हुआ सफल रेस्क्यू

छर्रा के चौ. निहाल सिंह इंटर कालेज में बुधवार को करीब 11 घंटे तक तेंदुआ का राज रहा। सुबह आठ बजे के करीब छात्रों ने जैसे ही तेंदुआ देखा तो कालेज परिसर में भगदड़ मच गई। बैग छोड़कर छात्र कालेज से बाहर दौड़ पड़े।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 07:11 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 07:11 AM (IST)
अलीगढ़ में 11 घंटे रहा तेंदुआ राज, तकनीकी और दिलेरी से हुआ सफल रेस्क्यू
तेंदुआ पकड़ने में कालेज में लगे सीसीटीवी कैमरों का काफी अहम किरदार रहा।

अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। छर्रा के चौ. निहाल सिंह इंटर कालेज में बुधवार को करीब 11 घंटे तक तेंदुआ का राज रहा। सुबह आठ बजे के करीब छात्रों ने जैसे ही तेंदुआ देखा तो कालेज परिसर में भगदड़ मच गई। बैग छोड़कर छात्र कालेज से बाहर दौड़ पड़े। करीब दो घंटे तक तो कालेज व आसपास के क्षेत्रों में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। कस्बे व आसपास के हजारों लोग कई घंटे तक दशहत में रहे। करीब नौ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग व वाइल्ड लाइफ की टीम तकनीकी और दिलेरी के तालमेल से क्लीन रेस्क्यू किया। तेंदुआ पकड़ने में कालेज में लगे सीसीटीवी कैमरों का काफी अहम किरदार रहा। टीमें पल-पल इस पर नजर बनाए रखे रहीं। पूरे दिन हजारों लोगों की भीड़ लगी रही। शाम को तेंदुआ पकड़ने जाने के बाद राहत की सांस ली।

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तकनीकी से काम हुआ आसान

तेंदुआ के रेस्क्यू में टीमों ने तकनीकी का बखूबी इस्तमाल किया। दो कर्मचारियों को सीसीटीवी कैमरे की एलईडी के सामने लगा दिया गया। यहा तेंदुए की पल-पल की हरकत पर नजर रखी गई। जब तेंदुआ कमरे से बाहर बरामदे में आता था तो ड्रोन से नजर रखी जाती। इससे अफसरों को इसके इधर-उधर जाने का डर नहीं था। तेंदुआ जब पूरी तरह कमरे घिर गया तो लोहे की रोड से उसके आसपास से सामान को हटाया गया। इसके बाद ट्रेंकुनाइजर गन से बेहोश किया गया।

प्लाईबोर्ड से गेट बंद करना रहा आपरेशन का टर्निंग प्वाइंट

रेस्क्यू में आगरा से वाइल्डलाइफ की पांच सदस्यीय टीम बुलाई गई थी। दो दर्जन के करीब स्थानीय कर्मचारी थे। टीमों के सदस्यों ने शुरुआत से ही बहादुरी से काम किया। क्लास रूम के दरवाजे पर किबाड नहीं थे। ऐसे में तेंदुआ बार-बार बरामदे में आ-जा रहा था। तेंदुआ एक बार जैसे ही कमरे के अंदर गया तो रेस्क्यू टीम ने हिम्मत जुटाकर गेट को प्लाई बोर्ड से बंद कर दिया। इससे तेंदुआ अंदर बंद हो गया। इससे अफसरों ने राहत की सांस ली। पूरे आपरेशन का यह टर्निंग प्वाइंट भी रहा।

रेस्क्यू की खास बातें

-अलीगढ़ के अलावा हाथरस, कासगंज की टीम भी रेस्क्यू में हुईं शामिल

-वन विभाग के युवा कर्मचारियों ने रेस्क्यू में निभाई अहम भूमिका

-आगरा वाइल्ड लाइफ की पांच सदस्यीय टीम ने संभाला मोर्चा

-मेरठ व पीलीभीत की टीम को रखा गया था विकल्प के तौर पर

-सात से आठ साल के करीब बताई जा रही है तेंदुआ की उम्र

-अलीगढ़ में पहली बार हुआ है इस तरह का सफल रेस्क्यू

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टाइमलाइन

8:00 बजे तेंदुआ ने छात्र पर हमला बोला

8:30 बजे स्थानीय लोगों ने वन विभाग को सूचना दी

9:30 बजे अतरौली क्षेत्र से वन विभाग की टीम पहुंचे

11:00 बजे तक डीएफओ समेत अन्य अफसर पहुंचे

11:30 बजे आगरा से टीम पहुंची रेस्क्यू के लिए

12:00 बजे तेंदुआ के लिए पिंजरे का हुआ इंतजाम

1:00 बजे कालेज परिसर में जाल बिछाया गया

2:30 बजे क्रेन से आग जलाकर जलाई गई

4:00 बजे बेहोशी के लिए तैयार किया गया इंजेक्शन

5:30 बजे प्लाई बोर्ड से दरवाजे को किया गया बंद

6:00 बजे क्लास रूम से लोहे की रोड से हटाया गया सामान

7:30 बजे रेस्क्यू टीम ने पिंजरे में कैद किया तेंदुआ

रात 8:00 बजे वन विभाग की टीम तेंदुआ लेकर हुई रवाना

पड़ोसी जिलों से आने की संभावना

वन विभाग के अफसरों के मुताबिक तेंदुआ एक दिन में करीब 40 से 50 किमी चलता है। कई बार यह अपने स्थान से भटक कर इधर-उधर निकल आता है। छर्रा में पकड़े गए तेंदुआ की गंगा किनारे से बुलंदशह, मेरठ से आने की आशंका है। पिछले दिनों नरौरा पावर प्लांट के निकट भी एक तेंदुआ देखा गया था। हो सकता है कि यह वही तेंदुआ हो। इसके अलावा बदायूं की तरफ से भी इधर तेंदुआ आने की संभावना जताई जा रही है।

अनुभव आया काम

अलीगढ़ मंडल में इन दिनों वन संरक्षक अदिति शर्मा तैनात हैं। यह पहले भी तेंदुआ के कई रेस्क्यू में शामिल रह चुकी हैं। ऐसे में इस सफल आपरेशन में इनका काफी अहम किरदार रहा। टीमें लखनऊ के वाइल्ड लाइफ के अफसरों से भी संपर्क में रहे। वहीं, डीएफओ दिवाकर वशिष्ठ भी रेस्क्यू टीमों का हौंसला बढ़ाते रहे।

आग से रोकी तेंदुआ की चहल कदमी

छर्रा व बरौली कस्बे के बीच में इंटर कालेज है। ऐसे में आसपास में बड़ी संख्या में आबादी भी है। कालेज की दूसरी मंजिल पर तेंदुआ लगातार हरकत कर रहा था। वह कभी कक्षा के अंदर जाता था तो कभी बरामदे में आ जाते हैं। ऐसे में अफसरों का डर था कि कहीं यह आबादी में न चला जाए। ऐसे में टीम ने एक बांस में कपड़ा बांधकर आग जलाई और तेंदुए को क्रेन के जरिए दिखाया। इससे तेंदुआ की कमरे के अंदर ही चहल कदमी रुक गई। वह कमरे में ही एक कोने पर बैठ गया।

जवां में भी करंट से हो गई थी मौत

साल की शुरुआत में भी जवां क्षेत्र में एक तेंदुआ दिखा था। यहां एक किसान के खेत में लगे बिजली के तार की चपेट में आने से इसकी मौत हो गई थी। वन विभाग ने बरेली में इसका पोस्टमार्टम कराया था। इसके बाद इसी क्षेत्र में ग्रामीणों का एक अन्य तेंदुआ दिखाई दिया था। हालांकि, वन विभाग के अफसरों ने कई दिन यहां डेरा डाले रखा था, लेकिन तेंदुआ हाथ नही आ सका था। वहीं, हाथरस, मथुरा में पहले भी तेंदुआ देखे जाते रहे हैं।

अलीगढ़ जिले में पहली बार इस तरह तेंदुआ का सफल आपरेशन हुआ है। पकड़ा गया तेंदुआ नर है। उम्र करीब सात से आठ साल होगी। आशंका है कि यह गंगा किनारे होते हुए यहां पहुंचा है।

-दिवाकर वशिष्ठ, डीएफओ


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